शिमला: बजट सत्र के (Himachal vidhan sabha budget session) बाद राज्यसभा में हिमाचल से एक और सीट खाली होगी. कांग्रेस के दिग्गज नेता आनंद शर्मा का कार्यकाल अप्रैल में पूरा होने (Congress leader Anand Sharma) जा रहा है. हिमाचल में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा सरकार है और पार्टी को सदन में अच्छा खासा बहुमत है. इस बार राज्यसभा से तीनों सांसद भाजपा के होंगे. जेपी नड्डा और इंदु गोस्वामी के बाद तीसरा नाम कौन होगा, इसे लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है. जैसा कि भाजपा हाईकमान का वर्किंग स्टाइल है, नए सांसद के नाम पर पार्टी सबको चौंका सकती है.
वैसे मौजूदा सियासी चर्चा में महेंद्र पांडे का नाम प्रमुख्ता से उभरकर सामने आ रहा है. महेंद्र पांडे वर्तमान में भाजपा के केंद्रीय कार्यालय दिल्ली में कार्यालय मंत्री की जिम्मेवारी संभाल रहे हैं. वैसे ये भी अटकलें हैं कि पार्टी मौजूदा विधायकों में से किसी चेहरे को राज्यसभा भेज सकती है. उदाहरण के लिए शिमला से विधायक और कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज. जयराम सरकार में वरिष्ठ मंत्री सुरेश भारद्वाज पहले भी राज्यसभा सांसद (Suresh Bhardwaj Himachal) रहे हैं, लेकिन उनकी नई पारी को लेकर कुछ बाधाएं भी हैं.
यदि सुरेश भारद्वाज को राज्यसभा भेजा जाता है, तो शिमला से पार्टी का चेहरा किसे बनाया जाएगा. फिर राज्य कैबिनेट में एक अनुभवी मंत्री की कमी हो जाएगी. कुछ लोग सियासत में हैरतअंगेज फैसलों को नजर अंदाज नहीं करते. ऐसे में कुछ गलियारों में संघ के वरिष्ठ प्रचारक अजय जम्वाल का नाम भी लेते हैं. अजय जम्वाल संघ के एक बड़े चेहरे हैं. इस समय वे नॉर्थ ईस्ट राज्यों में संगठन मंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं.
वर्तमान में वह आरएसएस के पूर्णकालिक हैं. लेकिन अगर आरएसएस में अजय जम्वाल को पूरी तरह भाजपा में भेजने पर सहमति बनी, तो हिमाचल से उन्हें भी राज्यसभा भेजा जा सकता है. हालांकि यह अतिशयोक्ति लग रहा है, लेकिन कुछ चर्चाओं में यह भी उछाला जा रहा है कि खुद मुख्यमंत्री को राज्यसभा भेजा जा सकता है. लेकिन चुनावी वर्ष में भाजपा हाईकमान शायद ही ऐसा रिस्क ले. वहीं, पार्टी के पास अन्य विकल्पों में प्रेम कुमार धूमल का नाम भी है. लेकिन परिवार वाद के नजरिए से देखें तो पूर्व मुख्यमंत्री का नाम शायद ही आगे बढ़ाया जाए.
यदि वर्तमान सरकार से महेंद्र सिंह और गोविंद ठाकुर के नाम की बात की जाए, तो इन दोनों के साथ भी वही स्थिति होगी जो सुरेश भारद्वाज के साथ है. पहले यह भी परंपरा रही है कि भाजपा में बाहर के राज्यों के नेताओं को राज्यसभा भेजा जाता रहा है. लेकिन हिमाचल में इस समय ऐसी राजनीतिक परिस्थितियां नहीं हैं कि बाहर के राज्य का कोई नेता यहां से राज्यसभा सांसद के तौर पर भेजा जाए. राजनीतिक पंडित राजनीति से इतर किसी हस्ती को भी उपरी सदन में भेजने की संभावना से इनकार नहीं करते.
वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा का कहना है कि राज्यसभा सांसद के बारे में पार्टी विधानसभा के बजट सेशन के बाद ही कोई फैसला करेगी. आनंद शर्मा का कार्यकाल 2 अप्रैल को पूरा हो रहा है. ऐसे में पार्टी के पास चिंतन के लिए समय है. भाजपा हाईकमान इस बारे में पार्टी की प्रदेश इकाई का भी मत जानेंगी. भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप का कहना है कि पार्टी में ऐसे फैसलों के लिए एक निश्चित प्रक्रिया है, भाजपा में सारे फैसले कई पहलुओं पर विचार के बाद लिए जाते हैं. राज्यसभा सांसद (Rajya Sabha MP from Himachal) के लिए सभी मिल बैठ कर चर्चा करेंगे. हाईकमान की सहमति से अंतिम निर्णय होगा.
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