रामपुर: हिमाचल प्रदेश को देवी देवताओं की भूमि कहा जाता है. यहां के विभिन्न स्थानों पर देवी देवता निवास करते हैं. उन्हीं में सराहन में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ माता भीमाकाली का मंदिर भी शामिल (Bhimakali Temple Sarahan Rampur) है. यह मंदिर बेहद खुबसूरत व अनूठी बौद्ध और पहाड़ी शैली में निर्मित है. यह मंदिर रामपुर बुशहर से 37 किलोमीटर दूर भारत-तिब्बत सड़क पर ज्यूरी नमक स्थान से 17 किलोमीटर दाईं ओर समुद्र तल से लगभग 7 हजार एक सै फिट पर स्थित है. मां भीमाकाली, बुशहर राजवंश की कुलदेवी के रूप में प्रतिष्ठित (Bhimakali Temple Himachal) है.
बुशहर रियासत की प्राचीन राजधानी सराहन ही हुआ करती थी. कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए बाद में राजा राम सिंह ने रामपुर को बुशहर की राजधानी के रूप में विकसित किया और अंतिम राजा के रूप में वीरभद्र सिंह ने इसका प्रतिनिधित्व किया. वे हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भी (Former CM Himachal Virbhadra Singh) रहे और हिमाचल के लोग उन्हें आज भी राजा साहब कह कर बुलाना पसंद करते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार सराहन कभी शोणितपुर कहलाता था और यहां का सम्राट बाणासुर था. जो राजा बलि का पुत्र था. वह भगवान भोले शंकर का परम भक्त था.
त्रेता युग में रावण और बाणासुर के बीच में काफी संघर्ष होता रहा है. उस वक्त बाणासुर ही एक अकेला ऐसा योधा था, जिससे रावण कभी जीत नहीं सका. देवताओं की ओर से भगवान इंद्र ने पूरे सौ सालों तक इन राक्षसों से लोहा लिया, मगर उन्हें खदेड़ नहीं पाए. तभी सभी देवता ऋषि-मुनियों को लेकर भगवान शंकर की शरण में गए. लेकिन दैत्य के आराध्य होने की वजह से भगवान शंकर ने देवों की सहायता करने से इनकार किया. लेकिन साथ ही सलाह दी कि वे भगवान ब्रह्मा की शरण में जाएं. वह भी देवताओं का साथ नहीं दे सके.
अंत में देवता भगवान विष्णु की शरण में गए. विष्णु उस समय शैया पर विराजमान थे. उन्होंने देवताओं की व्यथा सुनी तो दैत्यों की करनी पर विश्वास नहीं हुआ. उन्होंने एक नजर पृथ्वी पर डालने में ही अपनी भलाई समझी. भगवान विष्णु ने जब पृथ्वी पर दैत्यों का अत्याचार अपनी आंखों से देखा तो वे क्रोधित हो उठे. उनकी आंखों से आग की लपटें निकलने लगीं. देवताओं की आंखों से भी तेज प्रकट होने लगा. जब दोनों आपस में मिले तो इससे एक देवी प्रकट हुई थी. विष्णु ने उन्हें चक्र, शंकर ने त्रिशूल, वरुण ने वस्त्र व जल, कुबेर ने मुकुट और अन्य देवी-देवताओं ने अपनी शक्ति के अनुसार अन्य चीजें भेंट की.