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Himachal Seat Scan: क्या नाहन में बिंदल लगाएंगे जीत की हैट्रिक या फिर कांग्रेस रोक देगी उनका विजयी रथ, जानिए चुनावी समीकरण

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) से पहले ETV भारत प्रदेश के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों के सूरत-ए-हाल से रू-ब-रू करवा रहा (himachal seat scan) है. हिमाचल सीट स्कैन में आज हम नाहन विधानसभा क्षेत्र (Nahan assembly seat Ground Report) की बात करने जा रहे हैं. कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में ये 56वीं विधानसभा सीट है. नाहन विधानसभा सीट इस साल चुनाव के दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. एक ओर बिंदल इस सीट पर हैट्रिक लगाने के प्रयास में हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस भी इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए रणनीति बनाने में जुट गई है. इस सीट पर क्या चुनावी समीकरण हैं, आइए जानते हैं...

Nahan assembly seat Ground Report
नाहन विधानसभा सीट की ग्राउंड रिपोर्ट

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Published : Aug 5, 2022, 5:12 PM IST

नाहन: हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) की बिसात बिछने जा रही है. हालांकि चुनाव में कुछ महीने शेष हैं, लेकिन प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ इस बार आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता भी जनता के बीच पहुंचने लगे हैं. ऐसे में यह जानना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है कि प्रदेश के किस विधानसभा क्षेत्र में कितना विकास हुआ है और हर बार की तरह इस बार के चुनाव में भी क्या समीकरण रहने की संभावना है. लिहाजा विधानसभा चुनाव से पहले हिमाचल सीट स्कैन (Himachal Seat Scan) सीरीज के माध्यम से ईटीवी भारत प्रदेश के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों के सूरत-ए-हाल से रू-ब-रू करवा रहा है. इसी कड़ी में आज हम बात करने जा रहे हैं सिरमौर जिले के नाहन विधानसभा क्षेत्र (Nahan assembly seat Ground Report) की. कुल 68 सीटों में से नाहन 56वीं विधानसभा सीट है.

कांग्रेस-भाजपा के बीच मुकाबला: दरअसल हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार (First CM of Himachal Yashwant Singh Parmar) के गृह जिला सिरमौर के नाहन विधानसभा क्षेत्र में भी एक बार फिर चुनाव के मद्देनजर सियासी गर्मी तेज हो चुकी है. नाहन विधानसभा क्षेत्र में हर बार की तरह इस बार भी कांग्रेस-भाजपा के बीच ही मुकाबला होने की उम्मीद है. एक ओर जहां हिमाचल भाजपा के दिग्गज नेता एवं विधायक डॉ. राजीव बिंदल 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करने के लिए लगातार फिल्ड में उतरे हुए हैं, तो वहीं कांग्रेस की आपसी तकरार भी यहां विपक्ष की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं.

नाहन विधानसभा सीट पर इनके बीच चुनावी जंग.

कुछ ही समय पहले पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह (Himachal Congress President Pratibha Singh ) के सामने ही एक कार्यक्रम में कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने आई थी. इसके बाद शिमला बैठक से लौटते समय भी कांग्रेस की आपसी तकरार पुलिस थाना तक पहुंच गई थी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कंवर अजय बहादुर सिंह को सिरमौर जिला कांग्रेस के पद से हटाने की मांग विपक्ष का एक धड़ा कर रहा था. हालांकि इस पूरे प्रकरण के बाद कंवर अजय बहादुर सिंह को जिलाध्यक्ष के पद से हटा दिया गया. कांग्रेस अब एकजुटता के साथ चुनावी मैदान में उतरने का दावा कर रही है.

2017 में राजीव बिंदल बनाम अजय सोलंकी:नाहन विधानसभा क्षेत्र में मौजूदा समय में डॉ. राजीव बिंदल भाजपा समर्थित विधायक है. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अजय सोलंकी को 3,990 वोटों से हराकर डॉ. राजीव बिंदल नाहन से लगातार दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए. बिंदल को 31,563 वोट मिले थे. जबकि पहली बार चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस प्रत्याशी अजय सोलंकी ने 27,573 वोट लेने में कामयाबी हासिल की थी.

2017 में नाहन विधानसभा सीट पर जीत का अंतर.

सोलन से नाहन आकर बिंदल ने लड़ा था चुनाव, कांग्रेस ने धरती पुत्र का नारा किया था बुलंद: दरअसल भाजपा के टिकट पर नाहन से लगातार दो बार विधायक बने डॉ. राजीव बिंदल ने 2012 के विधानसभा चुनाव में सोलन से नाहन आकर विधानसभा का चुनाव लड़ा था. ऐसे में पूरे प्रदेश में नाहन विधानसभा सीट हॉट सीट बनकर उभरी थी, क्योंकि डॉ. बिंदल के खिलाफ यहां से दो बड़े चेहरे हिमाचल निर्माता के बेटे कुश परमार व भाजपा की वरिष्ठ नेत्री रही दिवंगत श्यामा शर्मा भी चुनावी मैदान में उतरी थी. यही नहीं सोलन से नाहन आकर चुनाव लड़ रहे विधायक डॉ. राजीव बिंदल के खिलाफ कांग्रेस ने धरती पुत्र का नारा भी पूरे जोर शोर से बुलंद किया था, लेकिन वह काम नहीं आया. पहली बार नाहन से चुनाव लड़ने वाले डॉ. राजीव बिंदल ने 2012 के चुनाव में यहां से बड़ी जीत दर्ज की. विधायक बिंदल को कुल 25,459 वोट मिले. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी कुश परमार को 12,635 व वरिष्ठ नेत्री श्यामा शर्मा को मात्र 5,240 वोट हासिल हुए.

2003 में लोजपा के टिकट पर सदानंद चौहान ने मारी थी बाजी: 2003 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां पहली बार लोकजन शक्ति पार्टी के टिकट पर दिवंगत नेता सदानंद चौहान विधायक बने. त्रिकोणीय मुकाबले में सदानंद चौहान ने कुश परमार और श्यामा शर्मा को शिकस्त दी थी. सदानंद चौहान 14,551 वोट लेकर पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी कुश परमार 13,360 वोट लेकर दूसरे व भाजपा समर्थित दिवंगत नेत्री श्यामा शर्मा 10,079 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रही थीं. इसके बाद 2007 के चुनाव में नाहन विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस अपना परचम लहराने में कामयाब रही. 15,714 वोट लेकर 2007 में कुश परमार विधायक बने. जबकि भाजपा प्रत्याशी श्यामा शर्मा को 14,968 व सदानंद चौहान को 13,741 वोट हासिल हुए थे.

नाहन विधानसभा सीट पर जीत का अंतर.

विधानसभा अध्यक्ष के पद से बिंदल को किया था मुक्त, प्रदेशाध्यक्ष के पद से भी देना पड़ा इस्तीफा: 2017 के चुनाव में नाहन सीट से दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरे राजीव बिंदल पर इस बात को लेकर निगाहें टिकी थी कि क्या वो नाहन से नटनी के श्राप को तोड़ पाएंगे या नहीं? चुनावी नतीजों ने इसका भी जवाब दे दिया और बिंदल चुनाव जीत गए. दरअसल नाहन विधानसभा सीट का इतिहास (History of Nahan Assembly seat) रहा है कि प्रदेश में काबिज सत्ता के विपरीत ही विधायक बनता रहा. केवल एक बार ही राज्य मंत्री के तौर पर श्यामा शर्मा इस हल्के से ओहदे पर बैठी थीं. 28 जून 1977 से 18 मई 1979 तक वह राज्य मंत्री रहीं. इसके बाद हल्के से कभी भी मंत्री पद नहीं मिला.

2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और यहां से डॉ. बिंदल भाजपा (Former Himachal BJP President Rajeev Bindal) समर्थित विधायक चुने गए. ऐसे में पावरफुल मंत्री पद मिलने की उम्मीद राजनीतिक गलियारों में खूब गूंजने लगी. जयराम सरकार के कैबिनेट विस्तार में राजी बिंदल को जगह नहीं मिली, लेकिन उन्हें बाद में विधानसभा अध्यक्ष के पद से नवाजा गया. हालांकि कुछ समय बाद पार्टी ने उन्हें इस पद से मुक्त कर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी. मगर कोरोना काल में पीपीई किट घोटाले के आरोप में एक ऑडियो वायरल होने पर राजीव बिंदल को इस पद से भी इस्तीफा देना पड़ा. वर्तमान में बेशक सरकार में बिंदल के पास कोई ओहदा नहीं है, लेकिन बावजूद इसके वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में बतौर विधायक पूरे एक्टिव मोड में कार्य कर रहे हैं.

ये तय करते हैं जीत की दिशा:नाहन विधानसभा क्षेत्र (Nahan assembly seat) में कुल 121 पोलिंग स्टेशन है. 15 जनवरी 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक नाहन विधानसभा क्षेत्र में कुल 82,371 मतदाता है, जिसमें से 41,949 पुरुष और 40,421 महिलाएं व एक अन्य मतदाता शामिल हैं. जानकारों की मानें तो सिरमौर की सबसे हॉट माने जाने वाली नाहन सीट में अगड़ी व पिछड़ी जातियों का जातिगत संतुलन उम्मीदवार के भविष्य की दशा तय करता है. हरियाणा से सटे इस सीमावर्ती विधानसभा क्षेत्र में अल्पसंख्यक व ओबीसी वोट भी डिसाइडिंग फैक्टर है. पिछले 2 विधानसभा चुनाव के परिणाम पर नजर दौड़ाई जाए तो भाजपा के वर्तमान विधायक राजीव बिंदल (Nahan MLA Rajeev Bindal) ने अगड़ी जातियों के साथ-साथ एससी, ओबीसी व अल्पसंख्यक वर्ग में सेंध लगाकर इस सीट को अपनी झोली में डाला है.

नाहन विधानसभा सीट पर चुनावी समीकरण.

नाहन सीट की क्या है खासियत: नाहन विधानसभा क्षेत्र में कालाअंब प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में रूप में पहचान रखता है. जबकि जिला मुख्यालय नाहन एक ऐतिहासिक शहर है, जोकि अपनी प्राचीन धरोहरों के लिए जाना जाता है. धार्मिक दृष्टि से त्रिलोकपुर महामाया बालासुंदरी मंदिर (Trilokpur Mahamaya Balasundari Temple) पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध है.

नाहन विधानसभा क्षेत्र के अहम मुद्दे: नाहन शहर की ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में उतने प्रयास देखने को नहीं मिले, जितने की होने चाहिए थे. तालाबों का शहर कहे जाने वाले नाहन में ऐतिहासिक तालाबों की दशा किसी से छिपी नहीं है. कालीस्थान तालाब की स्थिति दयनीय (Nahan Assembly Constituency Issues) बनी हुई है. रामकुंडी तालाब भी अपने अस्तित्व की जंग लड़ रहा है. वहीं, नाहन शहर की मुख्य सड़क भी लोगों के लिए जी का जंजाल बनी है. स्थानीय लोगों व दुकानदारों का कहना है कि सड़क पर लगाई गई इंटरलॉकिंग टाइल्स जहां शहरवासियों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है, तो वहीं इनकी खस्ताहाली भी शहर की सुंदरता को ग्रहण लगा रही है.

नाहन विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे.

बेशक नाहन में मेडिकल कॉलेज का निर्माण (Nahan Medical College) कार्य प्रगति पर चल रहा है, लेकिन अक्सर बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर यह कॉलेज सुर्खियों में रहता है. लोगों का कहना है कि यहां सबसे ज्यादा दिक्कत गर्भवती महिलाओं को उठानी पड़ती है. अल्ट्रासाउंड के लिए कई-कई दिनों बाद की तारीखें दी जाती हैं. खेलों के क्षेत्र में नाहन को कई सौगातें जरूर मिली है, लेकिन नाहन के दोनों मैदानों चौगान व चंबा वाला मैदान की खस्ता हालत खिलाड़ियों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. खिलाड़ी भी लगातार खासकर चौगान मैदान की दशा सुधारने की मांग करते आ रहे हैं. यहीं नहीं नाहन फाउंड्री में क्राफ्ट विलेज खोलने का दावा भी आज तक सिरे नहीं चढ़ पाया. हालांकि नाहन शहर की सबसे बड़ी पेयजल समस्या का समाधान वर्तमान सरकार में जरूर हुआ है. पेयजल समस्या अक्सर चुनाव में बड़ा मुद्दा बनती थी.

विकास के क्षेत्र में एक मॉडल बनकर उभरा नाहन: विधायक बिंदल: वर्तमान विधायक राजीव बिंदल लगातार यह बात कहते आ रहे हैं कि जितना विकास मौजूदा जयराम व मोदी सरकार के कार्यकाल में नाहन विधानसभा क्षेत्र में हुआ है, उतना कांग्रेस पिछले 30-40 सालों में यहां नहीं कर सकी. उन्होंने कहा कि नाहन मेडिकल कॉलेज, आईआईएम सिरमौर, पुलिस बटालियन धौलाकुआं, ईएसआई अस्पताल कालाअंब (ESI Hospital Kala Amb) बड़ी उपलब्धियों में शुमार है. यही नहीं सड़क, पुल, स्वास्थ्य, खेल, शिक्षा हर क्षेत्र में नाहन विधानसभा क्षेत्र (Nahan Assembly Constituency) में अभूतपूर्व विकास हो रहा है. नाहन शहर को पेयजल समस्या से भी भाजपा सरकार ने ही छुटकारा दिलाया. उन्होंने कहा कि नाहन विधानसभा क्षेत्र में जनता के स्नेह व सरकार के सहयोग से तेजी के साथ निरंतर विकास हो रहा है.

नाहन से विधायक राजीव बिंदल.

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'भाजपा शासन में नहीं हुआ विकास, कांग्रेस के कार्यों का लिया जा रहा श्रेय': हिमाचल कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं पूर्व में पार्टी के प्रत्याशी अजय सोलंकी (Himachal Congress Committee Vice President Ajay Solanki) ने कहा कि जिन बड़े-बड़े कामों को विधायक राजीव बिंदल भाजपा सरकार की देन बता रहे हैं, वह असल में कांग्रेस की देन है. विधायक यहां विकास करवाने में नाकाम रहे हैं. केवल जुमलेबाजी कर लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया है. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अब यहां की जनता का सरकार के साथ-साथ विधायक से मोह भंग हो चुका है और आगामी विधानसभा चुनाव में नाहन में कांग्रेस अपना परचम लहराएगी.

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