ROAD ACCIDENTS IN HP: 35 दिन में सड़क दुर्घटनाओं में 87 लोगों की मौत, हिमाचल में हर दिन तीन जिंदगियां होती हैं हादसों का शिकार - bikram singh thakur on road accident
नए साल में पहली जनवरी से पांच फरवरी के बीच 35 दिन में 87 लोगों का अनमोल जीवन सड़क हादसों (ROAD ACCIDENTS IN HP ) की भेंट चढ़ गया. सबसे अधिक 18 लोगों की मौत शिमला जिले में हुई है. बीते सोमवार को किन्नौर जिले में तीन लोगों की मौत सड़क हादसे में हुई. हिमाचल प्रदेश में पांच साल पहले नेशनल हाईवे सहित अन्य सड़कों पर 127 ब्लैक स्पॉट्स थे. इनमें से अकेले 77 ब्लैक स्पॉट्स नेशनल हाईवे (Black spots on National Highway in Himachal) पर थे 2017 में इन्हीं ब्लैक स्पॉट्स पर साल भर में 452 लोगों की मौत हुई और 1571 लोग घायल हुए.
हिमाचल में सड़क हादसे.
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Published : Feb 8, 2022, 8:43 PM IST
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Updated : Feb 10, 2022, 9:25 AM IST
शिमला: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश को सड़क हादसे (Road Accident in Himachal) गहरा जख्म देते हैं. नए साल में पहली जनवरी से पांच फरवरी के बीच 35 दिन में 87 लोगों का अनमोल जीवन सड़क हादसों की भेंट चढ़ गया. सबसे अधिक 18 लोगों की मौत शिमला जिले में हुई है. हिमाचल की सड़कें हादसों के प्रति संवेदनशील हैं और सभी प्रयास करने के बावजूद दुर्घटनाएं थम नहीं रही. यहां औसतन हर रोज कम से कम तीन लोग सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं. फरवरी की बात करें तो तीन तारीख को मंडी जिले में कार दुर्घटना में चार लोगों की मौत हुई. बीते सोमवार को किन्नौर जिले में तीन लोगों की मौत सड़क हादसे में हुई. हिमाचल प्रदेश में पांच साल पहले नेशनल हाईवे सहित अन्य सड़कों पर 127 ब्लैक स्पॉट्स थे. इनमें से अकेले 77 ब्लैक स्पॉट्स नेशनल हाईवे पर थे 2017 में इन्हीं ब्लैक स्पॉट्स पर साल भर में 452 लोगों की मौत हुई और 1571 लोग घायल हुए.
तीन साल पहले हिमाचल सरकार ने विधानसभा में जानकारी दी थी कि राज्य में अगस्त 2015 से अगस्त 2019 तक चार वर्ष में 12475 सड़क हादसे हुए. इस तरह औसतन हर साल 3118 दुर्घटनाएं हुई. यानी एक दिन में आठ से अधिक सड़क हादसे हिमाचल में हुए. चिंता की बात है कि 95 फीसदी हादसे इंसानी लापरवाही के कारण हो रहे हैं. उक्त चार साल की अवधि में कुल हादसों में से 11859 यानी 95 फीसदी दुर्घटनाएं इंसानी लापरवाही के कारण हुई. हालांकि पहले के मुकाबले हिमाचल में ब्लैक स्पॉट्स की संख्या (Black spots on National Highway in Himachal) कम हुई है. अब यह घटकर 169 रह गए हैं.
बेशकीमती जानें बन रही काल का ग्रास-वर्ष 2017 में जनवरी से अगस्त माह के दौरान 1888 सड़क हादसों में 779 बेशकीमती जीवन काल का ग्रास बने. इसी तरह वर्ष 2018 में जनवरी से अगस्त के मध्य 1937 सड़क दुर्घटनाओं में 754 लोग मौत का शिकार हुए. इस साल अगस्त में अब तक 1753 हादसों में 688 लोग मारे जा चुके हैं. सड़क हादसों का मुख्य कारण ओवर स्पीड पाया गया है. हिमाचल में ओवर स्पीड से 51 फीसदी से अधिक, गफलत के कारण मुड़ने से 16 फीसदी से अधिक, लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण 9 फीसदी से अधिक हादसे हुए. कुल 4.5 फीसदी हादसे खराब सड़कों, गाड़ियों की खस्ता हालत और मौसम आदि के कारण पेश आए हैं.
हिमाचल में सड़क हादसे.
नए साल में हिमाचल को मिले गहरे जख्म-हिमाचल प्रदेश में पहली जनवरी से पांच फरवरी तक के आंकड़े देखें (National Crime Record Bureau) तो सड़क हादसों में बिलासपुर में 6, चंबा में 7, हमीरपुर में 1, किन्नौर में 2, कुल्लू में 10, मंडी में 15, शिमला में 18, सिरमौर में 11, सोलन में 10 और ऊना में 7 लोगों की मौत हुई. इस दौरान कांगड़ा और लाहौल स्पीति में सड़क दुर्घटना में कोई जनहानि नहीं हुई. यानी हर रोज 2 से अधिक लोगों की सड़क हादसे में जान गई. इसके अलावा भूस्खलन से प्रदेश में 8 लोगों की मौत हुई. डूबने से 2 लोग मारे गए, और आग लगने के कारण भी 2 लोगों की जान गई. दुखद बात यह है कि मकान की छतों से गिरने के कारण भी प्रदेश में इस अवधि में 18 लोगों की मौत हुई. मंडी और चंबा जिले में 6-6 लोगों की मौत भवन से गिरने के कारण हुई.
हिमाचल में दिल दहला देने वाले बड़े हादसे-मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में हिमाचल में भाजपा सरकार के बिल्कुल शुरुआती दौर में कांगड़ा जिले के नूरपुर में बहुत दुखद हादसा हुआ. स्कूल बस गिरने से 9 अप्रैल 2018 को 26 नन्हें बच्चे काल का शिकार हुए. हादसे में कुल 29 लोगों की मौत हुई थी. इस हादसे की न्यायिक जांच के आदेश दिए गए थे. इसी तरह जनवरी 2019 में सिरमौर जिले में स्कूल बस हादसे में सात बच्चों की मौत हुई थी और 10 बच्चे घायल हुए थे. फिर इसी साल जुलाई में राजधानी शिमला के उपनगर झंझीड़ी में स्कूल बस गिरने (Road Accident in shimla) से 2 बच्चों सहित 3 की मौत हुई.
हिमाचल में सड़क हादसे.
वर्ष 2018 में तो अकेले जनवरी महीने में 89 लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई. फिर फरवरी महीने में 85 लोग मौत का शिकार हुए और मार्च महीने में 93 लोगों की जान गई. अप्रैल महीने में दर्दनाक नूरपुर स्कूल बस हादसे ने हिमाचल को कभी न भरने वाले जख्म दिए. नूरपुर हादसे के बाद हिमाचल में पांच साल से पुरानी बसें या टैक्सियां स्कूली बच्चों के लिए न लगाने का आदेश दिया था. यही नहीं बसों के अंदर सीसीटीवी लगाना भी जरूरी किया गया था. इसी तरह 2019 में ही कुल्लू जिले में निजी बस दुर्घटना में 44 लोगों की मौत हुई और 31 घायल हुए.
सड़क हादसों में हर साल यूं बढ़ता गया मौत का ग्राफ
साल
हादसे
मौतें
घायल
2008
2756
848
4836
2009
3051
1140
5579
2010
3069
1102
5335
2011
3099
1072
5325
2012
2899
1109
5248
2013
2981
1054
5081
2014
3058
1199
5680
2015
3015
1096
5109
2016
3153
1163
5587
2017
3119
1176
5338
2018
3115
1168
4836
2019
2844
1130
3105
2020
2190
853
3740
2021
2170
980
2865
परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर ने कहा कि पहाड़ी राज्य होने के कारण हिमाचल प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं (transport minister bikram singh thakur on road accident) की दर अधिक है, जिनमें से अधिकांश जानलेवा होती हैं. यह पाया गया है कि 90 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं मानवीय भूल और लापरवाही के कारण होती हैं. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम में लापरवाही से वाहन चलाने पर कड़े प्रावधान किए गए हैं. उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा पर जागरूकता अभियान कारगर साबित हो रहा है. उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी ब्लैक स्पॉट को ठीक कर रही है. इसके अलावा परिवहन नियमों को भी सख्ती से लागू किया जा रहा है. यही कारण है कि अब सड़क हादसों में कमी देखी जा रही है.