शिमला:करीब आधी सदी का समय होने को आया, लेकिन देश में इमरजेंसी की कड़वी यादें अभी भी ताजा हैं. हिमाचल प्रदेश के कई नामी नेता और जेपी आंदोलन से जुड़े युवा जेल में ठूंस दिए गए थे. नाहन सेंट्रल जेल में 19 महीने की कैद काटने वालों में शांता कुमार सहित कई अन्य नाम थे. ऐसे ही एक युवा नेता डॉ. राधारमण शास्त्री भी थे. राधारमण शास्त्री 1975 में महज 32 साल के थे. वर्ष 1975 में जून की 25 तारीख को बुधवार था.
दे रहे थे भाषण, पुलिस ले गई जेल: स्मृतियों को खंगालते हुए डॉ. शास्त्री बताते हैं- ये समाचार जंगल की आग की तरह फैला कि इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू कर दी है. इंदिरा सरकार ने कई तरह की पाबंदियां लगा दीं. उसके बाद देश भर में आपातकाल का विरोध शुरू हो गया. डॉ. शास्त्री के मुताबिक हिमाचल बेशक छोटा सा पहाड़ी राज्य है, लेकिन यहां राजनीतिक रूप से चेतना का बहुत विस्तार था. अगले ही दिन प्रदेश में जगह-जगह आपातकाल के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे. इसी तरह का एक आयोजन शिमला के नाज नामक स्थान पर था.
माल रोड व लोअर बाजार के संधि स्थल नाज पर इमरजेंसी के बाद की एक सुबह लोक संघर्ष समिति का प्रदर्शन था. ये जेपी आंदोलन से उपजी समिति थी. डॉ. शास्त्री यहीं पर आपातकाल के खिलाफ भाषण दे रहे थे. उनका भाषण अभी पूरा भी नहीं हुआ था कि पुलिस ने उन्हें जबरन पकड़ा और गाड़ी में बैठा दिया. शिमला से उन्हें सीधे सेंट्रल जेल नाहन ले (Radharaman Shastri was jailed) जाया गया. राधारमण शास्त्री पूरे 19 महीने नाहन जेल में बंद रहे. बाद में साल 1977 में इमरजेंसी खत्म होने पर ही डॉ. शास्त्री जेल से बाहर आए.
जेब थी खाली, बैंक में थे अस्सी रुपए:उस समय को याद करते हुए डॉ. शास्त्री बताते हैं कि जिस समय वे जेल गए उनकी जेब में कोई पैसा नहीं था. बैंक में भी मात्र अस्सी रुपए की मामूली रकम थी. हिमाचल को तब नया-नया पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था. वर्ष 1971 में यह 25 जनवरी का सर्द दिन था. बर्फबारी हो रही थी जब शिमला के रिज मैदान पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का ऐलान किया था. उसके ठीक चार साल बाद यानी वर्ष 1975 में जून महीने की 25 तारीख को देश में आपातकाल लागू हो (1975 Emergency Declared By Indira Gandhi ) गया.
डॉ. शास्त्री के अनुसार जेपी आंदोलन का प्रभाव हमारे मन-मस्तिष्क पर था. गुरुवार 26 जून को ही राधारमण शास्त्री कुछ अन्य नेताओं के साथ नाहन जेल ले जाए गए. वहां उनके साथ शांता कुमार, दौलतराम चौहान, दुर्गा सिंह राठौर, पंडित संतराम, श्यामा शर्मा व एक अध्यापक रामदास भी थे. जेल में शांता कुमार व राधारमण शास्त्री की चारपाई साथ-साथ थी. शास्त्री के अनुसार जिस समय वे जेल गए, उनकी शादी हो चुकी थी. धर्मपत्नी विद्यावती शास्त्री के पास इंश्योरेंस एजेंसी थी. शास्त्री तो जेल चले गए, लेकिन उनके पीछे धर्मपत्नी के पास घर चलाने का संकट खड़ा हो गया. राधारमण शास्त्री याद करते हैं कि कैसे किस्मत की मेहरबानी हुई और इंश्योरेंस कंपनी के पास बकाया पड़ी कमीशन के चार हजार रुपए जारी हुए. फिर डेढ़ माह के बाद ही एरियर के 42 हजार रुपए मिले तो घर-गृहस्थी चलाने का मसला हल हो गया. विद्यावती शिमला में अपने पिता के पास रहने लगी.
जेल में होती थी राजनीतिक चर्चाएं:उधर, जेल में बंद (Central Jail Nahan) डॉ. शास्त्री अन्य नेताओं के साथ राजनीतिक चर्चा में मशगूल रहते. राधारमण शास्त्री बताते हैं कि जेल में वैसे तो आराम था, पर समय काटने का उपाय तो कोई न कोई करना ही था, लिहाजा आयुर्वेद का अध्ययन शुरू किया. उस दौरान कोई चार हजार रुपए की आयुर्वेद पर आधारित किताबें मंगवाई. शांता कुमार भी अध्ययनन प्रेमी थे. उन्होंने तो आपातकाल के दौरान लेखन कार्य भी खूब किया. राधारमण शास्त्री को पाक कला का भी शौक था. वे जेल में खाना बनाने में भी हाथ बंटाते. आपातकाल के दौरान राधारमण शास्त्री अन्य लोगों के साथ जिस नाहन सेंट्रल जेल में कैद थे, उसका दरवाजा 22 फुट ऊंचा था. बाहर की दुनिया से संपर्क नहीं था. कभी-कभार जिस सिपाही से बाहर से कोई सामान वगैरा मंगवाते, उससे ही कुछ सूचनाएं मिल जाती कि जेल से बाहर की दुनिया में क्या हो रहा है.
जेल से बाहर आने के बाद चौपाल विधानसभा क्षेत्र से लड़ा चुनाव और विजयी हुए:अखबारें हिंदी की आती थीं. पंजाब केसरी व वीरप्रताप, लेकिन खबरें सेंसर होती थीं. इंडियन एक्सप्रेस में कई कॉलम ब्लैंक यानी खाली होते थे. उन पर लिखा होता था सेंसर्ड. इस तरह जेल में समय काटने का सबसे बड़ा सहारा आपस में राजनीतिक चर्चा ही रहता. कभी-कभी घर-परिवार से कोई मिलने आ जाता तो भी प्रदेश की सूचनाएं मिल जातीं. मिलने के लिए समय लेना पड़ता. मुलाकात के दौरान बातचीत पर जेल कर्मियों की नजर रहती. राधारमण शास्त्री बताते हैं कि उनकी धर्मपत्नी भी मिलने के लिए नाहन जेल आई थीं. तब परिवार के सदस्य घर की परेशानियों के बारे में बात नहीं करते थे. यही कहा जाता कि घर-परिवार में सब अच्छे से चल रहा है और आप अपना ख्याल रखें. इमरजेंसी खत्म होने के बाद वर्ष 1977 में शास्त्री अन्य नेताओं के साथ जेल की कैद से छूटे. सभी लोग मेंटेनेंस ऑफ इंडियन सिक्योरिटी एक्ट के तहत जेल में बंद किए गए थे. जेल से बाहर आने के बाद जनता पार्टी व अन्य समानधर्मा दलों की बैठक हुई. राधारमण शास्त्री ने चौपाल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विजयी हुए. वे बाद में हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे. प्रदेश के शिक्षा मंत्री का कार्यभार भी संभाला.