शिमला: 5 राज्यों के चुनावी नतीजों में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे पंजाब से सामने आए हैं. जहां आम आदमी पार्टी ने बंपर जीत हासिल करते हुए 117 में से 92 सीटों पर जीत हासिल की. पंजाब में आप उम्मीदवारों के सामने बड़े-बड़े सियासी सूरमा ढेर हो गए. पंजाब के सीएम चन्नी से लेकर अमरिंदर सिंह, प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल, नवजोत सिद्धू समेत तमाम बड़े चेहरे चुनाव हार गए. दिल्ली के बाद पंजाब में इस तरह की बड़ी जीत के बाद पार्टी के हौसले बुलंद हैं.
शिमला में निकाला विजय जुलूस- पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत हुई है लेकिन उसकी गूंज शिमला में भी सुनाई दी. शनिवार को आम आदमी पार्टी ने रोड शो निकाला (aap road show in shimla), जिसमें दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी मौजूद रहे. आगामी विधानसभा चुनाव से लेकर शिमला नगर निगम चुनाव लड़ने का भी ऐलान किया और कहा कि जल्द ही आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शिमला आएंगे. वैसे ये जश्न 10 मार्च को नतीजों के बाद से ही हिमाचल के कई जिलों में पार्टी के कार्यकर्ता मना रहे हैं.
अब 'आप' की हिमाचल पर नजर- अब आम आदमी पार्टी की नजर पंजाब के पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश पर है. जहां इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. उससे पहले पार्टी हिमाचल में पांव जमाना चाहती है. वैसे तो हिमाचल में कांग्रेस-बीजेपी के अलावा कोई तीसरा बड़ा विकल्प उभरकर सामने नहीं आया और अगर क्षेत्रीय पार्टी आई भी तो वो इक्का-दुक्का सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई. लेकिन बदले राजनीतिक हालात में आम आदमी पार्टी को खारिज नहीं किया जा सकता.
दिल्ली में लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बने अरविंद केजरीवाल की पार्टी अब पंजाब में भी सरकार चलाएगी. इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के 4 सांसद जीतकर संसद पहुंचे थे, मौजूदा वक्त में आप के दो राज्यसभा सांसद भी हैं. ऐसे में पार्टी के बढ़ते कदमों को देखकर उसे नकारा तो नहीं जा सकता.
हिमाचल में ना बड़ा चेहरा, ना संगठन- किसी पार्टी को स्थापित होने के लिए ये दो चीजें बहुत जरूरी हैं जो हिमाचल में अभी आम आदमी पार्टी के पास नहीं है. पार्टी हिमाचल में बड़े चेहरे की तलाश कर रही है और धीरे-धीरे ही सही लोगों को अपने साथ जोड़ भी रही है. पंजाब में हासिल हुई जीत का फायदा उसे दोनों में मिल सकता है. दिल्ली में केजरीवाल की लगातार जीत का सिलसिला अन्ना आंदोलन के कारण भले अपवाद की श्रेणी में आए लेकिन पंजाब में इस मुकाम तक पहुंचने के लिए पार्टी ने करीब एक दशक का वक्त दिया है.
पंजाब के लिए थी पूरी तैयारी- 2014 में पार्टी के चारों सांसद पंजाब से ही थे, 2019 लोकसभा चुनाव में आप को एक ही सीट मिली लेकिन वो पंजाब से ही थी. वहीं जब 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में वो मुख्य विपक्षी दल बनकर उभरे. 2022 तक पंजाब में पार्टी का संगठन भी मजबूत हुआ और भगवंत मान के रूप में चेहरा भी उभरा. ये दोनों ही फिलहाल पार्टी के पास हिमाचल में नहीं हैं. दिल्ली के बाद से ही पार्टी के प्रमुख व रणनीतिकारों ने पंजाब पर फोकस किया हुआ था. पंजाब में जातीय समीकरणों के साथ-साथ कांग्रेस की अंतर्कलह से पार्टी को और मजबूती मिली. किसान आंदोलन के दम पर तैयार पिच पर आम आदमी पार्टी ने जमकर बैटिंग की और वह जीत गई.
वक्त कम, चुनौती बड़ी- विधानसभा चुनाव में अभी 7 से 8 महीने का वक्त बचा है. ऐसे में पार्टी के पास वक्त कम है और चुनौती बड़ी. आम आदमी पार्टी ने प्रदेश की सभी 68 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. ऐसे में पार्टी को हिमाचल में 7 हजार से अधिक मतदान केंद्रों से लेकर प्रदेश स्तर तक संगठन खड़ा करना होगा. जबकि बीजेपी और कांग्रेस के पास अपना-अपना संगठन मौजूद है. हिमाचल में कोई बड़ा क्षेत्रीय दल ना होने के कारण मुकाबला सीधे कांग्रेस और बीजेपी से होगा. हालांकि पंजाब में जीत और पांचों राज्यों में कांग्रेस के प्रदर्शन के बाद आम आदमी पार्टी अपना मुकाबला सिर्फ और सिर्फ बीजेपी से मान रही है.
पंजाब में शिखर, उत्तराखंड में शून्य- पंजाब में जीत के बाद भले आम आदमी पार्टी के हौसले हिमाचल में बुलंद हैं लेकिन 5 राज्यों के चुनाव में पार्टी के लिए हर जगह से अच्छी खबर नहीं आई. हिमाचल के एक पड़ोसी राज्य में आप ने भले सरकार बना ली लेकिन दूसरे पड़ोसी यानी उत्तराखंड में पार्टी को एक भी सीट नसीब नहीं हुई. जबकि पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा तक दे दिया था. वैसे ये उत्तराखंड में आप की पहली कोशिश थी और हिमाचल के सियासी दंगल में भी वो पहली बार उतरने का ऐलान कर चुके हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि अपनी पहली पारी में पार्टी का क्या प्रदर्शन रहता है. क्योंकि जानकार मानते हैं कि पहली बार में ही किसी राज्य में पांव जमाना पार्टी के लिए आसान नहीं रहने वाला.