हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / city

हिमाचल में 12 लाख लोगों का सहारा है बागवानी, 80 फीसदी शिमला जिले में होता है सेब का उत्पादन - शिमला में सेब का उत्पादन

वर्तमान में राज्य में 2.34 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बागवानी के (Horticulture sector in Himachal) अधीन है. पिछले चार वर्षों से प्रदेश में 31.40 लाख मीट्रिक टन फल उत्पादन हुआ है. हिमाचल के कुल सेब उत्पादन (Apple production in Himachal) का 80 फीसदी शिमला जिले में होता है. हिमाचल में सालाना तीन से चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है. अब प्रदेश सरकार की योजना फल कारोबार को बढ़ाकर 6 हजार करोड़ करने का लक्ष्य है.

Apple production in Himachal
हिमाचल में सेब का उत्पादन

By

Published : Feb 12, 2022, 6:37 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में बागवानी क्षेत्र से 12 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है. राज्य में अढ़ाई लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी की जा रही है. अब प्रदेश सरकार की योजना फल कारोबार को बढ़ाकर 6 हजार करोड़ करने का लक्ष्य है. प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में तो फल उत्पादन होता ही है. लेकिन अब प्रदेश सरकार का फोकस निचले इलाके इलाकों में भी किसानों का ध्यान पारंपरिक खेती से हटाकर बागवानी की तरफ लाना है. जिसके लिए विभाग द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.

प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों की बात करें तो यहां बागवानी से आर्थिकी को (Apple production in Himachal) बल मिला है. यहां सेब की व्यावसायिक खेती को सौ साल से अधिक हो गए हैं. सेब की तीन किस्मों रेड, रॉयल व गोल्डन डिलिशियस से हुई शुरुआत के 100 साल बाद 90 किस्मों की सेब प्रजातियों की खेती प्रदेश में सफलतापूर्वक की जा रही है. आज प्रदेश में 1,10,679 हेक्टेयर क्षेत्र में 7.77 लाख मीट्रिक टन सेब पैदा कर प्रदेश की आर्थिकी को सुदृढ़ किया जा रहा है.

हिमाचल में शिमला, कुल्लू, मंडी, चंबा, किन्नौर, लाहौल-स्पीति, सिरमौर जिलों में सेब पैदा किया जाता है. हिमाचल के कुल सेब उत्पादन का 80 फीसदी शिमला जिले में होता है. हिमाचल में सालाना तीन से चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है. हिमाचल के अलावा दूसरा सबसे बड़ा सेब उत्पादक राज्य जम्मू-कश्मीर है. उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में भी सेब उत्पादन होता है, लेकिन हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के सेब कारोबार की देश भर में (Himachal apple demand) धूम है.

हिमाचल में सेब का उत्पादन

हिमाचल में कुल 4 लाख बागवान परिवार हैं. हिमाचल की आर्थिकी को सेब कारोबार से संबल मिलता है. हिमाचल में आजीविका का बड़ा साधन सरकारी नौकरी है. प्रदेश में 2.25 लाख सरकार कर्मचारी हैं. निजी सेक्टर में भी रोजगार की संभावनाएं है. लेकिन सबसे अधिक आर्थिक गतिविधियां खेती बागवानी में ही संभव हैं.

सीए स्टोर, पैकिंग और ग्रेडिंग की सुविधा को दिया जा रहा बढ़ावा:उत्पादित फसलों का सही रख-रखाव और उचित मुल्य मिल सके इसके लिए पैकिंग, साॅर्टिंग व ग्रेडिंग हाउस, वातानुकूलित भण्डार गृह (सी.ए. स्टोर), प्रसंस्करण इकाइयां, पैकेजिंग सामग्री के विकास का प्रावधान करने के लिए प्रदेश सरकार विशेष ध्यान दे रही है. बागवानों को उनके बागानों में ही फसल का उचित मूल्य मिल सके.

बागवानी क्षेत्र प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है. बागवानी फसलों, विशेष रूप से फल फसलों पर मौसम में बदलाव का अपेक्षाकृत कम प्रभाव होता है, जिस कारण प्रदेश के अधिकाधिक लोग बागवानी अपना रहे हैं. प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में बागवानी को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे ये ठोस प्रयास राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को एक नई गति प्रदान कर रहे हैं.

हिमाचल में सेब का उत्पादन

कम ऊंचाई वाले क्षेत्र में बागवानी को किया जा रहा विकसित:निचले क्षेत्रों में बागवानी को विकसित करने के लिए उच्च घनत्व वाली खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है और वैज्ञानिक प्रणाली से बगीचे का संरक्षण व देखरेख की जाएगी. इसके अतिरिक्त फल-फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए कम्पोजिट सौर बाड़बंदी का प्रावधान किया गया है. उपलब्ध जल संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए टपक या ड्रिप सिंचाई प्रणाली स्थापित करने और क्लस्टरों के प्रबंधन हेतु कृषि उपकरण और कृषि आगत पर भी उपदान का प्रावधान है. परियोजना के तहत बागवानी में क्रांति लाने के लिए 100 सिंचाई योजनाओं का विकास किया जाएगा, जिनमें 60 प्रतिशत सिंचाई परियोजनाओं का मरम्मत कार्य और 40 प्रतिशत नई परियोजनाएं शामिल हैं, ताकि वर्षा के पानी पर निर्भरता न रहे.

वर्तमान में राज्य में 2.34 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बागवानी के अधीन हैं. पिछले चार वर्षों से प्रदेश में 31.40 लाख मीट्रिक टन फल उत्पादन हुआ है. इस समय में बागवानी क्षेत्र की वार्षिक आय औसतन 4575 करोड़ रुपये रही तथा औसतन 9 लाख लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिल रहा है. पिछले कुछ वर्षों में बागवानी के वैश्विक बाजार में राज्य के योगदान में कई गुणा वृद्धि दर्ज की गई है. गर्म जलवायु वाले निचले क्षेत्रों में बागवानी को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार सिंचाई सुविधा को विस्तार देने पर ध्यान दे रही है.

हिमाचल में सेब का उत्पादन

इसके अलावा फलों की बेहतर किस्मों से बागवानी क्षेत्र में क्रांति लाने के उद्देश्य से अमरूद, लीची, अनार व नींबू प्रजाति के फलों के पायलट परीक्षण के लिए एशियन विकास बैंक मिशन द्वारा लगभग 75 करोड़ रुपये से वित्तपोषित योजना तैयार की गई है. जिसमें बिलासपुर, हमीरपुर, मंडी और कांगड़ा जिलों के 12 विकास खंडों के 17 समूहों के तहत लगभग 200 हेक्टेयर क्षेत्र के किसानों का चयन कर सभी समूहों में पौधरोपण का कार्य किया गया है.

बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि बागवानी क्षेत्र के (Horticulture sector in Himachal) समग्र विकास और राज्य के लोगों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में उपोष्णकटिबंधीय बागवानी, सिंचाई एवं मूल्य संवर्धन परियोजना (एचपी शिवा) शुरू की गई है. परियोजना के अंतर्गत बीज से बाजार तक की संकल्पना के आधार पर बागवानी विकास किया जाएगा. परियोजना का लक्ष्य अधिक से अधिक बेरोजगार युवाओं और महिलाओं को बागवानी कार्य से जोड़ना है. इसमें नए बगीचे लगाने के लिए बागवानों को उपयुक्त पौध सामग्री से लेकर सामूहिक विपणन तक की सहायता व सुविधाएं प्रदान की जाएंगी.

हिमाचल में सेब का उत्पादन

एशियन विकास बैंक के सहयोग से क्रियान्वित की जा रही कुल 975 करोड़ रुपये लागत की इस परियोजना में 195 करोड़ रुपये सरकार का अंशदान है. हिमाचल सरकार ने परियोजना के क्रियान्वयन के लिए अब तक 48.80 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं, जिसमें से 37.31 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं. मुख्य परियोजना के लिए प्रदेश के सात जिलों सिरमौर, सोलन, ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा व मंडी के 28 विकास खण्डों में 10000 हेक्टेयर भूमि की पहचान की गई है, जिससे 25,000 से अधिक किसान परिवार लाभान्वित होंगे. यह आत्मनिर्भर हिमाचल की संकल्पना को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

एचपी शिवा परियोजना (HP Shiva Project) से बागवानों को संगठित कर सहकारी समितियों का गठन करके इन्हें पंजीकृत किया जा रहा है. ये समितियां परियोजना के तहत स्थापित किये जा रहे बगीचों के सामूहिक प्रबन्धन, सामूहिक उत्पादन, उत्पादित फसलों के मूल्य संवर्धन व प्रसंस्करण तथा सामूहिक विपणन हेतु कार्य करने के साथ ही फलों से सम्बधित अन्य व्यवसायिक गतिविधियों का संचालन भी करेंगी. जिसके लिए उद्यान विभाग द्वारा इन समितियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है और इनका क्षमता विकास किया जा रहा है.

इन समितियों को बहु-हितधारक मंच के माध्यम से विभिन्न सेवा प्रदाता संस्थाओं और बाजार से जोड़ा जाएगा, जिससे बागवानों को तकनीकी मागदर्शन व सेवाओं के साथ ही विपणन में सहयोग प्रदान किया जा सके.

ये भी पढ़ें:Drip irrigation in himachal: आप किसान हैं तो क्या इस योजना का लाभ लिया ?, सिंचाई के लिए ये तरीका अपनाएं, 80% तक मिलेगा अनुदान

विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ABOUT THE AUTHOR

...view details