शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आदर्श सांसद गांव योजना के तहत सूबे के चारों सांसदों ने अपने लोकसभा क्षेत्र में गांव को गोद लिया था. लोगों को उम्मीद थी कि केंद्र सरकार की इस पहल से उनके गांव की तकदीर संवरेंगी. माननीय सांसदों ने जिस गांव को कागजों में अपनाया था, हकीकत में वो उसे भुला बैठे. जिसका असर साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था.
आदर्श सांसद गांव योजना के तहत सांसदों ने गोद लिए गांवों से विधानसभा चुनाव-2017 में भाजपा उम्मीदवारों को ज्यादा वोट नहीं मिले थे. कांगड़ा-चंबा के सांसद शांता कुमार और हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर के गोद लिए गांवों में तो भाजपा उम्मीदवार कांग्रेस से पीछे ही रह गए थे.
मंडी से रामस्वरूप शर्मा और शिमला से वीरेंद्र कश्यप के गोद लिए गांवों में भी भाजपा प्रत्याशियों को कुछ खास वोट नहीं मिले थे. भाजपा प्रत्याशी को महज 67 और सात वोटों की लीड मिली थी. अब लगभग डेढ़ साल बाद लोकसभा चुनाव में बीजेपी सांसदों के गोद लिए गए इन गांवों में भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में कितना मतदान होता है. इस पर सभी की नजर रहेगी.
हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर ने ऊना जिला के लोअर देहलां पंचायत को गोद लिया था. गांव के लोगों को उम्मीद थी कि उनके गांव का विकास होगा. गांव वालों के मुताबिक ऐसा नहीं हो सका. इसका साफ असर साल 2017 में हुए विधानसभा में देखने को मिला. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक देहलां पंचायत के तीन मतदान केंद्रों पर भाजपा को 733 और कांग्रेस को 937 वोट मिले थे.