शिमला: प्रदेश उच्च न्यायालय ने समान काम के लिए समान वेतनमान दिए जाने के आदेश पारित कर दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि समान काम का समान वेतन केवल मात्र नारा ही नहीं बल्कि एक मौलिक (equal pay for equal work) अधिकार भी है. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने विशेष (Himachal High Court) क्षेत्र विकास प्राधिकरण शोघी, कुफरी व घनाहट्टी के कर्मचारियों की ओर से उच्च वेतनमान की गुहार को लेकर दायर याचिका को स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया.
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार याचिकाकर्ता विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण शोघी, कुफरी व घनाहट्टी में अनुबंध आधार पर कार्यरत थे और वर्ष 2009 से उन्हें 10300-34800 का उच्च वेतन दिया गया. जबकि वर्ष 2014 में उनकी सेवायें नियमित करने पर उन्हें 5910-20200 का निम्न वेतन दिया गया. इसके बाद प्रार्थियों ने प्रतिवेदन के माध्यम से विभाग से गुहार लगाई कि उन्हें भी समान काम के बदले समान वेतन दिया जाए, जिसे विभाग ने खारिज कर दिया.
विभाग के इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में (Himachal High Court) चुनौती दी गई. कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के पश्चात पाया कि केवल विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण शोघी, कुफरी व घनाहट्टी के कर्मचारियों के लिए वेतनमान हेतु अलग मानदंड तय किये गए है जबकि उनके समकक्ष नगर निगम, शहरी विकास विभाग व बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों को उनकी नियमितीकरण की तारीख से 10300-34800 का वेतनमान 3600 ग्रेड पे के साथ अदा किया जा रहा है.
हाइकोर्ट ने विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण शोघी, कुफरी व घनाहट्टी की ओर से प्रार्थियों को कम वेतन देने के निर्णय को रद्द कर दिया और तीन महीनों के भीतर उच्च वेतन उनके नियमितीकरण की तारीख से देने के आदेश पारित किए. अदालत ने (equal pay for equal work) अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ताओं को इस अवधि के भीतर वित्तीय लाभ नहीं दिया गया तो प्रार्थीगण नौ फीसदी ब्याज सहित वित्तीय लाभ लेने के हकदार होंगे.
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