शिमला: हिमाचल प्रदेश के लिए इस वित्तीय वर्ष में मनरेगा के तहत निर्माण सामग्री खरीदने और प्रशासनिक खर्च के लिए केंद्र से 316.80 करोड़ रुपये की धनराशि जारी (316 crore 80 lakh released to Himachal) की गई है. केंद्र से इस बारे में राज्य सरकार को सूचना मिल गई है. उक्त रकम जारी करने पर ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने केंद्र सरकार का आभार जताया है. उन्होंने कहा कि यह राशि प्राप्त होने से मनरेगा के कार्यों में गति आएगी और लंबित देनदारियों का निपटारा भी किया जा सकेगा.
वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश में मनरेगा के अन्तर्गत बेहतर कार्य किया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश में मनरेगा ग्रामीण विकास और आर्थिकी के उत्थान (MGNREGA in Himachal Pradesh) में यह उपयोगी सिद्ध हो रही है. उन्होंने कहा कि विशेष तौर पर कोरोना काल में मनरेगा ग्रामीण आर्थिकी के लिए सम्बल बनी है और इसके माध्यम से हजारों लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 में मनरेगा के अन्तर्गत 330 लाख कार्य दिवसों के विरुद्ध 336.10 लाख कार्य दिवस अर्जित किए गए और 988.95 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय की गई.
इसी तरह से वर्ष 2021-22 में 343 लाख लक्षित कार्य दिवसों के विपरीत 370.87 लाख कार्य दिवस अर्जित किए गए और 1091.31 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय की गई. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री ने कहा कि वर्ष 2020-21 में मनरेगा के अन्तर्गत 6.36 लाख परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया. वर्ष 2021-22 में 7.07 लाख परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया. उन्होंने कहा कि मनरेगा के अन्तर्गत वर्ष 2020-21 में 75 हजार 814 कार्य पूर्ण किए गए और वर्ष 2021-22 में 80 हजार 957 कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं.
उल्लेखनीय है कि मनरेगा के माध्यम से कोरोना काल में हिमाचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिला था. कोरोना संकट शुरू होने पर हिमाचल को केंद्र की तरफ से वर्ष 2020 में 80 करोड़ रुपये जारी किए गए थे. हिमाचल में मनरेगा के तहत कुछ सृजनात्मक कार्य भी किए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की गृह पंचायत मुरहाग में मनरेगा के माध्यम से एक शानदार पार्क का निर्माण किया गया है जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी आ रहे हैं.
बरसात के दौरान भी भारी बारिश से जिन मकानों को क्षति पहुंची थी. उसकी मरम्मत भी मनरेगा के तहत की गई. कोरोना काल में ग्रामीणों को सहारा देने के लिए व्यवस्था की गई थी कि लोग अपने खेतों में काम करने के लिए मनरेगा के माध्यम से पात्र हैं. फिलहाल केंद्र की तरफ से बजट जारी होने पर हिमाचल के लंबित कार्य फिर से शुरू हो सकेंगे.
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