चौपालः उपमंडल चौपाल के लास्टाधार में प्रस्तावित 66 केवीए सब स्टेशन परियोजना सरकार और स्थानीय नेतृत्व की कमजोर इच्छाशक्ति के चलते दम तोड़ रही है. इस परियोजना को लेकर सरकार में चौपाल का नेतृत्व करने वाले नेता यहां की जनता को कई सब्जबाग दिखा कर बड़े-बड़े दावे करते नहीं थकते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि डेढ़ साल में पूरा होने वाला यह कार्य बीते आठ सालों में 25 फीसदी भी पूरा नहीं हो पाया है.
2012 में शुरू हुई थी योजना
बता दें कि उपमंडल चौपाल में सालों पुरानी बिजली समस्या को देखते हुए 2012 में भाजपा सरकार ने लास्टाधार में 66 केवीए सब स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई थी और उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इस परियोजना का बाकायदा शिलान्यास भी किया था. शिलान्यास के बाद कांग्रेस कार्यकाल में इस परियोजना के लिए 23 करोड़ 86 लाख रुपयों के बजट का प्रावधान कर 2015 में इसके टेंडर भी लगा दिया था. 18 करोड़ रुपये टावर लाइन और करीब 6 करोड़ रुपये सब स्टेशन के निर्माण कार्य के लिए मंजूरी किए गए थे.
टेंडर लेने वाली कंपनी छोड़ चुकी है कार्य
इस परियोजना में कुल 69 टावर लगाए जाने हैं. जिनमें से 41 टावर सरकारी और 28 निजी भूमि पर लगने हैं. सरकार द्वारा निजी भूमि का अधिग्रहण कर मुआवजा राशि भूमि मालिकों को 2015-16 में अदा की जा चुकी है. टेंडर लेने वाली कंपनी एनेर्गो 2017 में कार्य छोड़ चुकी है, जबकि उसकी सह साथी कंपनी एब्सल्यूट इंडिया ने भी 2018 तक करीब 25 फीसदी कार्य करने के बाद इसमें काम बंद कर दिया है.
परियोजना मात्र कागजों तक सीमित
अब स्थिति यह है कि इस परियोजना का टावर लाइन और सिविल वर्क का कार्य मात्र 25 फीसदी होने के बाद दो सालों से पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है. शिलान्यास के आठ साल बीत जाने और प्रदेश में तीन मुख्यमंत्री बदले जाने पर भी किसी भी सरकार ने इस परियोजना को गंभीरता से नहीं लिया, जिस का नतीजा यह है कि यह परियोजना मात्र कागजों में और राजनितिक बयानबाजी तक ही सीमित होकर रह गई है.