पांवटा साहिब: सिरमौर जिले का धार्मिक और पर्यटन केंद्र रेणुका झील और हिमाचल-उत्तराखंड सीमा पर बना आसन बैराज (migratory birds reach asan barrage) इन दिनों विदेशी मेहमानों की आमद से गुलजार है. विदेशी पक्षियों की चहल-पहल से यहां की रौनक लौट आई है. इस साल पक्षियों की तादाद में बढ़ोतरी भी हुई है. जिससे पक्षी प्रेमी भी खुश नजर आ रहे हैं. साथ ही, झील के आस-पास मौजूद व्यापारियों में पक्षियों के आने से खुशी है.
रेणुका झील (exotic birds reached renuka lake) के कार्यवाहक आरओ राकेश कुमार बताते हैं कि अभी तक करीब 35-40 प्रजातियों के 3500 से चार हजार प्रवासी पक्षी झील में पहुंच चुके हैं. सर्दियां बढ़ने के साथ ही यहां लगभग 70 से 80 प्रजातियों के हजारों पक्षी जलक्रीड़ा करते देखे जाएंगे. मौसम में बदलाव के कारण ये पक्षी यहां यूरोप, चीन, भूटान, साइबेरिया, सऊदी अरब और अफगानिस्तान जैसे देशों से हजारों मील का सफर तय कर यहां पहुंचते हैं.
रेणुका वेटलैंड का सुरक्षित, शांत और ठंडा वातावरण इन पक्षियों को पसंद आता है. आने वाले दिनों में यहां और विदेशी मेहमानों की संख्या में इजाफा होने वाला है. जिससे पक्षी प्रेमी उत्साहित हैं. झील में कॉमन कार्मोरेंट, रुडी शेलडक यानी सुर्खाब, कॉमन पोचार्ड, कॉमन कूट, ग्रे लेग लिटिल इगरेट, किंगफिशर, व्हाइट ब्रिस्टेड, वॉटर हैन, कॉमन मोरेहन, ग्रे हेरोन, पर्पल हेरोन, वूली नेक्ड स्टॉक, स्पॉट बिल्ड डक व डूबकी मार बत्तख झील में अठखेलियां करते हुए नजर आ रहे हैं.
आसन झील (migratory birds reach asan barrage) की पटेरा नामक घास इनके आवास और प्रजनन के लिहाज से भी अनुकूल है. इसके अलावा विदेशी परिंदों की पसंद का हर भोजन इस झील में मौजूद है. झील के आसपास का जंगल और यहां के पक्षियों का दोस्ताना व्यवहार भी इन्हें खूब भाता है. यही कारण है कि हर साल बड़ी संख्या में यह पक्षी आसन झील का रुख करते हैं. दिसंबर से जनवरी तक इन पक्षियों का आगमन चलता रहता है और मार्च माह में ये वापस अपने देशों का रुख करते हैं.