शिमलाःकर्ज के बोझ तले डूबे हिमाचल प्रदेश के लिए नए वित्तीय वर्ष में एक और राहत की खबर है. प्रदेश सरकार अब साल भर में 7000 करोड़ रुपए का लोन ले सकेगी. वित्तायोग की एक सिफारिश से ऐसा संभव हुआ है.
प्रदेश सरकार की कर्ज की लिमिट 7000 करोड़
पंद्रहवें वित्तायोग ने सिफारिश की है कि हिमाचल की कर्ज लेने की लिमिट एक फीसदी बढ़ा दी जाए. यानी तीन फीसदी से चार फीसदी कर दी जाए. ऐसे में प्रदेश सरकार की वित्तीय वर्ष में कर्ज की लिमिट इस बार सात हजार करोड़ रुपए बन सकती है.
सालाना कर्ज लिमिट तीन फीसदी
वहीं, पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले ये 1800 करोड़ रुपए ज्यादा होगी. पहले ये लिमिट 5200 करोड़ रुपए थी. प्रदेश सरकार अपनी जीडीपी का तीन फीसदी कर्ज ले सकती है. दूसरे शब्दों में कहें तो राज्य सरकार की सालाना कर्ज लिमिट अपनी जीडीपी की तीन फीसदी रहती है.
कर्ज लिमिट बढ़ाने पर रखी शर्त
अब वित्तायोग की सिफारिश से ये चार फीसदी हो सकेगी. बेशक पंद्रहवें वित्तायोग ने राज्य की कर्ज लिमिट को एक फीसदी बढ़ाने की सिफारिश की है, लेकिन एक शर्त भी रखी है. ये शर्त हालांकि, हिमाचल सरकार आसानी से पूरा कर सकती है.
पर्यटन सेक्टर को विकसित करने की शर्त
वित्तायोग ने शर्त रखी है कि हिमाचल को अपने पर्यटन सेक्टर को और विकसित करना होगा. इस समय हिमाचल में साल भर में पौने दो करोड़ सैलानी सैर को आते हैं. यदि नए पर्यटन क्षेत्र विकसित हों तो सैलानियों की आमद का आंकड़ा भी दो करोड़ पार कर जाएगा.