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आठ सालों से लटका हुआ है 66 केवीए लास्टाधार सब स्टेशन का कार्य, बिजली समस्या से लोग परेशान

चौपाल में बिजली समस्या को देखते हुए 2012 में भाजपा सरकार ने लास्टाधार में 66 केवीए सब स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई थी, लेकिन ये योजना अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. लोगों ने सीएम जयराम ठाकुर से मांग की है कि लास्टाधार सब स्टेशन और टावर लाइन के फिर टेंडर लगा कर इस के कार्य को जल्द पूरा किया जाए.

Power problem in chaupal
Power problem in chaupal

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Published : Dec 1, 2020, 10:42 PM IST

चौपालः उपमंडल चौपाल के लास्टाधार में प्रस्तावित 66 केवीए सब स्टेशन परियोजना सरकार और स्थानीय नेतृत्व की कमजोर इच्छाशक्ति के चलते दम तोड़ रही है. इस परियोजना को लेकर सरकार में चौपाल का नेतृत्व करने वाले नेता यहां की जनता को कई सब्जबाग दिखा कर बड़े-बड़े दावे करते नहीं थकते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि डेढ़ साल में पूरा होने वाला यह कार्य बीते आठ सालों में 25 फीसदी भी पूरा नहीं हो पाया है.

2012 में शुरू हुई थी योजना

बता दें कि उपमंडल चौपाल में सालों पुरानी बिजली समस्या को देखते हुए 2012 में भाजपा सरकार ने लास्टाधार में 66 केवीए सब स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई थी और उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इस परियोजना का बाकायदा शिलान्यास भी किया था. शिलान्यास के बाद कांग्रेस कार्यकाल में इस परियोजना के लिए 23 करोड़ 86 लाख रुपयों के बजट का प्रावधान कर 2015 में इसके टेंडर भी लगा दिया था. 18 करोड़ रुपये टावर लाइन और करीब 6 करोड़ रुपये सब स्टेशन के निर्माण कार्य के लिए मंजूरी किए गए थे.

टेंडर लेने वाली कंपनी छोड़ चुकी है कार्य

इस परियोजना में कुल 69 टावर लगाए जाने हैं. जिनमें से 41 टावर सरकारी और 28 निजी भूमि पर लगने हैं. सरकार द्वारा निजी भूमि का अधिग्रहण कर मुआवजा राशि भूमि मालिकों को 2015-16 में अदा की जा चुकी है. टेंडर लेने वाली कंपनी एनेर्गो 2017 में कार्य छोड़ चुकी है, जबकि उसकी सह साथी कंपनी एब्सल्यूट इंडिया ने भी 2018 तक करीब 25 फीसदी कार्य करने के बाद इसमें काम बंद कर दिया है.

परियोजना मात्र कागजों तक सीमित

अब स्थिति यह है कि इस परियोजना का टावर लाइन और सिविल वर्क का कार्य मात्र 25 फीसदी होने के बाद दो सालों से पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है. शिलान्यास के आठ साल बीत जाने और प्रदेश में तीन मुख्यमंत्री बदले जाने पर भी किसी भी सरकार ने इस परियोजना को गंभीरता से नहीं लिया, जिस का नतीजा यह है कि यह परियोजना मात्र कागजों में और राजनितिक बयानबाजी तक ही सीमित होकर रह गई है.

2018 में आयोजित जनमंच में उठा था मुद्दा

चार नवंबर 2018 में नेरवा में आयोजित जनमंच के पहले दिन नेरवा की बिजली बाधित होने पर जनमंच की अध्यक्षता करने आए सरकार के मुख्य सचेतक नरेंद्र ब्रागटा ने कड़ा संज्ञान लेते हुए लास्टाधार का दौरा कर विभाग के अधिकारीयों को कड़ी फटकार लगाईं थी और चौपाल की जनता से वादा किया था कि तीन महीने के अंदर इस परियोजना का उद्घाटन कर इसे जनता को समर्पित कर दिया जाएगा. अब चौपाल की जनता का एक ही सवाल है कि सरकार के वह तीन महीने कब पूरे होंगे जब यहां की जनता की यह उमीद पूरी होगी.

बारिश और बर्फबारी में हफ्तों रहती है बिजली गुल

चौपाल के कमजोर नेतृत्व और सरकार द्वारा इस परियोजना के प्रति वर्षों से की जा रही अनदेखी का खामियाजा आज भी चौपाल की जनता को अंधेरे में रह कर भुगतना पड़ रहा है. जनता की दुश्वारियों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जरा सी हवा चलने पर भी लोगों को घंटों अंधेरे में रहना पड़ता है, जबकि बारिश और बर्फबारी में तो हफ्तों बत्ती गुल होना आम बात है. यदि 66 केवीए टावर लाइन बन कर तैयार हो जाए तो लोगों को बिजली की इस भीषण समस्या से निजात मिल सकती है.

टावर लाइन के फिर टेंडर लगाने की मांग

ग्राम पंचायत देवत के पूर्व प्रधान योगेश अजटा ने सरकार पर चौपाल की अनदेखी के आरोप जड़ते हुए कहा कि सरकार चौपाल की इस महत्वाकांक्षी योजना के प्रति कभी भी गंभीर नजर नहीं आई. उन्होंने चौपाल के विधायक पर भी लास्टाधार सब स्टेशन के नाम पर जनता को बेवकूफ बनाने के आरोप लगाए हैं. चौपाल की लोगों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मांग की है कि लास्टाधार सब स्टेशन और टावर लाइन के फिर टेंडर लगा कर इस के कार्य को जल्द मुकम्मल किया जाए ताकि लोगों को आए दिन होने वाली बिजली समस्या से निजात मिल सके.

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