मंडी: प्रदेश में सांस्कृतिक राजधानी के नाम से विख्यात छोटी काशी मंडी (Choti Kashi Mandi) में विकास को नये आयाम देने वाले भव्य-दिव्य शिवधाम का काम जोरों पर चल रहा है. मंडी के कांगणीधार में (shivdham being built in kangnidhar) साढ़े नौ हेक्टेयर क्षेत्र में 150 करोड़ रुपये से बन रहा दिव्य शिवधाम भव्यता में किसी अजूबे से कम नहीं होगा.
पहले चरण के काम पर 40 करोड़ रुपये खर्चे जा रहे हैं. इसमें पहाड़ी की कटिंग और जमीन को समतल बनाने के अलावा मंदिरों के स्तंभ खड़े का काम तेजी से चल रहा है. शिवधाम के प्रथम चरण का कार्य सितंबर 2022 से पहले पूरा कर लिया जाएगा. इस महत्वाकांक्षी परियोजना से देश-दुनिया में मंडी धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन मानचित्र पर मजबूती से उभरेगा और दुनियाभर के पर्यटकों के लिए मंडी में पर्यटन गंतव्य का नया स्वरूप देखने को मिलेगा.
पर्यटन विभाग मंडी (Tourism Department Mandi) के उपनिदेशक एस के पराशर शिवधाम के स्वरूप की जानकारी देते हुए बताया कि शिवधाम में प्रवेश के लिए कैलाश द्वार होगा. यहां श्रीगणेश मंडल के भी दर्शन होंगे, जिसमें भगवान गणेश की भव्य प्रतिमा (Magnificent Statue of Lord Ganesha) स्थापित होगी. इसके अलावा गंगा कुंड होगा, शिव वंदना के नाम से ओरिएंटेशन सेंटर होगा. रुद्रा मंडल और डमरू मंडल होगा, जहां भगवान शिव के डमरू के दर्शन और डमरू मंडल के पास खाने पीने की वस्तुएं भी मिलेंगी.
मानसरोवर कुंड, मोक्ष पथ, बिल्वपत्र कुंड, शिवस्मृति म्यूजियम तथा एक बड़ा शिवलिंग भी स्थापित होगा जिसे चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग से ही पर्यटक दूर से देख कर आकर्षित होंगे. वहीं शिवधाम में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भी करवाए जाएंगे और भगवान शिव के साथ माता पार्वती, कार्तिकेय और गणेश भगवान की प्रतिमाएं भी होंगी. इसके अलावा यहां हर्बल गार्डन, नक्षत्र वाटिका, एमफी थियेटर होगा और सैकड़ों गाड़ियों के लिए पार्किंग सुविधा हेागी.
शैव मत से प्रभावित इस पहाड़ी रियासत की आधुनिक राजधानी की स्थापना बाबा भूतनाथ के मंदिर के निर्माण के साथ ही हुई है. इसके अलावा शिव नगरी मंडी में त्रिलोकीनाथ, महामृत्युंजय, पंचवक्त्र, अर्धनारीश्वर, नीलकंठ, शिव शंभू महादेव, एकादश रुद्र महादेव, रुद्र महादेव आदि अनेक शिव मंदिर हैं, जो बाबा भूतनाथ की नगरी को छोटीकाशी के रूप में पहचान दिलाते हैं. अब 12 ज्योतिर्लिंगों वाले शिवराम की स्थापना से छोटी काशी पर्यटन के मानचित्र पर नए आयाम स्थापित करेगी. उत्तर भारत का यह पहला ऐसा धार्मिक पर्यटन स्थल (religious tourist places) होगा जो बाहर से आने वाले पर्यटकों के अलावा स्थानीय लोगों के आकर्षण का केंद्र भी होगा.