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20 नवंबर का पंचांगः जानिए दिन और रात का चौघड़िया, शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय, क्या कहते हैं आपके सितारे? - TIMING OF RAHUKAL

Aaj Ka Panchang: हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है. पंचांग के माध्यम से समय एवं काल की सटीक गणना की जाती है. मूल तौर पर पंचांग पांच अंगों से मिलकर बना होता है. ये पांच अंग- तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण हैं. आएये जानते हैं, आज का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय.

PANCHANG
आज का पंचांग

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Published : Nov 20, 2021, 8:08 AM IST

शिमला: हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है. पंचांग के माध्यम से समय एवं काल की सटीक गणना की जाती है. मूल तौर पर पंचांग पांच अंगों से मिलकर बना होता है. ये पांच अंग- तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण हैं. यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुर्हूत, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षण, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू मास आदि की जानकारी देते हैं. आएये जानते हैं, आज का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय.

20 नवंबर 2021 शनिवार: मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष सूर्योदय प्रतिपदा तिथि शाम 05:04 तक उसके उपरांत द्वितीया तिथि.

मार्गशीर्ष महा प्रारंभ

सर्वार्थ सिद्धि योग:- आज प्रातः 06:35 से पूर्ण रात्रि तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा.

अमृत सिद्धि योग:- आज प्रातः 06:35 से पूर्ण रात्रि तक अमृत सिद्धि योग रहेगा.

नक्षत्र : रोहिणी

योग : शिव 28:49

करण : कौलव 17:05

चन्द्रमा : वृष

सूर्योदय : 06:57

सूर्यास्त : 17:36

दिशाशूल : पूर्व

निवारण उपाय : उड़द का सेवन

ऋतु : हेमंत ऋतु

गुलिक काल : 06:00 से 07:30

राहुकाल : 09:00 से 10:30

अभीजित : 11:52 से 12:40

विक्रम संवत : 2078

शक संवत : 1943

युगाब्द : 5123

संवत सर नाम : राक्षस

शुभ चौघड़िया मुहूर्त दिन

शुभ :- प्रातः 07:57 से 09:20 प्रातः तक

चर सामान्य :- दोपहर 12:05 से 01:27 दोपहर तक

लाभ :- दोपहर 01:27 से 02:49 तक

अमृत:- दोपहर 02:49 से 04:12 शाम तक

शुभ चौघड़िया मुहूर्त रात्रि

लाभ :- शाम 05:34 से 07:12 रात तक

शुभ :- रात 08:49 से 10:27 रात तक

अमृत :- रात 10:27 से 12:05 रात तक

चर सामान्य :- रात 12:05 से 01:43 रात तक

लाभ :- रात 04:58 से 06:36 अगले दिन की प्रातः तक

आज के विशेष योग : वर्ष का 222वां दिन, मेला चंद्रभागा समाप्त झालावाड़ (राजस्थान में), रोहिणी व्रत (जैन), (विवाह मुहूर्त्त रोहिणी में), इष्टि, अशून्य शयन व्रत.

वास्तु टिप्स : यदि सिराहना पश्चिम की ओर हो तो पलंग का एक सिरा पश्चिम की दीवार को छूता हुआ होना चाहिए.

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