शिमला: हिमाचल की सीमा पर रोके गए 3518 लोगों को जल्द ही उनके घरों तक पहुंचाने का कार्य शुरू हो सकता है. हालांकि इससे पहले इनका कोविड-19 टेस्ट किया जाएगा, जिसके लिए प्रदेश सरकार ने 30 हजार रैपिड टेस्टिंग किट की मांग केंद्र सरकार से की है.
देश में लॉकडाउन की घोषणा के बाद ये सभी अन्य राज्यों से प्रदेश में अपने घर आने की कोशिश में थे. हालांकि, इन सभी का टेस्ट एकदम से संभव होता नहीं दिख रहा है. ऐसे में रैंडम सर्वे करवाकर ही इनको घर भेजा जा सकता है. रेपिड टेस्टिंग किट से करीब 30 से 45 मिनट में ये पता चल जाएगा कि व्यक्ति कोविड-19 के संपर्क में आया है या नहीं. इसके बाद री-टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद व्यक्ति को घर भेज दिया जाएगा.
ऐसे में यदि रैंडम सर्वे में लोगों की हकीकत सामने आएगी तो कई जानें बच सकेंगी. राज्य में अब तक 5454 व्यक्तियों को निगरानी में रखा गया था, जिनमें से 3246 लोगों ने 28 दिनों की निगरानी अवधि पूरी कर ली है. अब तक राज्य में 1113 व्यक्तियों की जांच की जा चुकी है.1081 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है.
कोविड-19 के लिए विशेष तौर पर गठित आपदा प्रबंधन टीम के नोडल ऑफिसर डीसी राणा ने कहा कि प्रदेश की सीमा पर और प्रदेश के बाहर सभी हिमाचलियों के हितों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. किसी को भी खाने और रहने की कोई दिक्कत नहीं होने दी जाएगी.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने रैपिड टेस्टिंग किट के लिए एक एडवाजरी जारी की है, जो रक्त, सीरम या प्लाज्मा पर आधारित है. 30 मिनट में कोरोना वायरस या एसएआरएस सीओवी 2 के संपर्क में आने का रिजल्ट बता देगा. यदि कोई रोगी वायरस के संपर्क में आया है तो इसकी जानकारी तत्काल मिल जाएगी.
जैव अनुसंधान निकाय ने 12 अनुमोदित रैपिड परीक्षण किट सूचीबद्ध किए हैं, जिनमें 11 यूरोपीय नियामक से प्रमाणित करवाया है. इसमें यूरोपीय रेगुलेटर द्वारा प्रमाणित परीक्षण किट में एक सिंगापुर स्थित फर्म सेंसिंग सेल्फ लिमिटेड, दूसरी यूएस आधारित फर्म बायोमोनिक्स और सीटीके बायोटेक इंक और गेटिन बायोटेक, हांग्जो बायोटेक कंपनी लिमिटेड और बीजिंग जैसी कम से कम पांच चीन की फर्में शामिल हैं.
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