शिमलाः राजधानी शिमला में अंग्रेजों के समय में कुछ इमारतें तैयार की गई थी. ये इमारतें जहां उस समय के ब्रिटिश कालीन इतिहास की गवाह है. ये इमारत राजधानी में आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है.
शिमला में ब्रिटिश काल के समय में बनाई गई दो चर्च वास्तुकला की दृष्टि से बेहद ही खास है. इसमें एक चर्च शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर स्थित क्राइस्ट चर्च है तो दूसरी शिमला के कमांड स्थित कैथोलिक चर्च.
दोनों ही चर्च विदेशी सहित बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है लेकिन अब कैथोलिक चर्च की भव्यता खोने की कगार पर है. कैथोलिक चर्च की जमीन लगातार धंस रही है और जमीन धंसने से आर्मी कमांड एरिया स्थित इस चर्च के ऐतिहासिक भवन और परिसर में दरारें आ चुकी हैं.
दिन प्रतिदिन बढ़ रही दरारें
दरारें इतनी ज्यादा आ चुकी हैं कि अब इस चर्च के गिरने का डर सता रहा है. यहां तक की चर्च प्रबंधन दरारों को सीमेंट से भर रहा था लेकिन अब यह दरारें इतनी बढ़ चुकी है कि इन्हें सीमेंट से भी नहीं भरा जा सकता है. ऐसे में चर्च का ऐतिहासिक अस्तित्व खतरे में पड़ गया है.
हालात यह है कि अभी इस ऐतिहासिक धरोहर की सुध नहीं ली जाती है तो ये धरोहर कभी भी जमींदोज हो सकती है. कैथोलिक चर्च का एक कोना लगातार बैठ रहा है. जमीन धंसने का यह सिलसिला कुछ वर्ष पहले सामने आया था और अब यह सिलसिला लगातार जारी है.
2015 के बाद चर्च की हालत ज्यादा बिगड़ी
चर्च की यह हालत वैसे तो 15 सालों से है लेकिन साल 2015 से इसकी हालत ज्यादा बिगड़ गई है. इस ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने के लिए कोई कदम प्रशासन की ओर से नहीं उठाया गया है. हालांकि इन दोनों चर्च की रिपेयर के लिए पर्यटन विभाग को 17.5 करोड़ रुपये एशियन डेवलपमेंट बैंक की ओर से दिए गए थे लेकिन अभी तक दोनों ही चर्च में यह रिपेयर का काम शुरू नहीं हो पाया है.
वहीं, कैथोलिक चर्च के केयर टेकर का कहना है कि अब तो यह डर सता रहा है कि इमारत गिर न जाए. केयर टेकर का कहना है कि पहले तो पर्यटन विभाग से लोग आते थे और जायजा ले कर जाते थे लेकिन अब वे भी नहीं आते. पूछने पर यही जवाब मिलता है कि मरम्मत के लिए आया बजट वापस चला गया है. 1886 में बनी कैथोलिक चर्च ऐतिहासिक दृष्टि से और वास्तुकला की दृष्टि से है अलग पहचान रखती है.
उत्तर भारत की बेहतरीन चर्चों में से एक
यह चर्च उत्तर भारत की बेहतरीन चर्चों में शुमार है. वास्तुकार सेंट माइकल कैथेड्रल ने चर्च का निर्माण फ्रेंच गोथिक शैली में किया है. शुरुआत में इसे रिपन पैलेस के नाम से भी जाना जाता था. यह इमारत शिमला शहर की खूबसूरत ऐतिहासिक इमारतों में से एक है. प्रशासन और सरकार को इसे बचाने के लिए जल्द कदम उठाने की जरुरत है.