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बड़ी राहत: नाहन के गोबिंदगढ़ मोहल्ला ने हराया कोरोना, 200 से अधिक मिले थे संक्रमित

गोबिंदगढ़ मोहल्ला में 15 जुलाई से 6 अगस्त तक यहां संक्रमितों का आंकड़ा 218 तक पहुंच गया था, जिसने हर किसी को परेशानी में डाला था. राहत की खबर यह है कि यहां से संक्रमित पाए गए अधिकतर लोगों ने पहली फॉलोअप रिपोर्ट में ही कोरोना को मात दे दी थी. अब केवल उन घरों को ही कंटेनमेंट जोन में रखा गया है, जहां से 6 जून को आखिरी मामले सामने आए थे.

corona cases in Gobindgarh
गोबिंदगढ़ मोहल्ला में कोरोना केस

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Published : Aug 21, 2020, 10:49 AM IST

नाहन: सिरमौर जिला के लिए राहत की खबर है. नाहन शहर की आर्थिक व्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाले सिख समुदाय के गोबिंदगढ़ मोहल्ला ने करीब एक महीने में ही कोरोना को हरा दिया है. व्यापक स्तर पर कोरोना की मार झेल चुके इस क्षेत्र के अधिकतर संक्रमित व्यक्ति ठीक हो चुके हैं.

प्रशासन अब संबंधित क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन से बाहर कर रहा है. दरअसल 15 जुलाई से 6 अगस्त तक यहां संक्रमितों का आंकड़ा 218 तक पहुंच गया था जिसने हर किसी को परेशानी में डाला था. राहत की खबर यह है कि यहां से संक्रमित पाए गए अधिकतर लोगों ने पहली फॉलोअप रिपोर्ट में ही कोरोना को मात दे दी थी.

वीडियो रिपोर्ट

अब केवल उन घरों को ही कंटेनमेंट जोन में रखा गया है, जहां से 6 अगस्त को आखिरी मामला सामने आए थे. डीसी सिरमौर डॉ. आरके परूथी ने बताया कि गोबिंदगढ़ इलाके से 200 से अधिक संक्रमित मामले सामने आए थे. गोबिंदगढ़ मोहल्ला वार्ड नंबर-6 और 13 में आता है. व्यापक स्तर पर मामले आने के बाद इसे 4 सेक्टर्स में बांटा गया था, जिसे अब चरणबद्ध तरीके से अनलॉक किया जा रहा है.

डॉ. आरके परूथी ने बताया कि वार्ड नंबर-13 को अब कंटेनमेंट जोन से बाहर निकालकर काफी हद तक खोल दिया गया है. अब उसी क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन बनाया जाएगा, जहां से व्यक्ति संक्रमित पाए जाएंगे. इसके अलावा साथ लगते इलाकों को भी बफर जोन से बाहर किया गया है. डीसी ने कहा कि फिर भी वह लोगों से अपील करना चाहते हैं कि वह अनाश्यक रूप से घरों से बाहर न निकलें. यदि निकले तो मास्क पहनकर ही निकले. इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, जिससे दोबारा से संक्रमण का खतरा पैदा हो जाए.

बता दें कि 16 जुलाई के बाद से गोबिंदगढ़ मोहल्ला की करीब 2500 की आबादी घरों में ही कैद थी. यहां अधिकतर लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं. लिहाजा गुजर-बसर के लिए संस्थाओं के अलावा प्रशासन पर ही निर्भर थे, लेकिन अब कोरोना को मात देने के बाद ये लोग अपने घरों से बाहर आकर अपनी रोजी-रोटी को दोबारा से कमा सकेंगे.

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