कुल्लू/नाहन: हिमाचल प्रदेश में मिड-डे मील और आंगनवाड़ी वर्कर्स शुक्रवार को मांगे पूरी होने पर सरकार के खिलाफ रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया. सरकार से नियमित कर्मचारी घोषित करने और स्कूलों में हो रही छटनी को रोकने की मांग की है. यूनियन ने प्रदर्शन के बाद डीसी के माध्यम से प्रदेश सरकार को ज्ञापन भेजा.
कुल्लू जिला मुख्यालय ढालपुर में मिड-डे मील वर्कर यूनियन ने डीसी कार्यालय तक एक रैली निकाली. रैली को संबोधित करते हुए जनवादी महिला समिति की सह संयोजिका ममता नेगी ने कहा कि प्रदेश में मिड-डे मील वर्कर्स की स्थिति अत्यन्त दयनीय है. इन्हें हर माह सिर्फ 1000 रुपये वेतन के रूप में केंद्र की ओर से मिलता है. केंद्र सरकार ने आंगनवाड़ी और आशा वर्कर्स के मानदेय में बढ़ोतरी की, लेकिन उनके वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई.
मिड-डे मील कमेटी ने मांग की है कि 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को शीघ्र लागू किया जाए और मिड-डे मील वर्कर्स को न्यूनतम वेतन लागू किया जाए. छंटनी के लिए 25 बच्चों की शर्त को हटाया जाए और अन्य स्कीम वर्कर्स की तरह इनके भी मानदेय में बढ़ोतरी की जाए. वहीं, सह संयोजिका ममता नेगी का कहना है कि मिड-डे मील वर्कर्स को पेंशन व ग्रेच्युटी की सुविधा दी जाए.
वहीं, सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन में आंगनवाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर यूनियन ने रोष रैली निकाली. मांग को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को जिला उपायुक्त के जरिए एक ज्ञापन भेजा है. मीडिया से बात करते हुए प्रोजेक्ट कमेटी नाहन की महासचिव शीला ठाकुर ने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं कि पिछले लंबे समय से अनदेखी की जा रही है. कार्यकर्ताओं की मांगों की तरफ कोई ध्यान सरकार द्वारा नहीं दिया जा रहा है.
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मांग है कि प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए सिर्फ आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को ही नियुक्त किया जाए, क्योंकि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को छोटे बच्चों को पढ़ाने का लंबा अनुभव है. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि हरियाणा सरकार की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी आंगनवाड़ी वर्कर व हेल्पर को मासिक मानदेय दिया जाए.
सीपीआईएम के जिला महासचिव राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपनी जायज मांगों को लेकर सड़कों पर उतरी हैं ऐसे में सरकार को इनकी मांगों पर गौर करना चाहिए. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मांग का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि सीपीआईएम द्वारा भी मांग की जा रही है की प्री प्राइमरी में प्राथमिकता के आधार पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति किया जाए.
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