पांवटा साहिब:सिरमौर जिला की परदुनी पंचायत के जामुन वाला गांव में एक परिवार पर कोरोना काल में मुसबीतों को पहाड़ टूट पड़ा है. पहले ही ये परिवार गरीबी की मार झेल रहा है, उपर से अब उनके सिर से छत छिन जाने का डर सता रहा है.
दो दशकों से यह परिवार झोपड़ी में अपना गुजर बसर कर रहा है. जिस जमीन पर परिवार ने ये झोपड़ी बनाई है वो फॉरेस्ट विभाग की है. ऐसे में अब विभाग ने सरकारी जमीन से झोपड़ी हटाने को कहा है.
जामुनवाला में रत्नों देवी अपने बेटे और बहू के साथ पिछले दो दशकों से एक कमरे की झोपड़ी में रह रही हैं. यह परिवार दिहाड़ी लगाकर दो वक्त की रोटी कमाता था, लेकिन कोरोना काल में काम छिन जाने से उसके भी लाले पड़ रहे हैं, अब इस बीच फॉरेस्ट विभाग ने झोपड़ी हटाने का आदेश सुना दिया है.
इस परिवार को कोई भी मूलभूत सुविधा सरकार की ओर से नहीं मिल रही है. यहां तक की पीने के पानी के लिए भी कोसों दूर जाना पड़ता है. न रोजगार न अपना घर, अब यह परिवार दिन रात पर सिर से छत छिन जाने की चिंता में जी रहा है.
परिवार की मुखिया रत्नों देवी ने बताया कि उसके परिवार को कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है. रोजगार न होने से परिवार का लालन-पालन करने में मुश्किल हो रही है. अब यह एक झोपड़ी है इसे भी हटाने को कह रहे हैं.
रत्नों देवी ने कहा कि सरकार जब ढाई बिस्वा जमीन सभी गरीब परिवारों को दे रही है तो हम तक ये सुविधा क्यों नहीं पहुंच पा रही. उन्होंने कहा कि वो वन विभाग की इस जमीन को तभी छोड़ेंगे अगर सरकार उन्हें बसने के लिए जमीन मुहैया करवाए.
वहीं, रत्नों की बहू विमला देवी ने बताया कि पानी की पाइप लाइन भी सूख चुकी है. पानी न मिलने की वजह से घर में बंधे पशुओं को पानी ढोकर लाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि उनके घर के तीन पालतू पशु पानी न मिलने की वजह से मर गए.
उधर, पांवटा खंड विकास अधिकारी गौरव धीमान से जब परिवार की समस्या बारे बात की गई तो उन्होंने कहा कि ये मामला उनके संज्ञान में लाया गया है. महिला के परिवार को सुविधाएं देने के लिए पंचायत प्रधान से बात की और उन्होंने ये आश्वस्त किया है की जल्द ही समस्याओं का समाधान किया जाएगा.
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