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सेब को मंडियों तक पहुंचाने के लिए बागवानों की जेब होगी ढीली, प्रशासन ने ढुलाई टैरिफ बढ़ाया - himachal News

इस बार बागवानों को मंडियों तक सेब पहुंचाने के लिए अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी होगी. दरअसल मंडी जिला प्रशासन ने देश की प्रमुख मंडियों के लिए सेब ढुलाई के भाड़े की लिस्ट जारी कर दी है, जिसके तहत इस बार सेब ढुलाई के भाड़े का टैरिफ 2.50 फीसदी बढ़ाया गया है.

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करसोग

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Published : Jul 7, 2020, 4:55 PM IST

करसोग/ मंडी: उपमंडल करसोग में सेब सीजन शुरू हो गया है. इस बार बागवानों को मंडियों तक सेब पहुंचाने के लिए अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी होगी. दरअसल जिला प्रशासन ने देश की प्रमुख मंडियों के लिए सेब ढुलाई के भाड़े की लिस्ट जारी कर दी है, जिसके तहत इस बार सेब ढुलाई के भाड़े का टैरिफ 2.50 फीसदी बढ़ाया गया है.

जिला प्रशासन ने करसोग के विभिन्न क्षेत्रों से शिमला, परवाणू, चंडीगढ़, अंबाला, दिल्ली, जयपुर, मद्रास, कलकत्ता और ग्वालियर की मंडियों तक सेब पहुंचाने के लिए किराये की लिस्ट जारी की है. इस बारे में फ्रूट ग्रोवर एसोसिएशन और बखरौट सहित केलोधार ट्रक यूनियन के प्रतिनिधियों की सर्वसम्मति से टैरिफ बढ़ाने का निर्णय लिया गया है.

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बागवानी विभाग के मुताबिक उपमंडल करसोग में इस बार सेब उत्पादन करीब 8 लाख पेटी रह सकता है, जो कि पिछली साल की अपेक्षा आधा है. उपमंडल में पिछली साल सेब उत्पादन 15 लाख पेटी से अधिक रहा था.

अब ये होगा प्रति पेटी भाड़ा

प्रशासन ने बखरौट, चिंडी और चुराग से दिल्ली मंडी का प्रति पेटी ढुलाई भाड़ा 84 रुपये तय किया है, जबकि पिछली साल यही किराया 81 रुपये प्रति पेटी था. इसके अलावा माहूंनाग, सपनोट, शोरशन, रेस्टाधार और पांगणा से दिल्ली का प्रति पेटी ढुलाई भाड़ा 85 रुपये रखा गया है, जबकि पिछली साल 82 रुपये प्रति पेटी किराया था.

करसोग के तेबन, कोटीनाला व कोटलु से दिल्ली का किराया प्रति पेटी निर्धारित किया गया है. इसी तरह से थर्मी, खनेयोल बगड़ा, पोखी व ग्वालपुर का किराया प्रति पेटी होगा, जबकि सेरी व सैंज बगड़ा से दिल्ली का किराया 91 रुपये तय किया गया है.

एसडीएम करसोग सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि फ्रूट ग्रोबर एसोसिएशन और ट्रक यूनियन के साथ आयोजित बैठक में इस बार सेब ढुलाई के भाड़े का टैरिफ पिछली साल की तुलना में 2.50 फीसदी बढ़ाया गया है. उन्होंने कहा कि ये फैसला दोनों एसोसिएशन की सर्वसम्मति से लिया गया है और इस साल पिछली साल की तुलना में सेब की फसल काफी कम है.

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