शिमला: देश के फल राज्य हिमाचल प्रदेश (Apple Bowl Himachal) में प्रकृति ने दिसंबर में अंबर से मेहरबानी बरसानी शुरू कर दी है. दिसंबर के पहले ही हफ्ते में हिमाचल में बर्फबारी (snowfall in himachal) देखने को मिली है. हिमाचल प्रदेश में सालाना चार हजार करोड़ से अधिक सेब उत्पादन होता है. देश का फाइव स्टार होटलों की फ्रूट बास्केट (Fruit basket of five star hotels) में सजने वाले हिमाचल के लाल रसीले सेबों को वहां तक पहुंचने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ता है. इसकी शुरुआत दिसंबर महीने से होती है. सेब के पौधे में अच्छे फूल लगने के लिए 1200 से 1600 चिलिंग आवर्स (Chilling hours for apples) जरूरी है.
सेब का स्वाद चखने के लिए पहले कदम के तौर पर चिलिंग आवर्स का नाम आता है. दिसंबर में अच्छी बर्फबारी हो जाए तो यह चिलिंग आवर्स पूरे हो जाते हैं. बहुत कम लोगों को यह मालूम होगा कि चिलिंग आवर्स क्या होते हैं और सेब उत्पादन में उनका क्या योगदान रहता है. इसे समझने के लिए दिसंबर का मौसम जानना जरूरी है. इस महीने में बारिश व बर्फबारी के कारण बेशक पूरे प्रदेश में कड़ाके की सर्दी हो गई है, लेकिन यह कड़ाके की ठंड सेब उत्पादन के लिए शुभ संकेत है. कारण यह है कि फल राज्य हिमाचल के सेब उत्पादन वाले इलाकों में सुंदर लाल-लाल सेब की शानदार पैदावार के लिए कड़ाके की सर्दी बेहद जरूरी है.
दिसंबर से लेकर मार्च तक के चार महीनों में 1200 से 1600 चिलिंग आवर्स यानी इतने सर्द घंटे पूरे हों तो सेब के पौधों में नए प्राण आ जाते हैं. इन आवर्स पर ही हिमाचल के चार लाख बागवानों की उम्मीदें (Apple Horticulture in Himachal) टिकी होती हैं. इन्हीं चिलिंग आवर्स पर टिका है चार हजार करोड़ का सेब कारोबार. इसके लिए दिसंबर में बारिश व बर्फबारी शुरू हो जाए तो आगामी समय में भी बर्फबारी के आसार के कारण चिलिंग आवर्स तय समय में पूरे हो जाते हैं. जिस तरह शरीर के लिए प्राण जरूरी हैं, वैसे ही सेब की सेहत के लिए चिलिंग आवर्स.
सेब के पौधे में फल लगने के लिए सात डिग्री सेल्सियस से कम तापमान बेहद जरूरी है. सेब के पौधे दिसंबर माह में सुप्त अवस्था में होते हैं. उन्हें इस अवस्था से बाहर आने के लिए सेब के लिए चिलिंग आवर्स सात डिग्री सेल्सियस का तापमान औसतन 1200 से 1600 घंटे तक चाहिए. ये सर्द घंटे चार माह में पूरे हो जाने चाहिए. यदि चार माह में जरूरी चिलिंग आवर्स पूरे हो जाएं तो सेब के पौधों में फल की सेटिंग बहुत अच्छी होती है और उत्पादन बंपर होता है. जब चिलिंग आवर्स पूरे हो जाएं तो सेब की फ्लावरिंग बेहतर होगी और फल की क्वालिटी भी अच्छी होती है. यदि मौसम दगा दे जाए और चिलिंग आवर्स पूरे न हों तो पौधों में कहीं फूल अधिक आ जाते हैं और कहीं कम. इससे फलों की सैटिंग प्रभावित हो जाती है और डालियों में फल भी नहीं लगता.
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