नाहन:प्रदेश सरकार (state government) द्वारा कार्यान्वित की जा रही 'मुख्यमंत्री नूतन पॉलीहाउस योजना' (Chief Minister Nutan Polyhouse Yojna) प्रदेश के किसानों व बागवानों (farmers and gardeners) के लिए वरदान साबित हो रही है. किसानों को अपने खुले खेतों में बहुत मेहनत करने के बावजूद मौसम की स्थिति प्रतिकूल रहने पर मेहनताना का उचित लाभ नहीं मिल पाता है. इस कारण उन्हें मायूसी व निराशा (despair and despair) जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. किसानों को उनकी मेहनत का उचित लाभ मिले, इसी को मध्यनजर रखते हुए प्रदेश सरकार किसानों को पॉलीहाउस स्थापित करने के लिए 85 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है, ताकि वह पॉलीहाउस स्थापित कर इसमें फल व सब्जियां पैदा कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकें और साथ-साथ उन्हें अपने घर-द्वार पर ही स्वरोजगार भी उपलब्ध हो सके.
दरअसल सिरमौर जिला के राजगढ़ उपमंडल (Rajgarh Sub-Division of Sirmaur District) की ग्राम पंचायत शिलांजी के गांव पन्चड़ (Village Panchad of Gram Panchayat Shilanji) की महिला कोला देवी ने बताया कि दिन-रात खेतों में फसल व सब्जियां उगाने के लिए कड़ी मेहनत करने के बाद भी खुले खेतों में लगाई गई फसल व सब्जियां असमय बारिश, हवा व तूफान आने पर तैयार होने से पहले ही नष्ट व खराब हो जाती थी. इसके कारण उन्हें बाजार में बेचना तो दूर की बात, बल्कि अपने इस्तेमाल के लिए भी नहीं बचा पाती थीं. वह प्राय: इसी उधेड़भुन में लगी रहती थीं कि कोई ऐसा दूसरा विकल्प ढूंढा जाए, जिससे प्रतिकुल मौसम में भी सब्जियां व फल तैयार किया जा सके.
कोला देवी (female farmer kola devi) ने बताया कि इसी बीच उन्हें गांव के एक अन्य किसान ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को पॉलीहाउस लगाने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध (financial aid available) करवाई जा रही है, जिसका लाभ उठाने के लिए कृषि विभाग को आवेदन करना होता है. इसके उपरान्त उन्होंने पॉलीहाउस के लिए कृषि विभाग कार्यालय राजगढ़ में आवेदन किया. कोला देवी का कहना है कि पॉलीहाउस में उगाई जाने वाली सब्जियां, फल व पौधों को देखभाल करने में आसानी होती है और इन्हें कम पानी, सीमित सौर किरणों, कम कीटनाशकों और न्यूनतम उर्वरक (Pesticides and minimal fertilizer) के साथ नियंत्रित वातावरण में उगाया जा सकता है. इसके अतिरिक्त, कीट और कीड़े कम होते हैं. जिससे कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव भी बार-बार करने की आवश्यकता नहीं पड़ती और फसलों को पूरे साल उगाया जा सकता है. किसी भी मौसम में फसलों के लिए सही वातावरण होने से किसान अपनी फसलों को सुरक्षित भी रख सकते हैं.