नाहन: एक और जहां वर्तमान में परिवार बिखर रहे हैं, तो वहीं पति-पत्नी के रिश्ते भी दांव पर लगे हैं. मोहब्बत व अपनापन खोखला होता दिखाई दे रहा है. वहीं, पहाड़ों में एक ऐसे अंग्रेज दंपत्ति की अमर व अद्भुत प्रेम कहानी दफन है, जो बरसों (Love story of Lucia and Edwin Pearsall) बाद भी अपने आप में एक शानदार मिसाल है, जिसे आज भी याद किया जाता है. 14 फरवरी यानी वैलेंटाइन डे पर ईटीवी भारत आज अपने पाठकों को इसी अद्भुत प्रेम कहानी से रूबरू करवाने जा रहा है.
दरअसल देवभूमि हिमाचल प्रदेश के 1621 में बसे करीब 400 साल पुराने ऐतिहासिक शहर नाहन के इतिहास के पन्नों में यह अद्भुत व अमर प्रेम कहानी दर्ज है, जोकि आज भी शहर वासियों के लिए मोहब्बत व पति-पत्नी के अमर प्रेम को दर्शाती एक अनूठी लव स्टोरी को बयां करती है.
बात सिरमौर रियासत काल की है. यहां रियासतकाल में एक अंग्रेज अफसर की पत्नी ने अपने पति की बगल में दफन होने के लिए 38 साल मौत का लंबा इंतजार किया. यहां जिक्र लेडी लूसिया पियरसाल का हो रहा है. रियासतकाल में लूसिया अपने पति डॉ. इडविन पियरसाल के साथ यहां रहती थी.
लूसिया और इडविन पियरसाल की प्रेम कहानी. 50 साल की आयु में हुआ था पति का इंतकाल:लूसिया के पति डॉ. इडविन पियरसाल महाराज के चीफ मेडिकल ऑफिसर थे. डॉ. पियरसाल ने महाराज के यहां करीब 11 साल अपनी सेवाएं दी और 19 नवंबर 1883 में डॉ. इडविन का 50 साल की आयु में इंतकाल हो गया. महाराज ने डॉ. पियरसाल को मिलिट्री ऑनर के साथ ऐतिहासिक विला राउंड के उत्तरी हिस्से में दफन करवाया था. यह जगह (Laverna Roman Catholic Kabristan Nahan) पियरसाल ने खुद चुनी थी और कहा था कि उनके देहांत के बाद उन्हें यहां दफनाया जाए.
लूसिया और इडविन पियरसाल की समाधि. उस वक्त अंग्रेज अफसर की पत्नी लूसिया 49 साल की थी. डॉ. पियरसाल की भांति लूसिया भी रहम दिल और रियासत में लोकप्रिय महिला के तौर पर विख्यात थी. कहते हैं कि पति की मौत के बाद लूसिया वापस इंग्लैंड नहीं गई और अपने परिवार के सदस्यों को छोड़ कर नाहन में ही रहने लगी.
19 अक्टूबर 1921 को खत्म हुआ इंतजार:लूसिया अपने पति डॉ. पियरसाल से बेपनाह मोहब्बत करती थी. ऐसे में लूसिया ने पति की बगल में दफन होने के लिए 38 साल मौत का लंबा इंतजार किया. 19 अक्टूबर 1921 को वह घड़ी आई, जब लूसिया का इंतजार खत्म हुआ और अपने पति को याद करते हुए उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. लूसिया की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए महाराज ने सम्मान सहित लूसिया को भी उनके पति डॉ. पियरसाल की कब्र की बगल में दफन किया. आज भी ऐतिहासिक विला राउंड स्थित कैथोलिक कब्रगाह (Laverna Roman Catholic Kabristan Nahan) में इस पियरसाल दंपति के अमर प्रेम कहानी की बयां करती वास्तु कला से परिपूर्ण कब्रें आने-जाने वालों को आकर्षित करती हैं.
रोमन कैथोलिक नाकब्रिस्तान नाहन. क्या कहते हैं शाही परिवार के सदस्य एवं इतिहासकार:ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए शाही परिवार के सदस्य एवं इतिहासकार कंवर अजय बहादुर सिंह भी इस अंग्रेज दंपत्ति की प्रेम कहानी को अद्भुत प्रेम कहानी करार देते हैं. उन्होंने कहा कि लूसिया ने अपने अंग्रेज पति की मौत के बाद बगल में दफन होने को 38 साल लंबा इंतजार किया. अंतिम इच्छा के अनुसार महाराज ने लूसिया को उनके पति की कब्र के बगल में दफन करवाया.
उन्होंने कहा कि इस दंपत्ति की कब्रें आज भी इस प्रेम कहानी को बयां करती हैं और लोगों के लिए आकर्षण भी बनती है. अजय बहादुर सिंह ने कहा कि वर्तमान में नगर परिषद को इस ऐतिहासिक धरोहर के रखरखाव की ओर ध्यान देने की जरूरत है.
कंवर अजय बहादुर सिंह बताते हैं कि डॉ. पियरसाल रियासतकाल में चीफ मेडिकल ऑफिसर थे. इसके साथ-साथ नगर परिषद नाहन के अध्यक्ष भी थे. उन्होंने कहा कि नाहन में अंडरग्राउंड ड्रेनेज का आईडिया भी डॉ. पियरसाल द्वारा दिया गया था. इसके अलावा शहर का लेआउट, सौंदर्यीकरण और कई बंगलों के निर्माण में भी डॉ. पियरसाल का योगदान है.
कुल मिलाकर वर्तमान में जहां वैलेंटाइन डे के मौके पर महज एक दिन लोग लाल गुलाब व महंगे तोहफे देकर अपने प्यार को बयां करते हैं, वहीं पहाड़ों में दफन अंग्रेज दंपति की यह कहानी यही संदेश देती है कि रिश्तों में मोहब्बत व अपनापन होना जरूरी है और हर दिन प्यार का दिन है और प्यार ऐसा हो. जिसकी चर्चाएं जिंदगी के बाद भी हर जुबान पर हो.
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