शिमला:अपने हक के लिए हिमाचल सरकार ने एक (30th meeting of the Northern Zonal Council) बार फिर उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में दर्द साझा किया. दशकों पुराने पौंग बांध विस्थापितों के पुनर्वास के मुद्दे और बीबीएमबी के अपने हक को लेकर प्रदेश सरकार इस बार भी केंद्रीय गृह मंत्री के समक्ष गिड़गिड़ाई.
बैठक ने उठा पौंग बांध विस्थापितों के पुनर्वास का मसला: राजस्थान के जयपुर में उत्तर क्षेत्रीय परिषद की 30वीं बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने केंद्र सरकार से सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयानुसार पौंग बांध विस्थापितों के लंबित मामलों का शीघ्र समाधान करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने राष्ट्र के विकास में सदैव ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा कि पौंग बांध और अन्य जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण से प्रदेश के लोगों ने विस्थापन का दर्द झेला है. पौंग बांध के निर्माण के दृष्टिगत 16,352 विस्थापित हिमाचलियों के पुनर्वास के लिए राजस्थान में 2.25 लाख एकड़ भूमि आरक्षित की गई थी. उन्होंने कहा कि इनमें से केवल 8,713 विस्थापितों को भूमि/मुरब्बा उपलब्ध करवाया गया है.
रेणुका जी बांध परियोजना से सभी पड़ोसी राज्यों की सहायता कर रहा हिमाचल: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 दिसम्बर, 2021 को सिरमौर जिले की गिरी नदी पर 7 हजार करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाली रेणुका जी बांध परियोजना की आधारशिला रखी. उन्होंने कहा कि 40 मेगावाट की इस परियोजना से 200 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा. उन्होंने कहा कि इससे दिल्ली के पीने के पानी की 40 प्रतिशत आवश्यकता की पूर्ति होगी. उन्होंने कहा कि यह योजना उत्तरी क्षेत्रों के कई राज्यों की ऊर्जा और पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण साबित होगी.
जयराम सरकार ने फिर मांगा बीबीएमबी में अपना हक:मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Northern Zone Council Meeting) ने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) परियोजनाओं में हिमाचल प्रदेश की हिस्सेदारी 7.19 प्रतिशत है, परन्तु राज्य को इसमें पूर्णकालिक सदस्य का दर्जा प्राप्त नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि भाखड़ा परियोजना में प्रदेश की 1 लाख एकड़ से अधिक उपजाऊ भूमि और ब्यास नदी पर पौंग परियोजना के कारण डैहर में 65,563 एकड़ भूमि जलमग्न हो गई है जबकि प्रदेश को इन जलाशयों से उत्पन्न बिजली और पानी के उचित उपयोग का अधिकार नहीं दिया गया है.