मंडी: आज तक आपने गाय के गोबर से उपले, खाद ही बनती देखी होगी. इस दिवाली गोबर से बने दीए, गमले, धूप-अगरबत्ती बाजारों में खूब बिक रही है, लेकिन क्या आपने कभी गाय के गोबर से बना मास्क देखा या पहना है. जी हां, बिल्कुल सही सुना आपने, गाय के गोबर से बना मास्क.
कोरोनाकाल में मास्क कितना जरूरी है ये तो आप सभी जानते ही हैं. आपने अब तक एन-95, कॉटन, कपड़े या फिर सर्जिकल मास्क ही पहने होंगे, लेकिन वेदिक प्लस्तर संस्था ने बाजार में गोबर से बना मास्क उतारा है. खराब होने के बाद ये मास्क खाद में बदल जाएगा.
छोटी काशी के नाम से विख्यात मंडी जिला में इस बार राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के आह्वान पर वैदिक प्लस्तर संस्था ने गोबर से बने हुए उत्पादों को बाजारों में उतारा है. ऐतिहासिक सेरी मंच पर संस्था के द्वारा गोबर से बने उत्पादों का स्टाल लगाया गया है.
वैदिक प्लस्तर संस्था ने की ये पहल
वैदिक प्लस्तर संस्था ने इस बार गोबर से बने दीए, धूप, अगरबत्ती हवन सामग्री और वेस्ट सूती कपड़े व कागज के मिश्रण से बना मास्क भी बाजार में उतारा है. वेस्ट सूती कपड़े और कागज से बना मास्क बाजार में चर्चा का विषय बना हुआ है.
इस मास्क की खास बात यह है कि आप इसे इस्तेमाल करने के बाद अपने खेतों में फेंक देते हैं तो यह खाद के रूप में काम करेगा. वैदिक प्लस्तर संस्था के वितरक करण सिंह ने बताया कि इस मास्क में वनस्पति बीज डाले गए हैं और जब यह मास्क पहनने योग्य नहीं रहेगा तो यह मास्क खेतों में खाद का काम करेगा जिससे हरियाली हो जाएगी.
इस तरह बना है मास्क
करण सिंह ने बताया कि मास्क बनाने के लिए कच्चा माल राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की ओर से उन्हें उपलब्ध करवाया जाता है. उन्होंने बताया कि मास्क बनाने वाले कागज में 20 फीसदी सूती कपड़ा व 80 फीसदी गाय का गोबर इस्तेमाल किया जाता है.
स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कर रही मास्क तैयार