कुल्लू: जिला कुल्लू में 20 भादो(भाद्रपद) के पर्व पर श्रद्धालुओं ने नदी-नालों में श्रद्धा की डुबकी लगाई. देवी-देवताओं के रथ भी पवित्र स्नान के लिए पवित्र स्थलों पर पहुंचे. मान्यता है कि इस पर्व पर स्नान करने से प्राकृतिक जल स्रोतों में स्नान करने से कई तरह की बीमारियां खत्म हो जाती है.
जिला कुल्लू के मणिकर्ण, वशिष्ठ, गड़सा व जिया संगमस्थल के अलावा पवित्र नदी-नालों पर भी लोग सुबह से ही स्नान के लिए जुटे रहे. इसके अलावा कई जगहों पर देवी-देवताओं ने भी अपने हारियानों के साथ संगम स्थल पर आकर शाही स्नान किया. हालांकि कोरोना के चलते धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा नहीं लगा. इसके बावजूद भी लोगों में 20 भादो(भाद्रपद) को लेकर उत्साह कम नहीं हुआ. सुबह के समय ठंड के बावजूद लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई. वहीं, कई श्रद्धालुओं ने देवस्थलों में बावड़ी में भी पवित्र स्नान किया.
गौर रहे कि 20 भादो के स्नान का काफी महत्व है. स्थानीय लोगों की आस्था और मान्यता के अनुसार 20 भादों के दिन पहाड़ों पर उगी जड़ी-बूटियां पानी के माध्यम से निचले क्षेत्रों में पंहुचती हैं और इस दिन प्राकृतिक जल स्रोतों पर स्नान करने से शरीर संबंधित सभी बीमारियां खत्म हो जाती हैं. भाद्रपद मास में पहाड़ों पर उगने वाली जड़ी-बूटियां अपने यौवन पर होती है और नदी-नाले किनारे होने के कारण इनके औषधीय गुण भी पानी में मिल जाते हैं.
भाद्रपद मास खत्म होने के बाद इनके पौधे भी सूखने लगते हैं. ऐसे में भाद्रपद मास का स्नान लोगों की सेहत के लिए भी काफी खास रहता है. बरसात के मौसम में अधिकतर नदी-नालों का पानी भी एक दूसरे से मिलता है. माता भागसिद्ध के हारियान परस राम का कहना है कि देवी ने भी अपने श्रद्धालुओं व हारियानों के साथ पवित्र स्नान किया है. 20 भादो के अवसर पर स्नान करने से चर्म रोग दूर होते हैं और पाप कर्म से भी मुक्ति मिलती है.
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