नाहन: हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) की बिसात बिछने जा रही है. हालांकि चुनाव में कुछ महीने शेष हैं, लेकिन प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ इस बार आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता भी जनता के बीच पहुंचने लगे हैं. ऐसे में यह जानना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है कि प्रदेश के किस विधानसभा क्षेत्र में कितना विकास हुआ है और हर बार की तरह इस बार के चुनाव में भी क्या समीकरण रहने की संभावना है. लिहाजा विधानसभा चुनाव से पहले हिमाचल सीट स्कैन (Himachal Seat Scan) सीरीज के माध्यम से ईटीवी भारत प्रदेश के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों के सूरत-ए-हाल से रू-ब-रू करवा रहा है. इसी कड़ी में आज हम बात करने जा रहे हैं सिरमौर जिले के नाहन विधानसभा क्षेत्र (Nahan assembly seat Ground Report) की. कुल 68 सीटों में से नाहन 56वीं विधानसभा सीट है.
कांग्रेस-भाजपा के बीच मुकाबला: दरअसल हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार (First CM of Himachal Yashwant Singh Parmar) के गृह जिला सिरमौर के नाहन विधानसभा क्षेत्र में भी एक बार फिर चुनाव के मद्देनजर सियासी गर्मी तेज हो चुकी है. नाहन विधानसभा क्षेत्र में हर बार की तरह इस बार भी कांग्रेस-भाजपा के बीच ही मुकाबला होने की उम्मीद है. एक ओर जहां हिमाचल भाजपा के दिग्गज नेता एवं विधायक डॉ. राजीव बिंदल 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करने के लिए लगातार फिल्ड में उतरे हुए हैं, तो वहीं कांग्रेस की आपसी तकरार भी यहां विपक्ष की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं.
कुछ ही समय पहले पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह (Himachal Congress President Pratibha Singh ) के सामने ही एक कार्यक्रम में कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने आई थी. इसके बाद शिमला बैठक से लौटते समय भी कांग्रेस की आपसी तकरार पुलिस थाना तक पहुंच गई थी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कंवर अजय बहादुर सिंह को सिरमौर जिला कांग्रेस के पद से हटाने की मांग विपक्ष का एक धड़ा कर रहा था. हालांकि इस पूरे प्रकरण के बाद कंवर अजय बहादुर सिंह को जिलाध्यक्ष के पद से हटा दिया गया. कांग्रेस अब एकजुटता के साथ चुनावी मैदान में उतरने का दावा कर रही है.
2017 में राजीव बिंदल बनाम अजय सोलंकी:नाहन विधानसभा क्षेत्र में मौजूदा समय में डॉ. राजीव बिंदल भाजपा समर्थित विधायक है. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अजय सोलंकी को 3,990 वोटों से हराकर डॉ. राजीव बिंदल नाहन से लगातार दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए. बिंदल को 31,563 वोट मिले थे. जबकि पहली बार चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस प्रत्याशी अजय सोलंकी ने 27,573 वोट लेने में कामयाबी हासिल की थी.
सोलन से नाहन आकर बिंदल ने लड़ा था चुनाव, कांग्रेस ने धरती पुत्र का नारा किया था बुलंद: दरअसल भाजपा के टिकट पर नाहन से लगातार दो बार विधायक बने डॉ. राजीव बिंदल ने 2012 के विधानसभा चुनाव में सोलन से नाहन आकर विधानसभा का चुनाव लड़ा था. ऐसे में पूरे प्रदेश में नाहन विधानसभा सीट हॉट सीट बनकर उभरी थी, क्योंकि डॉ. बिंदल के खिलाफ यहां से दो बड़े चेहरे हिमाचल निर्माता के बेटे कुश परमार व भाजपा की वरिष्ठ नेत्री रही दिवंगत श्यामा शर्मा भी चुनावी मैदान में उतरी थी. यही नहीं सोलन से नाहन आकर चुनाव लड़ रहे विधायक डॉ. राजीव बिंदल के खिलाफ कांग्रेस ने धरती पुत्र का नारा भी पूरे जोर शोर से बुलंद किया था, लेकिन वह काम नहीं आया. पहली बार नाहन से चुनाव लड़ने वाले डॉ. राजीव बिंदल ने 2012 के चुनाव में यहां से बड़ी जीत दर्ज की. विधायक बिंदल को कुल 25,459 वोट मिले. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी कुश परमार को 12,635 व वरिष्ठ नेत्री श्यामा शर्मा को मात्र 5,240 वोट हासिल हुए.
2003 में लोजपा के टिकट पर सदानंद चौहान ने मारी थी बाजी: 2003 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां पहली बार लोकजन शक्ति पार्टी के टिकट पर दिवंगत नेता सदानंद चौहान विधायक बने. त्रिकोणीय मुकाबले में सदानंद चौहान ने कुश परमार और श्यामा शर्मा को शिकस्त दी थी. सदानंद चौहान 14,551 वोट लेकर पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी कुश परमार 13,360 वोट लेकर दूसरे व भाजपा समर्थित दिवंगत नेत्री श्यामा शर्मा 10,079 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रही थीं. इसके बाद 2007 के चुनाव में नाहन विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस अपना परचम लहराने में कामयाब रही. 15,714 वोट लेकर 2007 में कुश परमार विधायक बने. जबकि भाजपा प्रत्याशी श्यामा शर्मा को 14,968 व सदानंद चौहान को 13,741 वोट हासिल हुए थे.
विधानसभा अध्यक्ष के पद से बिंदल को किया था मुक्त, प्रदेशाध्यक्ष के पद से भी देना पड़ा इस्तीफा: 2017 के चुनाव में नाहन सीट से दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरे राजीव बिंदल पर इस बात को लेकर निगाहें टिकी थी कि क्या वो नाहन से नटनी के श्राप को तोड़ पाएंगे या नहीं? चुनावी नतीजों ने इसका भी जवाब दे दिया और बिंदल चुनाव जीत गए. दरअसल नाहन विधानसभा सीट का इतिहास (History of Nahan Assembly seat) रहा है कि प्रदेश में काबिज सत्ता के विपरीत ही विधायक बनता रहा. केवल एक बार ही राज्य मंत्री के तौर पर श्यामा शर्मा इस हल्के से ओहदे पर बैठी थीं. 28 जून 1977 से 18 मई 1979 तक वह राज्य मंत्री रहीं. इसके बाद हल्के से कभी भी मंत्री पद नहीं मिला.
2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और यहां से डॉ. बिंदल भाजपा (Former Himachal BJP President Rajeev Bindal) समर्थित विधायक चुने गए. ऐसे में पावरफुल मंत्री पद मिलने की उम्मीद राजनीतिक गलियारों में खूब गूंजने लगी. जयराम सरकार के कैबिनेट विस्तार में राजी बिंदल को जगह नहीं मिली, लेकिन उन्हें बाद में विधानसभा अध्यक्ष के पद से नवाजा गया. हालांकि कुछ समय बाद पार्टी ने उन्हें इस पद से मुक्त कर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी. मगर कोरोना काल में पीपीई किट घोटाले के आरोप में एक ऑडियो वायरल होने पर राजीव बिंदल को इस पद से भी इस्तीफा देना पड़ा. वर्तमान में बेशक सरकार में बिंदल के पास कोई ओहदा नहीं है, लेकिन बावजूद इसके वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में बतौर विधायक पूरे एक्टिव मोड में कार्य कर रहे हैं.