शिमला: हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मंदिरों की आय और अन्य संसाधनों से राज्य में बाल कल्याण का ढांचा मजबूत करने की संभावनाएं तलाशने पर जोर दिया है. राज्यपाल ने कहा कि बाल कल्याण की विभिन्न गतिविधियों को सफलतापूर्वक चलाने के लिए मंदिरों से प्राप्त होने वाली आय और अन्य संसाधन उपयोगी हो सकते हैं. वे गुरुवार को शिमला में हिमाचल प्रदेश बाल कल्याण परिषद की सालाना बैठक में बोल रहे थे. उल्लेखनीय है कि राज्यपाल इस परिषद के अध्यक्ष होते हैं. उन्होंने कहा कि परिषद की आय के स्रोत बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने इसके लिए कई सुझाव दिए.
राज्यपाल ने परिषद को अपनी गतिविधियों में आजीवन सदस्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने का सुझाव दिया. राज्यपाल का मानना था कि जिलों के उपायुक्त भी बाल कल्याण परिषद के लिए संसाधन जुटाने में सहयोग कर सकते हैं. राज्यपाल ने कहा कि मन्दिरों को प्राप्त होने वाली आय और सीएसआर से भी यह सुनिश्चित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि राज्य बाल कल्याण परिषद को एक विभाग की तरह संचालित नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि मन्दिर न्यास, परोपकारी संस्थाओं सहित समाज के समृद्ध वर्गों को आगे बढ़कर चैरिटेबल गतिविधियों के माध्यम से इस संस्थान के फंड और संसाधनों को बढ़ाने में योगदान देना चाहिए. उन्होंने अधिकारियों को सभी आश्रमों का नियमित तौर पर निरीक्षण करने के भी निर्देश दिए.
उन्होंने कहा कि परिषद के सभी सदस्यों को स्वयंसेवकों के रूप में कार्य करना चाहिए. उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि इन सभी बिंदुओं पर काम करने से बाल कल्याण परिषद आत्मनिर्भर हो सकेगी. उन्होंने निर्देश दिए कि आश्रम में बालकों को वे सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करवायी जानी चाहिए जो अन्य बालकों को उनके घरों में उपलब्ध रहती हैं.