नाहन: प्रदेश सरकार एक तरफ जहां गिरी नदी पर करीब 7 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली राष्ट्रीय महत्व की रेणुका जी बांध परियोजना का ऑनलाइन शिलान्यास करवाने की तैयारी कर रही (Renuka Ji Dam Management) है, तो वहीं दूसरी तरफ पहचान पत्र व मुआवजे का ब्यौरा दिए जाने आदि मागों को लेकर विस्थापित होने वाले लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए है.
दरअसल शनिवार को रेणुका जी बांध प्रबंधन कार्यालय परिसर में जैसे ही (People displaced by Renuka Dam construction) एचपीपीसीएल का 15वां स्थापना दिवस समारोह शुरू हुआ, तो प्रदर्शनकारी आयोजन स्थल पर आ धमके. इसके चलते मटका फोड़ प्रतियोगिता व सांस्कृतिक कार्यक्रम को बीच में ही रोकना पड़ा. इस दौरान प्रदर्शन कर रहे संघर्ष समिति के नेताओं व आयोजन स्थल पर मौजूद पुलिस कर्मियों व बांध प्रबंधन के (Protest of people in Renuka) अधिकारियों के बीच तीखी नोंक-झोंक भी हुई.
संगड़ाह पंचायत के उपप्रधान से बहस व नोंकझोंक के बाद प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाजी की और कार्यक्रम बंद होने के बाद ददाहू बाजार में भी रैली निकाली. प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे संघर्ष समिति के अध्यक्ष योगेंद्र कपिला व संयोजक प्रताप तोमर व सहसंयोजक पूर्ण चंद शर्मा आदि ने कहा कि वह पिछले 14 वर्षों (People protest against Renuka Dam) से बांध प्रबंधन एवं सरकार के समक्ष लगातार अपनी समस्याओं को रख रहे हैं. मगर इस पर गौर नहीं किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि बांध प्रबंधन के समक्ष संघर्ष समिति द्वारा बीते माह हिमाचल के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी से परियोजना के विस्थापितों को पहचान पत्र देने व पैरा 55 के तहत उन्हे जारी किए गए मुआवजे का विवरण देने की मांग की गई थी, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि दशकों से प्रस्तावित इस परियोजना को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से आर्थिक क्लीयरेंस मिलने के बाद जहां जल्द बांध निर्माण की उम्मीद जगी है, तो वहीं दूसरी और विस्थापितों ने लंबे अरसे बाद विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए है.
दूसरी तरफ रेणुका जी बांध के महाप्रबंधक रूपलाल (Renuka Dam inauguration) ने बताया कि विस्थापितों की सभी मांगो व समस्याओं के प्रति प्रबंधन सजग है और बांध निर्माण से पहले ही सभी जायज मांगो को पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पैरा 55 के तहत विस्थापितों को जारी रकम का विवरण व उनके एमपीएफ पहचान पत्र बनाने की प्रक्रिया जारी है.