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गाय के गोबर से बना मास्क, इस्तेमाल के बाद बनेगा खाद - Vedic plaster mask

छोटी काशी के नाम से विख्यात मंडी जिला में इस बार राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के आह्वान पर वैदिक प्लस्तर संस्था ने गोबर से बने हुए उत्पादों को बाजारों में उतारा है. ऐतिहासिक सेरी मंच पर संस्था ने गोबर से बने उत्पादों का स्टॉल लगाया गया है. इस मास्क की खास बात यह है कि आप इसे इस्तेमाल करने के बाद अपने खेतों में फेंक देते हैं तो यह खाद के रूप में काम करेगा.

mask with cow dung
mask with cow dung

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Published : Nov 13, 2020, 9:39 PM IST

Updated : Nov 16, 2020, 5:48 PM IST

मंडी: आज तक आपने गाय के गोबर से उपले, खाद ही बनती देखी होगी. इस दिवाली गोबर से बने दीए, गमले, धूप-अगरबत्ती बाजारों में खूब बिक रही है, लेकिन क्या आपने कभी गाय के गोबर से बना मास्क देखा या पहना है. जी हां, बिल्कुल सही सुना आपने, गाय के गोबर से बना मास्क.

कोरोनाकाल में मास्क कितना जरूरी है ये तो आप सभी जानते ही हैं. आपने अब तक एन-95, कॉटन, कपड़े या फिर सर्जिकल मास्क ही पहने होंगे, लेकिन वेदिक प्लस्तर संस्था ने बाजार में गोबर से बना मास्क उतारा है. खराब होने के बाद ये मास्क खाद में बदल जाएगा.

छोटी काशी के नाम से विख्यात मंडी जिला में इस बार राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के आह्वान पर वैदिक प्लस्तर संस्था ने गोबर से बने हुए उत्पादों को बाजारों में उतारा है. ऐतिहासिक सेरी मंच पर संस्था के द्वारा गोबर से बने उत्पादों का स्टाल लगाया गया है.

वीडियो.

वैदिक प्लस्तर संस्था ने की ये पहल

वैदिक प्लस्तर संस्था ने इस बार गोबर से बने दीए, धूप, अगरबत्ती हवन सामग्री और वेस्ट सूती कपड़े व कागज के मिश्रण से बना मास्क भी बाजार में उतारा है. वेस्ट सूती कपड़े और कागज से बना मास्क बाजार में चर्चा का विषय बना हुआ है.

इस मास्क की खास बात यह है कि आप इसे इस्तेमाल करने के बाद अपने खेतों में फेंक देते हैं तो यह खाद के रूप में काम करेगा. वैदिक प्लस्तर संस्था के वितरक करण सिंह ने बताया कि इस मास्क में वनस्पति बीज डाले गए हैं और जब यह मास्क पहनने योग्य नहीं रहेगा तो यह मास्क खेतों में खाद का काम करेगा जिससे हरियाली हो जाएगी.

इस तरह बना है मास्क

करण सिंह ने बताया कि मास्क बनाने के लिए कच्चा माल राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की ओर से उन्हें उपलब्ध करवाया जाता है. उन्होंने बताया कि मास्क बनाने वाले कागज में 20 फीसदी सूती कपड़ा व 80 फीसदी गाय का गोबर इस्तेमाल किया जाता है.

स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कर रही मास्क तैयार

उन्होंने कहा कि मंडी शहर के साथ लगती ग्राम पंचायत कोटली में एकता स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा कटाई व सिलाई करके इसे मास्क का रूप दिया जाता है, वहीं उन्होंने कहा कि मास्क को कानों में लगाने के लिए इसमें जूट की रस्सी इस्तेमाल किया गया है, ताकि इसे पूरा स्वदेशी रूप दिया जा सके.

वैदिक प्लस्तर संस्था के साथ जुड़ी एकता स्वयं सहायता समूह की सदस्य चंचल ठाकुर ने बताया कि उनके स्वयं सहायता समूह के 11 महिलाएं यह कार्य कर रही हैं और उन्हें घर द्वार पर ही रोजगार मिल रहा है.

लोगों के लिए बने आकर्षण का केंद्र

गोबर से निर्मित उत्पाद स्थानीय लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. लोगों का कहना है कि उन्होंने पहली बार गाय के गोबर से बने मास्क सहित अन्य उत्पाद देखे हैं. उनका कहना है कि देश में गाय के गोबर से निर्मित उत्पाद बाजार में आने से सड़कों पर जो बेसहारा पशुधन घूम रहा है, उनको भी संरक्षण मिल पाएगा.

इस्तेमाल के बाद मास्क से बन सकेगी खाद

वैदिक प्लस्तर संस्था के द्वारा बनाए गए मास्क के बारे में बीएचएमएस डॉक्टर राजकुमार शर्मा का कहना है कि गाय के गोबर में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, और इस मास्क को इस्तेमाल करने से किसी को कोई नुक्सान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि मास्क को इस्तेमाल करने के बाद भी एक बार फिर खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है, जो पर्यावरण के लिए भी सही है.

वहीं, उपाहिमने वैदिक प्लस्तर संस्था के द्वारा बनाए गए सभी उत्पादों की सराहना की है उन्होंने कहा कि जहां यह प्रोडक्ट इको फ्रेंडली है वहीं इनसे पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होगा.

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Last Updated : Nov 16, 2020, 5:48 PM IST

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