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Tea policy in Himachal: हिमाचल में बनेगी टी पॉलिसी, दुनिया भर में महकेगी हिमाचली चाय - tea policy in Himachal Pradesh

हिमाचल सरकार के कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर, जिनके पास ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के साथ पशुपालन विभाग भी है, ने ईटीवी से अपने महकमों से जुड़े विभिन्न मसलों पर बात की. कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कंवर ने टी-सेक्टर, गोवंश से जुड़े सवालों के अलावा राजनीतिक मुद्दों पर भी अपनी राय रखी. वीरेंद्र कंवर ने कहा कि कोरोना संकट की वजह से दो साल का समय खराब हुआ.

Tea policy in Himachal
कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर

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Published : May 25, 2022, 6:48 PM IST

शिमला:हिमाचल सरकार राज्य के टी-सेक्टर के लिए पॉलिसी तैयार करने की दिशा में काम कर रही है. पालमपुर में टी-फेस्टिवल की सफलता के बाद अब जल्दी ही शिमला में भी ऐसा ही आयोजन किया जाएगा. हिमाचल सरकार के कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर, जिनके पास ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के साथ पशुपालन विभाग भी है, ने ईटीवी से अपने महकमों से जुड़े विभिन्न मसलों पर बात की. कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कंवर ने टी-सेक्टर, गोवंश से जुड़े सवालों के अलावा राजनीतिक मुद्दों पर भी अपनी राय रखी. वीरेंद्र कंवर ने कहा कि कोरोना संकट की वजह से दो साल का समय खराब हुआ.

अब कोरोना संकट से उबरने के बाद राज्य सरकार ने (Tea policy in Himachal) चाय उत्पादन से जुड़ी गतिविधियों की तरफ ध्यान दिया है. हाल ही में पालमपुर में स्टेक होल्डर्स के साथ चर्चाएं हुई और टी-फेस्टिवल भी आयोजित किया गया. राज्य सरकार चाय उत्पादकों की समस्याओं को एड्रेस करने को लेकर टी-पॉलिसी तैयार करने की दिशा में काम कर रही है. टी-पॉलिसी में हिमाचल की चाय को देश-दुनिया में और अधिक लोकप्रिय बनाने पर ध्यान दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि कांगड़ा चाय को जल्द ही यूरोपियन यूनियन का जीआई टैग मिलने की संभावना है.

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कांगड़ा चाय को पहले ही भारत में जीआई टैग मिल चुका है. मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि चाय उत्पादन वर्ष 1999 में कृषि विभाग के पास आया था, यह सही है कि तीन साल में टी-बोर्ड की बैठक नहीं हुई. मौजूदा सरकार के कार्यकाल में ही नवंबर 2018 में नए सिरे से चाय बोर्ड का गठन किया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार चाय उत्पादन से जुड़े लोगों को एग्जीबिशन के जरिए एक मंच पर लाएगी और पॉलिसी बनने के बाद हिमाचल में चाय उत्पादकों को कई लाभ मिलेंगे.

20 हजार गोवंश को मिला गौशालाओं में सहारा वीरेंद्र कंवर ने कहा कि वर्ष 2017 की पशुगणना के अनुसार हिमाचल में सड़कों पर 36 हजार बेसहारा गोवंश था. वर्तमान सरकार ने बेसहारा गौवंश के लिए निजी क्षेत्र की गौशालाओं को प्रति गोवंश 700 रुपए रोजाना की रकम तय की है. राज्य सरकार ने गौ सेंचुरीज तैयार की हैं. इस समय 195 गौशालाएं एनजीओ चला रहे हैं. अबतक 20 हजार गौवंश को सड़कों से गौशालाओं में पहुंचाया गया है. प्रदेश में 2 बड़ी गौशालाएं तैयार हो रही हैं और जल्द ही 5 हजार अतिरिक्त गौवंश को इनमें सहारा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि चूंकि सड़कों से लाए गए गौवंश को एक साथ रखा जाए तो वे आपस में लड़ते हैं और इससे वे घायल होते हैं. ऐसे में चरणबद्ध तरीके से सड़कों से गौवंश को स्थानांतरित किया जा रहा है. तीन महीने के भीतर 5 नई गौशालाएं और बन जाएंगी.

उन्होंने कहा कि गौवंश की सुरक्षा के लिए समाज को भी आगे आना होगा. ठंड के दौरान गौवंश यदि सड़कों पर है तो उनका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालने के बजाय प्रशासन को सूचित करना चाहिए. वीरेंद्र कंवर ने उदाहरण दिया कि कैसे सिरमौर में इसी तरह की घटना पेश आई थी. उन्होंने विभाग के उपनिदेशक को सड़क पर ठिठुर रहे गोवंश को गौशाला तक पहुंचाने के लिए कहा, बाद में पुलिस की मदद से सिरमौर में गौवंश को सही जगह पंहुचाया गया. ऐसे में समाज का दायित्व बनता है कि वो भी सहयोग करे. मंत्री ने कहा कि जयराम सरकार के कार्यकाल में गोसेवा आयोग बना और गोवंश की बेहतरी के लिए कई योजनाएं शुरू की गई.

कांग्रेस गिनाए अपने समय की कोई एक पॉपुलर योजना एक सवाल के जवाब में विपक्षी दल कांग्रेस पर तंज कसते हुए वीरेंद्र कंवर ने कहा कि वे छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कार्यकाल के दौरान कोई एक पॉपुलर योजना के बारे में बताएं. वीरेंद्र कंवर ने कहा कि भाजपा सरकार ने सदन में भी कांग्रेस को चुनौती दी थी कि पूर्व में वे कोई ऐसी योजना गिनाए जो जनता की जुबां पर हो. वहीं साढ़े चार साल के कार्यकाल में जयराम सरकार ने सामाजिक सुरक्षा सहित ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कई लोकप्रिय योजनाएं शुरू की हैं.

उदाहरण के लिए उन्होंने गौसेवा आयोग, मुख्यमंत्री एक बीघा योजना, पंचवटी योजना सहित सड़कों और मोक्ष धाम से जुड़ी योजनाओं का जिक्र किया. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस में भीड़ तंत्र हावी है जबकि भाजपा में अनुशासित रूप से संगठन का काम चलता है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक परिवार पर आश्रित है और इस बार विधानसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का अंतिम कुनबा भी बिखर जाएगा.

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