शिमला: वीरभद्र सिंह के युग का अवसान होने के बाद कांग्रेस पहली बार किसी बड़े चुनावी मैदान में थी. हिमाचल में चार सीटों पर उपचुनाव में कांग्रेस ने अप्रत्याशित सफलता हासिल की. इस कामयाबी के बाद सत्ता के गलियारों में कांग्रेस के संदर्भ में नई चर्चा चल पड़ी है. मंडी में प्रतिभा सिंह की जीत और 17 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन से एक सवाल तैर रहा है कि क्या हिमाचल कांग्रेस में अब नया पावर सेंटर होली लॉज होगा.
कांग्रेस में यह परंपरा रही है कि सामान्य कार्यकर्ताओं से लेकर पार्टी पदाधिकारी एक बड़ी छतरी के नीचे एक जुट हो जाते हैं. पांच दशक तक कांग्रेस के पास वीरभद्र सिंह के रूप में विशालकाय राजनीतिक छाता था. अब प्रतिभा सिंह की चुनावी जीत में जिस तरह से विक्रमादित्य ने ग्राउंड वर्क किया है. उससे होली लॉज की अहमियत एक बार फिर साबित हुई है.
इस चुनाव में मंडी लोकसभा सीट के सभी 17 विधानसभा सेगमेंट में जिस तरह से वीरभद्र सिंह के नाम का जलवा देखा गया है. उससे यह साबित हो गया है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में भी वीरभद्र सिंह के नाम का इमोशनल फैक्टर काम आएगा. कांग्रेस के बड़े नेताओं ने उपचुनाव में जीत के बाद वीरभद्र सिंह के पोस्टर्स को सोशल मीडिया पर अपने नाम से डाला है. कई नेताओं ने अपनी निष्ठा वीरभद्र सिंह परिवार के प्रति जताई है.
मंडी में विक्रमादित्य सिंह और प्रतिभा सिंह का जिस गर्मजोशी से स्वागत हुआ. उससे आगामी राजनीति के संकेत मिलते हैं. हिमाचल के पूर्व नौकरशाह और लेखक राजकुमार राकेश जो खुद मंडी जिले से हैं, उन्होंने अपने सोशल मीडिया पेज पर इस चुनाव का विश्लेषण किया है. हिमाचल सरकार में अफसर रहे राजकुमार राकेश जाने माने लेखक हैं. आगे की पंक्तियों में यहां राजकुमार राकेश का विश्लेषण उन्हीं के शब्दों में दिया जा रहा है.
तीन विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस की जीत बहुत अप्रत्याशित नहीं है, इनमें दो सीटें पहले ही इनके पास थीं और तीसरी सीट पर भाजपा के विद्रोही ने दूसरे नम्बर पर पहुंचकर कांग्रेस की जीत तय कर दी, लेकिन असल अंतर मंडी लोकसभा की जीत से पड़ेगा. इससे इन दोनों दलों का भविष्य आज ही तय हो गया है.
वीरभद्र सिंह के निधन के बाद हिमाचल कांग्रेस में जो राजनैतिक शून्य दिख रहा था, उसकी भरपाई प्रतिभा सिंह की इस जीत ने कर डाली है. अब कांग्रेस का पुनर्संचालन वापस जाखू के होली लॉज से होगा और मां-बेटा पार्टी की धुरी बनेंगे. यकीन कीजिए, अगले बरस होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रतिभा सिंह बड़ी जिम्मेदारी निभाएंगी. बड़ी जिम्मेदारी का अर्थ पाठक खुद समझ सकते हैं और इस असलियत की वजह से कांग्रेस के भीतर जो हार्टबर्न हो रहा है, उससे संदेश साफ है कि दशकों से मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश का सपना देखने वाले बुढ़ाते हुए कांग्रेसी-हाथी (मतलब जिन्हें दिग्गज कहा जाता है) अचानक पस्त पड़ चुके हैं. उन्हें इस यथार्थ को स्वीकार करने में चाहे जो कठिनाई हो, यह मान लेना होगा कि वीरभद्र का शून्य आज भर चुका है. कांग्रेस हाईकमान अगर समझे तो यह उनके लिए बड़ा सुकून है और अगर न समझे तो जनता सब तबीयत से समझा देती है.
मंडी सीट का करीब आठ हजार वोटों से हारना मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए उनके जीवन का वाटरलू साबित हो सकता है. मंडी जिला उनका राजनैतिक गढ़ है और इस जिले की जनता ने हालांकि हस्बेमामूल उनका समर्थन किया है, लेकिन जिस तरह कुल्लू, किन्नौर, लाहौल-स्पीति, पांगी-भरमौर और रामपुर ने कांग्रेस के समर्थन में वोट किया, वह जयराम ठाकुर के लिए खतरे का बड़ा सा घंटा है. उनकी अपनी पार्टी में जो लोग घात लगाए इंतजार में थे, उन्हें आज उतना ही पुरजोर सुकून मिला है, जितनी तकलीफ जयराम को हुई.