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हिमाचल में एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर जिस पर कोई छत नहीं, फिर भी मूर्तियों पर नहीं टिकती बर्फ - हिमाचल के मंदिर

देव भूमि हिमाचल अपनी संस्कृति के लिए दुनिया भर में एक अलग पहचान बनाए हुए है. खासकर यहां के लोगों में देवी देवताओं के प्रति अटूट श्रद्धा लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि क्या वाकई हिमाचल में देवी देवताओं को लेकर जो मान्यताएं या कहानियां है वो सच्च हैं या झूठ. इसी तरह हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में एक ऐतिहासिक मंदिर है 'शिकारी देवी मंदिर' जो अपनी खासियत के (Shikari Devi Temple in Mandi) लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. क्या है इस मंदिर की खासियत और मान्यता इसके लिए पढ़ें पूरी खबर....

Shikari Devi Temple in Mandi
शिकारी देवी मंदिर

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Published : Jan 23, 2022, 8:32 PM IST

मंडी:देवी देवताओं की धरती कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में कई ऐतिहासिक और चमत्कारिक धार्मिक स्थल मौजूद हैं. हिमाचल प्रदेश के ऐसे ही एक चमत्कारिक धार्मिक स्थल है, जो मंडी जिले में जंजैहली से 18 किलोमीटर दूर है. हम बात कर रहे हैं शिकारी देवी मंदिर की (Shikari Devi Temple in Mandi) जो 3359 एमआरटी की ऊंचाई पर स्थित है.

मंडी जिले का सर्वोच्च शिखर होने के नाते इसे मंडी का क्राउन भी कहा जाता है. शिकारी शिखर की पहाड़ियों पर स्थित देवी का यह मंदिर आज भी छत से विहीन है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण (Shikari Devi Temple in Mandi ) पांडवों ने करवाया था. मान्यता के अनुसार मार्कंडेय ऋषि ने इस स्थान पर कई वर्ष तपस्या की थी उनकी तपस्या से खुश होकर मां दुर्गा अपने शक्ति रूप में स्थान पर स्थापित हुई.

वहीं, बाद में इस स्थान पर अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी तपस्या की. पांडवों की तपस्या से खुश होकर मां दुर्गा प्रकट हुई और पांडवों को युद्ध में जीत का आशीर्वाद दिया. उसी समय पांडवों ने मंदिर का निर्माण करवाया, लेकिन किसी कारण इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका और पांडव यहां पर मां की पत्थर की मूर्ति स्थापित करने के बाद चले गए. यहां पर हर साल सर्दियों में कई फीट बर्फ गिरती है लेकिन मूर्तियों के स्थान पर कभी भी बर्फ नहीं टिकती है. जो किसी चमत्कार से कम नहीं है. वर्षो-वर्ष कई कोशिशों के बाद भी इस रहस्यमय मंदिर (Shikari Devi Temple in Mandi) की छत नहीं बन पाई. शिकारी माता खुले स्थान पर आसमान के नीचे रहना ही पसंद करती है.

एक अन्य मान्यता के अनुसार यह पूरा क्षेत्र वनों से घिरा हुआ था और यहां पर शिकारी वन्यजीवों का शिकार करने आते थे. शिकार करने से पहले शिकारी इस मंदिर में सफलता की प्रार्थना करते और उनकी मनोकामना पूरी हो जाती. इसी के बाद इस मंदिर का नाम शिकारी देवी पड़ गया. शिकारी माता दर्शन करने के लिए हर साल यहां पर लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. मंदिर के चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखती है और श्रद्धालुओं के पहुंचने के लिए यहां पर बेहद सुंदर मार्ग बनाया गया है.

शिकारी माता मंदिर में पुजारी श्याम सिंह ने बताया कि बारिश, आंधी, तूफान और बर्फबारी में भी शिकारी माता खुले आसमान के नीचे रहना ही पसंद करती हैं. उन्होंने बताया कि माता की पिंडियों पर कभी भी बर्फ नहीं टिकती है और इस बार भी ऐसा ही हुआ है. इन दिनों शिकारी देवी में बर्फ पड़ी हुई है और जिला प्रशासन ने एक दिसंबर 2021 से 31 मार्च 2021 तक मंदिर के कपाट बंद कर दिए हैं. शिकारी माता मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए 1 अप्रैल 2022 से विधिवत रूप से खोले जाएंगे.

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