रोनहाट (सिरमौर): ये तस्वीरें सिरमौर जिले के बेहद दुर्गम क्षेत्र रोनहाट के सरकारी डिग्री कॉलेज की है. जहां बीते चार सालों से सरकार का ये कॉलेज सिर्फ एक ही क्लास रूम में चल रहा है. कॉलेज में करीब 200 विद्यार्थियों में 120 से अधिक गरीब घरों की छात्राएं पढ़ती हैं. जो सरकार के बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का असल चेहरा और गुणात्मक शिक्षा के सरकारी दावों की हकीकत को ब्यान कर रही है.
वोटों की राजनीति शिक्षा को कैसे प्रभावित करती है, दुर्गम इलाके का रोनहाट डिग्री कॉलेज इसका जीवंत उदाहरण है. न सिर्फ रोनहाट कॉलेज बल्कि भरली डिग्री कॉलेज और कफोटा डिग्री कॉलेज भी राजनीति का शिकार हुए हैं. मगर इन तीनों कॉलेजों में रोनहाट कॉलेज के हालात सबसे बदतर हैं. यहां तीन कमरों के एक भवन में कॉलेज चलाया जा रहा है.
एक कमरे में प्रधानाचार्य का कार्यालय दूसरे कमरे में कॉलेज के स्टाफ का कार्यालय और तीसरे और एकमात्र कमरे को क्लास रूम बनाया गया है. प्रथम द्वितीय और तृतीय वर्ष के सैकड़ों बच्चे इसी क्लास रूम में कक्षाएं लगाते हैं. खुद ही अंदाजा लगाइए, यहां बच्चे कैसे पढ़ाई कर पाते हैं और प्राचार्य कैसे पढ़ा पाते होंगे. मजबूरन बच्चे बाहर बरामदे और इधर उधर बैठकर समय बिताते हैं.
सर्दी गर्मी या बरसात मौसम कोई भी हो यहां पिछले 4 सालों से कक्षाएं इसी क्रम में चल रही हैं. कॉलेज के विद्यार्थियों में 80 फीसदी संख्या लड़कियों की है. दूसरी हैरानी की बात ही है कॉलेज के लगभग 200 बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ दो प्राचार्य ही सेवारत हैं इसके अलावा कॉलेज स्टाफ के दर्जनों पद भी बीते चार वर्षों से खाली पड़े हुए हैं.
मात्र नाम के डिग्री कॉलेज में ना तो अपना भवन है, ना पुस्तकालय है, न कॉलेज में प्रधानाचार्य है, न सभी विषयों के प्राचार्य हैं, न ऑफिशियल स्टाफ है. कॉलेज में यदि कुछ है तो गुणात्मक शिक्षा ग्रहण करने का सपना पाले गरीब परिवारों के बच्चे हैं और उनके सपने, जो सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ते नजर आ रहे हैं.