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सोशल मीडिया पर चौतरफा विरोध, आम जनता ने मांगी एक रुपया भीख, सरकार दिख रही बैकफुट पर - शिमला न्यूज

विधायकों के यात्रा भत्ता बढ़ने का विरोध लोग सोशल मीडिया पर कर रहे हैं. सोशल मीडिया में प्रमुख रूप से आउटसोर्स कर्मचारियों सहित अन्य वर्ग की उपेक्षा और ओल्ड पेंशन स्कीम सहित नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता जैसे मसलों के बहाने सरकार को घेरा गया.

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Published : Sep 5, 2019, 9:41 PM IST

शिमला: हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन माननीयों के यात्रा भत्ते में एकमुश्त डेढ़ लाख सालाना की बढ़ोतरी के बाद से ही इस फैसले का सोशल मीडिया पर चौतरफा विरोध शुरू हो गया था. आम जनता के मन का गुस्सा भी फूट रहा था. कई लोगों ने कटोरा लेकर हर किसी से एक रुपया मांगना शुरू कर दिया था.

माकपा विधायक राकेश सिंघा ने सदन में चर्चा का दौरान सभी के सामने एक नैतिक लकीर खींची. उन्होंने यात्रा भत्ता लेने से इनकार किया और कहा कि आर्थिक संकट से गुजर रहे प्रदेश में माननीयों को समाज में संकेत देना चाहिए और इस तरह की बढ़ोतरी से अच्छा संकेत नहीं जाएगा. बाद में भाजपा विधायक रविंद्र धीमान ने सहित राजेंग्र गर्ग ने भी भत्ते लेने से इनकार कर दिया. चौतरफा विरोध के बाद राज्य सरकार की स्थिति असहज हो गई.

सोशल मीडिया पर विधायकों का यात्रा बढ़ने का कुछ इस तरह हो रहा विरोध

सोशल मीडिया में प्रमुख रूप से आउटसोर्स कर्मचारियों सहित अन्य वर्ग की उपेक्षा और ओल्ड पेंशन स्कीम सहित नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता जैसे मसलों के बहाने सरकार को घेरा गया. सबसे दिलचस्प ये रहा कि राजधानी शिमला सहित प्रदेश के कई हिस्सों में लोगों ने जनता से एक-एक रुपया भीख मांगी. कई जगह पोस्टर तक लगाए गए. राज्य सरकार के एक कैबिनेट मंत्री ने हमीरपुर में गुस्से में ये कह डाला कि कौन सा भत्ता बढ़ा है?

उधर, भाजपा के वरिष्ठ नेता और दो बार के सीएम प्रेम कुमार धूमल ने भी जयराम सरकार को इसी मसले पर नसीहत दे डाली. इन्हीं सब घटनाओं के बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिक्षक दिवस के मौके पर जो कहा, उन बातों का गहराई से विश्लेषण करें तो सरकार की असहज स्थिति साफ नजर आती है.

सीएम जयराम ठाकुर ने तंज भरे लहजे में ये भी कह डाला कि उनकी सरकार का कई लोग मार्गदर्शन कर रहे हैं, वे उनका अभिनंदन करते हैं. अब सरकार का बैकफुट सीएम के उस बयान से नजर आता है, जिसमें उन्होंने कहा है कि यदि विधायक इसे आवश्यक न समझें तो भत्ते बढ़ाने वाले फैसले पर फिर से विचार किया जा सकता है. शायद सरकार को ये समझ आ गया है कि आम जनता के विरोध और सोशल मीडिया के जरिए दिख रहे गुस्से को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता.

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