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यूक्रेन से भारत लौटे विवेक ने सुनाई आपबीती, कहा: युद्ध के दौरान गुजारे 15 दिन नहीं भुला पाउंगा कभी

यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध में यूक्रेन में फंसे हजारों भारतीयों (Indian students in ukraine) के साथ हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के लड़भड़ोल क्षेत्र की बाग पंचायत के गांव छोटी बाग निवासी विवेक सिंह (Vivek Singh of Mandi) रविवार को सही सलामत अपने घर पहुंच गए हैं. विवेक के घर पहुंचने से समूचे गांव और क्षेत्र में खुशी का माहौल है. घर पहुंचते हुए विवेक ने सभी को अपनी आपबीती सुनाई. उन्होंने कहा कि युद्ध के दौरान गुजारे 15 दिन वह कभी नहीं भुला पाएंगे.

Vivek Singh of Mandi
मंडी के विवेक सिंह.

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Published : Mar 6, 2022, 10:06 PM IST

जोगिंदरनगर/ मंडी:यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध में यूक्रेन में फंसे हजारों भारतीयों (Indian students in ukraine) के साथ हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के लड़भड़ोल क्षेत्र की बाग पंचायत के गांव छोटी बाग निवासी विवेक सिंह (Vivek Singh of Mandi) रविवार को सही सलामत अपने घर पहुंच गए हैं. विवेक के घर पहुंचने से समूचे गांव और क्षेत्र में खुशी का माहौल है. विवेक के घर पहुंचते ही उनके दादा-दादी ने उन्हें गले से लगाया और इस बीच दादी अपने आंसू नहीं रोक पाईं.

विवेक सिंह ने बताया की इस युद्ध (Russia ukraine war) के दौरान 14-15 दिन उन्होंने जिस हालात में गुजारे हैं, उन्हें वे जिंदगी में कभी भी नहीं भुला पाएंगे. उन्होंने बताया कि घर आने के लिए उनकी कोई मदद नहीं कर रहा थी. यही नहीं यूक्रेन रेलवे स्टेशन पर भी भारतीयों को टिकट नहीं दिया जा रहा था. जैसे तैसे उन्होंने कुछ दूरी का सफर बस के द्वारा तय किया और किसी तरह रेलवे स्टेशन तक पहुंचे, लेकिन वहां पर जब वे ट्रेन में चढ़ने लगे, तो रेलवे कर्मचारियों ने उन्हें वहां से उतार दिया और उनका बैग इत्यदि भी फेंक दिया था.

वीडियो.

फिर उन्होंने रिश्वत देकर जैसे तैसे अगले दिन ट्रेन के जरिए 250 किलोमीटर का सफर तय किया. उसके बाद भारत सरकार की मदद मिलने से वे दिल्ली तक पहुंचे और दिल्ली से शनिवार को अपने घर के लिए रवाना हुए. विवेक सिंह ने बताया कि युद्ध के शुरू होते ही उन्हें हॉस्टल से एक बंकर में शिफ्ट कर दिया गया था, जहां पर हॉस्टल की ओर से एक-दो दिन तो खाना और पानी मिला, लेकिन उसके बाद उन्होंने कुरकुरे, बिस्किट और जूस के सहारे ही अपना समय गुजारा. उन्होंने कहा कि करीब 15 दिन तक वह सही तरीके सो भी नहीं पाए. उन्हें बस एक ही चिंता थी की वह कम अपने घर पहुंच पाएंगे. वहीं, विवेक की घर वापसी से उनके घर पर खुशी का माहौल है.

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