सिरमौर/नाहन: सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती (Subhash Palekar Natural Farming) के अंतर्गत जिला सिरमौर जहर मुक्त उत्पादन करने में भी सिरमौर बनता जा रहा है. जिला के गांव डाकरावाला तहसील नाहन के प्रगतिशील किसान नरोत्तम सिंह (Narottam singh of Nahan) अपने खेतों में बिना उर्वरक या रसायनिक दवाईयों के उपयोग व प्राकृतिक खेती के माध्यम से उत्पादन कर अपने आस-पास के लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हैं. नरोत्तम सिंह का कहना है कि उनके पास खेती योग्य 13 बीघा जमीन है, जिसमें वह पूर्ण रूप से प्राकृतिक खेती करते हैं.
उन्होंने वर्ष 2018 में शिमला के कुफरी से प्राकृतिक खेती करने का प्रशिक्षण प्राप्त किया था. तब से अब तक उन्होंने अपने खेतों में किसी भी प्रकार का उर्वरक नहीं डाला है. वह पूर्ण रूप से प्राकृतिक खेती से अच्छा उत्पादन ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि 4 वर्ष पहले जब उन्होंने प्राकृतिक खेती आरंभ की थी, तब प्रथम वर्ष उनके गेहूं के उत्पादन में थोड़ी कमी आई थी, क्योंकि पहले वह यूरिया व अन्य कीटनाशकों का प्रयोग करते थे. लेकिन, बाद में प्रत्येक 21 दिन बाद जब उन्होंने अपनी गेंहू व अन्य फसलों में जीवामृत, घनजीवामृत डालना शुरू किया, तब से गेहूं व अन्य फसलों के उत्पादन में वृद्धि होनी आरम्भ हो गई.
नरोत्तम सिंह का कहना है कि सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती (Natural Farming in Himachal pradesh) करने से जहां एक ओर उनके उत्पादन में वृद्धि हुई, वहीं दूसरी ओर उनकी भूमि की उर्वरक शक्ति में भी आश्चर्यजनक वृद्धि हुई. उन्होंने बताया कि वह गेहूं, लहसुन, प्याज, आलू, सरसों, मेथी, मटर, धनिया, अलसी तथा मूली इत्यादि फसलों की मिश्रित रूप से खेती करते हैं. इसके साथ-साथ उन्होंने आम, नींबू, कटहल व चीकू का बगीचा भी लगाया है. उन्होंने अपनी एक बीघा भूमि पर 100 चन्दन के पौधे भी रोपित किए हुए हैं.
उन्होंने बताया कि जहां पहले एक क्विंटल लहसुन का उत्पादन होता था, अब वहीं उतनी ही जमीन से वह 5 क्विंटल तक लहसुन का उत्पादन ले रहे हैं. उनके द्वारा उगाई जा रही फल और सब्जियों की बाजार में अच्छी मांग है, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है. उन्होंने बताया कि पहले जहां प्रत्येक फसल के बाद उन्हें खेतो की जुताई करनी पड़ती थी, वहीं अब जमीन की उर्वरक शक्ति बढ़ने से वह साल में केवल एक बार ही जुताई करते हैं जिससे धन तथा समय दोनों की बचत होती है.