शिमला: प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में सोमवार सुबह उस समय अफरा-तफरी मच गयी जब चिल्ड्रन वार्ड में दाखिल 7 महीने के बच्चे की अचानक मौत हो गयी. बच्चे के परिवार वालों का आरोप है कि मासूम की मौत चिकित्सकों की लापरवाही की वजह से हुई है. वहीं, अस्पताल प्रशासन ने इस मामले में जांच की बात कही है.
जानकारी के मुताबिक तीन दिन पहले शनिवार को रोहड़ू के देविधार गांव से बच्चे को इलाज के लिए आईजीएमसी लाया गया था. परिवार का कहना है कि बच्चे को केवल खांसी थी और चिकित्सकों द्वारा उसे चिल्ड्रन वार्ड में दाखिल कर लिया गया. सोमवार की सुबह बच्चे को जैसे इंजेक्शन लगाया उसके बाद बच्चे के शरीर मे लाल निशान पड़ने लगे और कुछ देर बाद ही बच्चे ने दम तोड़ दिया.
बच्चे की मां परीक्षा रावत का आरोप है कि बेड नंबर 38 पर उनका बच्चा था और उसी बेड पर 14 साल का बच्चा भी एडमिट था. चिकित्सकों की लापरवाही की वजह से सात महीने के बच्चे को वो इन्जेक्शन लगा दिया गया जो 14 साल के बच्चे को लगाया जाना था. जैसे ही मासूम बच्चे को गलत इंजेक्शन लगा उसके बाद उनके बच्चे के शरीर मे लाल निशान पड़ने लगे और बच्चे की मौत हो गयी. मृतक बच्चे की मां ने न्याय की मांग की है.
वहीं, इस संबंध में जब आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनके पास शिकायत आयी है. मामले की गहनता से जांच की जाएगी. बच्चे के पोस्टमार्टम के बाद ही मौत का सही कारण पता लग सकेगा.
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