बिलासपुर: इस समय प्रदेश में कर्फ्यू लगा हुआ है और ग्रामीण इलाकों के लोगों को बाजार से सब्जी लाने के लिए काफी समस्या उठानी पड़ रही है. ऐसे में लोग जंगली सब्जियों को खा रहे हैं. इन्हीं में से एक सब्जी है कचनार जो प्रदेश के निचले जिलों में पाई जाती है.
बिलासपुर के कुछ स्थानों में कचनार का नाम 'कराले' है जो हिमाचल में निचले क्षेत्र में अधिकतर जगह में पाया जाता है. मार्च मध्य के बाद फूलों से लगने वाले इस पेड़ की पत्तियां, तना व फूल आदि सभी उपयोगी हैं. कचनार की गणना सुंदर व उपयोगी वृक्षों में होती है. इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें से गुलाबी कचनार का सबसे ज्यादा महत्व है.
कचनार के फूलों की कली लंबी, हरी व गुलाबी रंगत लिए हुए होती है. आयुर्वेद में इस वृक्ष को चमत्कारिक और औषधीय गुणों से भरपूर बताया गया है. कचनार के फूल और कलियां वात रोग, जोड़ों के दर्द के लिए विशेष लाभकारी है. इसकी कलियों की सब्जी व फूलों का रायता खाने में स्वादिष्ट और रक्त पित्त, फोड़े, फुंसियों को शांत करता है.