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गोबर से बने दीयों से जगमगाएगी छोटी काशी, मनाई जाएगी इको फ्रेंडली दिवाली

मंडी में इस बार राष्ट्रीय कामधेनू आयोग के आहवान पर इको फ्रेंडली दिवाली मनाने में अपनी अहम भूमिका निभाने जा रहा है. आयोग ने इस दिवाली पर देश भर में गाय के गोबर से बने 11 करोड़ दीये जलाने का लक्ष्य रखा है. कर्ण सिंह ने बताया कि यह सारे प्रोडक्ट पूरी तरह से इको फ्रेंडली हैं. इन्हें इस्तेमाल करने के बाद खेतों में फैंक देंगे तो वहां, खाद के रूप में काम करेंगे.

Vedic plastar institution stalls products made of cow dung in Mandi market
गोबर से बने दीयों से जगमगाएगी छोटी काशी

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Published : Nov 11, 2020, 3:58 PM IST

मंडी: छोटी काशी मंडी में इस बार राष्ट्रीय कामधेनू आयोग के आह्वान पर इको फ्रेंडली दिवाली मनाने की तैयारी चल रही है. आयोग ने इस दिवाली पर देश भर में गाय के गोबर से बने 11 करोड़ दीये जलाने का लक्ष्य रखा है.

इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वैदिक प्लस्तर संस्था ने गोबर से बने दीये और अन्य उत्पादों को मंडी के बाजारों में उतार दिया है. मंडी शहर के ऐतिहासिक सेरी मंच पर संस्था ने गोबर से बने उत्पादों का स्टॉल लगा दिया है.

वैदिक प्लस्तर संस्था के वितरक कर्ण सिंह ने बताया कि उनके पास गोबर से बने दीये, गोबर और वेस्ट कपड़ों व कागज के मिश्रण से बना मास्क, गोबर से बनी धूप, अगरबत्ती और हवन सामग्री बिक्री के लिए उपलब्ध है. गोबर से बने चार दीए 50 रुपये में जबकि 6 दीयों का सेट 80 रुपये में बेचा जा रहा है. वहीं, मास्क 20 रुपये में बेचा जा रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

कर्ण सिंह ने बताया कि यह सारे प्रोडक्ट पूरी तरह से इको फ्रेंडली हैं. इन्हें इस्तेमाल करने के बाद खेतों में फैंक देंगे तो वहां, खाद के रूप में काम करेंगे. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कामधेनू आयोग ने इस दिवाली पर देश भर के 11 करोड़ गाय के गोबर से बने दीये जलाने का संकल्प लिया है और उसी संकल्प की पूर्ति के लिए संस्था ने यह उत्पाद बाजार में उतारे हैं.

उन्होंने बताया कि इन उत्पादों से जहां पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. वहीं, गाय के संरक्षण में भी बल मिलेगा. दिवाली पर हर साल यही आहवान किया जाता है कि इस पर्व को अधिक से अधिक मात्रा में ईको फ्रेंडली का रूप दिया जाए.

इस कड़ी में यह एक बेहतर प्रयास माना जा सकता है. अगर दिवाली पर गोबर से बने उत्पादों का अधिक से अधिक इस्तेमाल होगा तो निश्चित रूप से पर्यावरण का कम से कम नुकसान होगा.

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