हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / city

जलवायु परिवर्तन से कभी सूखा तो कभी बारिश: खेती को 133 करोड़ का नुकसान, 218 लोगों की मौत - खेती को 133 करोड़ का नुकसान

जलवायु परिवर्तन के कारण हिमाचल में किसानों और बागवानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान इस नुकसान पर चर्चा हुई. चर्चा का जवाब देते हुए बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने सदन में बताया कि सूखे के कारण करीब डेढ़ लाख हैक्टेयर कृषि भूमि पर लगी फसल का नुकसान हुआ है. इससे किसानों को 133 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है.

जलवायु परिवर्तन से कभी सूखा तो कभी बारिश
जलवायु परिवर्तन से कभी सूखा तो कभी बारिश

By

Published : Aug 4, 2021, 9:33 PM IST

शिमला: जलवायु परिवर्तन के कारण हिमाचल में किसानों और बागवानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. कभी सूखा और कभी बिना जरूरत बारिश होने से फसलों तथा फलों को हर साल करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है. विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान इस नुकसान पर चर्चा हुई. नियम-130 के तहत कांग्रेस विधायक इंद्रदत्त लखनपाल, भाजपा विधायक विशाल नैहरिया व अन्य ने ये मामला उठाया.

चर्चा का जवाब देते हुए बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने सदन में बताया कि सूखे के कारण करीब डेढ़ लाख हैक्टेयर कृषि भूमि पर लगी फसल का नुकसान हुआ है. इससे किसानों को 133 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है. बागवानी में भी 144 करोड़ रुपए से अधिक की क्षति हो चुकी है. भारी बारिश के कारण इस साल जून से लेकर अब तक 218 लोगों की मौत हो चुकी है। अभी तक 12 लोग लापता हैं.

किसानी और बागवानी को हुए नुकसान पर संबंधित विभागों को क्रमश: पौने चार करोड़ और पांच करोड़ रुपए जारी किए गए हैं. महेंद्र सिंह ने कहा कि सूखे की स्थिति को देखते हुए जलशक्ति विभाग को 25 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं. मंत्री ने कहा कि सूखे और ओलावृष्टि से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार को 645 करोड़ रुपए की राहत राशि जारी करने के लिए आग्रह किया गया है.

बागवानी मंत्री ने सदन में बताया कि इस साल जून महीने से अब तक 218 लोगों की मौत भारी बारिश और बाढ़ के कारण हुई है. शिमला जिला में सबसे अधिक 34 लोगों की मौत हुई है. इसके अलावा मंडी में 19, सोलन में 16, किन्नौर में 14, कुल्लू में 17, बिलासपुर में 17, लाहौल-स्पीति में 18, चंबा में 21, हमीरपुर में 5, कांगड़ा में 25, सिरमौर में 23, ऊना में 14 लोगों की मौत हुई.

यही नहीं, बरसात में 442 पशुओं की मौत हुई है. विभिन्न इलाकों में 1152 मकानों, पशुशालाओं को नुकसान हुआ है. इस दौरान सड़कों व पुलों को 450 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है. मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण हम आसपास कई तरह की घटनाएं देखते हैं. उन्होंने कहा कि पहले खेती-किसानी के लिए लोग मौसम का अनुमान खुद लगा लिया करते थे.

अब मौसम कब बदल जाए पता ही नहीं चलता. महेंद्र सिंह ने अपने विधानसभा क्षेत्र में बादल फटने की घटना के निजी अनुभव को भी सदन के साथ सांझा किया. इससे पहले जलवायु परिवर्तन से खेती-बागवानी को हो रहे नुकसान पर विपक्ष व सत्ता पक्ष के सदस्यों ने अपनी बात रखी और बताया कि कैसे पूरे प्रदेश को ये परिवर्तन प्रभावित कर रहा है.

ये भी पढ़ें: भुंतर हवाई अड्डे से कई राज्यों में विमान सेवा शुरू करने की तैयारी, CM जयराम ने कंपनियों से किया आग्रह

ABOUT THE AUTHOR

...view details