शिमला: हिमाचल प्रदेश में बागवानी क्षेत्र से 12 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है. राज्य में अढ़ाई लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी की जा रही है. अब प्रदेश सरकार की योजना फल कारोबार को बढ़ाकर 6 हजार करोड़ करने का लक्ष्य है. प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में तो फल उत्पादन होता ही है. लेकिन अब प्रदेश सरकार का फोकस निचले इलाके इलाकों में भी किसानों का ध्यान पारंपरिक खेती से हटाकर बागवानी की तरफ लाना है. जिसके लिए विभाग द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों की बात करें तो यहां बागवानी से आर्थिकी को (Apple production in Himachal) बल मिला है. यहां सेब की व्यावसायिक खेती को सौ साल से अधिक हो गए हैं. सेब की तीन किस्मों रेड, रॉयल व गोल्डन डिलिशियस से हुई शुरुआत के 100 साल बाद 90 किस्मों की सेब प्रजातियों की खेती प्रदेश में सफलतापूर्वक की जा रही है. आज प्रदेश में 1,10,679 हेक्टेयर क्षेत्र में 7.77 लाख मीट्रिक टन सेब पैदा कर प्रदेश की आर्थिकी को सुदृढ़ किया जा रहा है.
हिमाचल में शिमला, कुल्लू, मंडी, चंबा, किन्नौर, लाहौल-स्पीति, सिरमौर जिलों में सेब पैदा किया जाता है. हिमाचल के कुल सेब उत्पादन का 80 फीसदी शिमला जिले में होता है. हिमाचल में सालाना तीन से चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है. हिमाचल के अलावा दूसरा सबसे बड़ा सेब उत्पादक राज्य जम्मू-कश्मीर है. उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में भी सेब उत्पादन होता है, लेकिन हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के सेब कारोबार की देश भर में (Himachal apple demand) धूम है.
हिमाचल में कुल 4 लाख बागवान परिवार हैं. हिमाचल की आर्थिकी को सेब कारोबार से संबल मिलता है. हिमाचल में आजीविका का बड़ा साधन सरकारी नौकरी है. प्रदेश में 2.25 लाख सरकार कर्मचारी हैं. निजी सेक्टर में भी रोजगार की संभावनाएं है. लेकिन सबसे अधिक आर्थिक गतिविधियां खेती बागवानी में ही संभव हैं.
सीए स्टोर, पैकिंग और ग्रेडिंग की सुविधा को दिया जा रहा बढ़ावा:उत्पादित फसलों का सही रख-रखाव और उचित मुल्य मिल सके इसके लिए पैकिंग, साॅर्टिंग व ग्रेडिंग हाउस, वातानुकूलित भण्डार गृह (सी.ए. स्टोर), प्रसंस्करण इकाइयां, पैकेजिंग सामग्री के विकास का प्रावधान करने के लिए प्रदेश सरकार विशेष ध्यान दे रही है. बागवानों को उनके बागानों में ही फसल का उचित मूल्य मिल सके.
बागवानी क्षेत्र प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है. बागवानी फसलों, विशेष रूप से फल फसलों पर मौसम में बदलाव का अपेक्षाकृत कम प्रभाव होता है, जिस कारण प्रदेश के अधिकाधिक लोग बागवानी अपना रहे हैं. प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में बागवानी को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे ये ठोस प्रयास राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को एक नई गति प्रदान कर रहे हैं.
कम ऊंचाई वाले क्षेत्र में बागवानी को किया जा रहा विकसित:निचले क्षेत्रों में बागवानी को विकसित करने के लिए उच्च घनत्व वाली खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है और वैज्ञानिक प्रणाली से बगीचे का संरक्षण व देखरेख की जाएगी. इसके अतिरिक्त फल-फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए कम्पोजिट सौर बाड़बंदी का प्रावधान किया गया है. उपलब्ध जल संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए टपक या ड्रिप सिंचाई प्रणाली स्थापित करने और क्लस्टरों के प्रबंधन हेतु कृषि उपकरण और कृषि आगत पर भी उपदान का प्रावधान है. परियोजना के तहत बागवानी में क्रांति लाने के लिए 100 सिंचाई योजनाओं का विकास किया जाएगा, जिनमें 60 प्रतिशत सिंचाई परियोजनाओं का मरम्मत कार्य और 40 प्रतिशत नई परियोजनाएं शामिल हैं, ताकि वर्षा के पानी पर निर्भरता न रहे.