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खुशहाल किसान योजना: प्रदेश के 11 हजार सेब बागवानों ने शुरू की प्राकृतिक खेती

प्राकृतिक खेती के तहत सेब बागवानी को लेकर शिमला में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान योजना के राज्य परियोजना निदेशक एवं विशेष सचिव कृषि राकेश कंवर ने प्रदेश के 8 जिलों से आए उत्तम बागवानों से सेब बागवानी के बारे में विचार सांझा किए.

11 thousand apple Gardeners started natural farming under Khushal Kisan Yojana
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Published : Mar 14, 2021, 7:28 PM IST

शिमलाः हिमाचल की आर्थिकी में अहम भूमिका निभाने वाली सेब बागवानी की बढ़ती लागत को कम करने के लिए प्रदेश के बागवानों ने सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि से सेब बागवानी शुरू कर दी है.

सेब बागवानी में प्रयोग होने वाले मंहगे खादों, कीटनाशकों और फफूंदनाशकों के बजाए अब प्रदेश के 11 हजार सेब बागवानों ने प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत शुरू की गई.

1 से 55 बीघा के बागिचों में बागवानी शुरू

ढाई साल पहले प्रदेश में शुरू की गई इस योजना के तहत सेब बागवानी के लिए प्रसिद्ध शिमला, कुल्लू, मंडी, चंबा और सिरमौर जिला के किसानों ने अपने 1 से 55 बीघा के बागिचों में बागवानी शुरू कर दी है.

प्राकृतिक खेती पर विचार सांझा

प्राकृतिक खेती के तहत सेब बागवानी को लेकर शिमला में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान योजना के राज्य परियोजना निदेशक एवं विशेष सचिव कृषि राकेश कंवर ने प्रदेश के 8 जिलों से आए उत्तम बागवानों से सेब बागवानी के बारे में विचार साझा किए.

सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि के सफल परिणाम

राकेश कंवर ने कहा कि सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि के सफल परिणाम सभी तरह की अनाज फसलों, सब्जियों और फलों में देखे गए हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक इस खेती विधि से 11 हजार बागवान और 1 लाख किसान जुड़ चुके हैं और बड़ी तेजी से यह विधि खासकर बागवानों में ख्याति पा रही है.

प्राकृतिक खेती के उत्पादों के अलग से दुकान का प्रावधान

उन्होंने कहा कि इस विधि के तहत विश्वविद्यालयों और विभाग स्तर पर शोध किए गए हैं. जिनके सफल परिणाम देखने को मिले हैं. राकेश कंवर ने कहा कि इस साल प्राकृतिक खेती कर रहे बागवानों का पंजीकरण कर उन्हें उचित बाजार मुहैया करवाया जाएगा.

प्राकृतिक खेती विधि पर शोध कार्य जानकारी

इसके अलावा एचपीएमसी की मंडियों में प्राकृतिक खेती के उत्पादों के लिए अलग से दुकान का प्रावधान भी किया जाएगा. इस मौके पर बागवानों को उनके केंद्र पर प्राकृतिक खेती विधि पर चल रहे शोध कार्य के बारे में जानकारी दी.

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