शिमला: पशुओं को आवारा छोड़ने पर सजा भी मिल सकती है. इसको लेकर प्रदेश सरकार कानून बनाने जा रही है. पशुओं को आवारा छोड़ने पर पहले पंचायत प्रधानों (Panchayat Pradhans) को सजा देने का अधिकार था, लेकिन अब सख्ती से निपटने का निर्णय लिया गया. अब सजा का अधिकार एसडीएम या समकक्ष अधिकारी को देने की तैयारी चल रही है. साथ ही जुर्माना राशि (fine amount) को भी बढ़ाया जाएगा. यह बात ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर (Rural Development Minister Virender Kanwar) ने विधानसभा में प्रशनकाल के दौरान कही.
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायक रमेश धवाला (MLA Ramesh Dhawala) और पवन काजल के संयुक्त सवाल का जवाब देते हुए ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि लोग पशुओं को बेसहारा न छोड़ें. इसके लिए सरकार जुर्माने की राशि को बढ़ा रही है. मौजूदा 500 रुपए से बढ़ाकर 5 हजार रुपए किया जा रहा है. इसे लेकर हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 2006 (Himachal Pradesh Panchayati Raj Act 2006) में जल्द संशोधन किया जाएगा.
विरेंद्र कंवर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 2006 के तहत पशुपालकों द्वारा ग्राम पंचायत में अपने पशुओं का पंजीकरण अनिवार्य है. साथ ही पंजीकरण के बाद पशुओं को आवारा छोड़ने वाले पशुपालकों पर संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा प्रथम अपराध के लिए 500 रुपए और दूसरे व उसके बाद अपराध पर 700 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा कि अब गौ सेवा आयोग की 17 जुलाई को हुई बैठक में प्रस्ताव पास हुआ. हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 2006 में संशोधन कर जुर्माने की राशि को 500 रुपए से बढ़ाकर 5 हजार रुपए करने का प्रावधान करने की सिफारिश की गई. उन्होंने कहा कि इसे लेकर पंचायती राज अधिनियम (Panchayati Raj Act) में जल्द संशोधन (Amendment) किया जाएगा.