शिलाईः हिमाचल और उत्तराखंड के विभाजन के कई दशकों बाद उत्तराखंड और हिमाचल के अंतरराज्यीय सीमा मीनस में एक हैरत अंगेज कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां हिमाचल की सीमा पर उत्तराखंड राज्य का पीडब्लूडी महकमा निर्माण कार्य करवा रहा है.
मिली जानकारी के अनुसार लगभग 8-10 लाख रुपये खर्च करके उत्तराखंड पीडब्लूडी विभाग की ओर से हिमाचल प्रदेश की सड़क में सुरक्षा दीवार और पैरापिट का निर्माण करवाया गया है.
हालांकि, पड़ोसी राज्य उत्तराखंड द्वारा ऐसा अंतरराज्यीय सीमा विवाद की वजह से किया गया है या कारण कुछ और है. फिलहाल ये स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन इस पर हिमाचल लोक निर्माण विभाग के साथ स्थानीय प्रशासन के मुस्तैदी की पोल जरूर खुलती नजर आ रही है.
दोनों पूर्व सरकारों ने करवाया था कार्य
जानकारों की मानें तो उत्तराखंड राज्य बनने से पहले जब ये राज्य उत्तर प्रदेश का हिस्सा था. तब उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर और हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अंतरराज्यीय सीमा में टोंस नदी पर बने मीनस पुल का संयुक्त रूप से लोकार्पण किया था.
पुल के एक छोर पर वीरबहादुर और दूसरे छोर पर वीरभद्र सिंह की लोकार्पण पट्टिका लगाई गई थी, जिसके बाद ये स्पष्ट हो गया था कि टोंस नदी के एक किनारे उत्तराखंड राज्य, जबकि दूसरे किनारे से हिमाचल प्रदेश की सीमा आरंभ होती है.
हिमाचल पीडब्लूडी ने नहीं जताया विरोध
अधिशासी अभियंता धीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उत्तराखंड पीडब्लूडी द्वारा टोंस नदी के उस पार तक निर्माण कार्य पुल लगने के बाद से ही करवाए जा रहे और पुल का रख रखाव का जिम्मा उत्तराखंड सरकार का है. इसलिए पुल को सुरक्षित रखने के लिहाज से ये कार्य करवाया गया है, जिसको लेकर हिमाचल पीडब्लूडी विभाग ने कभी कोई विरोध नहीं जताया गया है.
उत्तराखंड की ओर से निर्माण कार्य करने पर होगी जांच
वहीं, लोकनिर्माण मंडल शिलाई के अधिशासी अभियंता प्रमोद कुमार उप्रेती ने बताया कि अंतरराज्यीय सीमा से करीब 15-20 मीटर दूर हिमाचल प्रदेश की जमीन में उत्तराखंड पीडब्लूडी विभाग की ओर से कुछ निर्माण कार्य करवाये गए है. ऐसा क्यों किया गया इसकी जांच करवाई जा रही है.
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