नाहन: प्रदेश सहित जिला सिरमौर में अनेक स्थानों पर वनों में चीड़ के जंगल पाए जाते (Sirmaur Forest Department) हैं. चीड़ से इन दिनों गिरी पत्तियां अक्सर वनों में आग का बड़ा कारण बनती हैं. लेकिन इन पत्तियों को उपयोग में लाकर जहां जंगलों को आग से बचाया जा सकता है, तो वहीं यह पत्तियां रोजगार का एक साधन भी बन सकती हैं. खासकर महिला वर्ग इसमें भाग लेकर अपनी आर्थिकी को भी सुदृढ़ कर सकती हैं. इसी को लेकर जिला सिरमौर में पच्छाद के बाग पशोग में वन विभाग ने डीआरडीए के सहयोग से 4 दिवसीय चीड़ आधारित प्रशिक्षण शिविर का आयोजन (pine based training camp in nahan) किया. इसमें विभिन्न महिला मंडलों को चीड़ की पत्तियों से रस्सी, कोयला सहित अन्य उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
चीड़ की पत्तियों को रसायन से धोने और मशीनों के माध्यम से साफ करने और फिर कई उत्पाद बनाने के बारे में बताया जाएगा. वन विभाग के प्रयास है कि जिले में जगह-जगह पर ऐसे प्रशिक्षण शिविर लगाए जाएं और महिलाओं को इस रोजगार कार्य से जोड़ा (products from pine leaves) जाए. इस शिविर में ग्रामीण क्षेत्रों की 75 महिलाएं हिस्सा ले रही हैं. दरअसल जिला सिरमौर में करीब 12 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में चीड़ का जंगल फैला है, जहां टनों के हिसाब से चीड़ की सुखी पत्तियां जमीन पर बिखरी देखी जा सकती है. गर्मी का मौसम चल रहा है. ऐसे में आगजनी की स्थिति में यह पत्तियां बारूद का काम करती है.