नाहन: यूं तो देवभूमि हिमाचल के कण-कण में देवी-देवता वास करते हैं. प्रदेश में कई प्रसिद्ध दिव्य शक्तिपीठ भी स्थित हैं. इन्हीं में से एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में महामाया बालासुंदरी का दरबार भी है. यूं तो यहां साल भर श्रद्धालुओं का भारी संख्या में तांता लगा रहता है, लेकिन साल में दो मर्तबा नवरात्रों में यहां मेले का आयोजन होता है. जिसमें लाखों की तादाद में श्रद्धालु हिमाचल सहित पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली एवं उत्तराखंड राज्यों से आते हैं और माता बालासुंदरी के दर्शन करते हैं.
दरअसल शिवालिक पहाड़ियों के बीच स्थित महामाया बालासुंदरी मंदिर त्रिलोकपुर (Balasundari Temple Trilokpur) में इस वर्ष भी 2 अप्रैल से 16 अप्रैल तक चैत्र नवरात्र मेले का आयोजन किया जा रहा है. जिसके लिए त्रिलोकपुर मंदिर न्यास द्वारा सभी प्रबंध पूरे कर लिए गए हैं. जिला मुख्यालय नाहन से लगभग 23 किलोमीटर दूरी पर स्थित महामाया बाला सुंदरी का लगभग साढ़े 3 सौ वर्ष पुराना मंदिर धार्मिक तीर्थस्थल एवं पर्यटन की दृष्टि से विशेष स्थान रखता है. महामाया बालासुंदरी मंदिर के इतिहास को लेकर मंदिर के वरिष्ठ पुजारी डॉ. सुरेश कुमार ने विस्तार से जानकारी दी.
जानिये क्या है इस मंदिर का इतिहास-मंदिर के (History of Balasundari Temple) वरिष्ठ पुजारी डॉ. सुरेश कुमार भारद्वाज सहित जनश्रुति के अनुसार महामाया बाला सुंदरी जी के मंदिर की स्थापना सोलहवीं शताब्दी में तत्कालीन सिरमौर रियासत के राजा प्रदीप प्रकाश ने की थी. इस मंदिर की स्थापना के बारे में भिन्न-भिन्न किंवदंतियां है. कहा जाता है कि सन 1573 ई. यानी संवत 1630 में सिरमौर जिले में नमक की कमी हो गई थी. ज्यादातर नमक देवबंद नामक स्थान से लाना पड़ता था, जोकि आज उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर का कस्बा है.
कहा जाता है कि लाला रामदास नामक व्यक्ति जो सदियों पहले त्रिलोकपुर में (Balasundari Temple Trilokpur) नमक का व्यापार करते थे, उनकी नमक की बोरी में माता उनके साथ यहां आई थी. लाला रामदास की दुकान त्रिलोकपुर में पीपल के वृक्ष के नीचे हुआ करती थी. लाला रामदास ने देवबंद से लाया तमाम नमक दुकान में डाल दिया और बेचते गए, मगर नमक समाप्त होने में नहीं आया. लाला जी उस पीपल के वृक्ष को हर रोज सुबह जल दिया करते थे और पूजा करते थे. उन्होंने नमक बेचकर बहुत पैसा कमाया और चिंता में पड़ गए कि नमक समाप्त क्यों नहीं हो रहा.
एक दिन माता बाला सुंदरी ने प्रसन्न होकर रात्रि को लाला जी के सपने में आकर दर्शन दिए और कहा कि भक्त मैं तुम्हारे भक्तिभाव से अति प्रसन्न हूं. मैं यहां पीपल वृक्ष के नीचे पिंडी रूप में स्थापित होना चाहती हूं और तुम मेरा यहां पर भवन बनवाओ. लाला जी को अब भवन निर्माण की चिंता सताने लगी. स्वप्न में लाला जी ने माता से आहवान किया कि इतने बड़े भवन निर्माण के लिए मेरे पास सुविधाओं व धन का अभाव है और विनती की कि आप सिरमौर के महाराजा को भवन निर्माण का आदेश दें.