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छोटी काशी मंडी में शिवरात्रि की तैयारियां शुरू, बाबा भूतनाथ को लगा 40 किलो माखन का लेप - Mandi Shivratri festival

जिला मंडी में शिवरात्रि महोत्सव को लेकर जिला प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर (Mandi Shivratri festival preparations started) दी हैं. पुरातन काल से चली आ रही परंपराओं के अनुसार शनिवार को मंडी शहर के प्राचीन मंदिर बाबा भूतनाथ के शिवलिंग पर 40 किलो माखन का लेप लगाया (Baba Bhootnath Mandir in mandi) गया. मंदिर के पुजारी ने बताया कि शिवरात्रि तक रोजाना शिवलिंग पर माखन का लेप चढ़ाया जाएगा और भगवान शिव के विभिन्न रूपों की आकृतियां उकेर कर श्रद्धालुओं को दर्शन करवाए जाएंगे.

Baba Bhootnath Mandir in mandi
मंडी का शिवरात्रि महोत्सव

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Published : Jan 30, 2022, 1:54 PM IST

मंडी: छोटी काशी के नाम से विख्यात मंडी शहर में शिवरात्रि महोत्सव की तैयारियां शुरू हो (Mandi Shivratri festival preparations started) गई हैं. पुरातन काल से चली आ रही परंपराओं के अनुसार तारारात्रि से शिवरात्रि का आगाज माना जाता है. तारारात्रि की रात को मंडी शहर के प्राचीन मंदिर बाबा भूतनाथ के शिवलिंग पर माखन का लेप चढ़ाने की परंपरा रही है. बीती रात इस पंरपरा की निर्वहन किया गया.

प्राचीन मंदिर बाबा भूतनाथ के पुजारी महंत देवानंद सरस्वती ने बताया कि पहले दिन माखन के लेप पर गसोता महादेव की आकृति बनाई (Baba Bhootnath Mandir in mandi) गई है. यह प्रसिद्ध मंदिर हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में स्थित है. उन्होंने बताया कि शिवरात्रि तक रोजाना शिवलिंग पर माखन का लेप चढ़ाया जाएगा और भगवान शिव के विभिन्न रूपों की आकृतियां उकेर कर श्रद्धालुओं को दर्शन करवाए जाएंगे. शिवरात्रि वाले दिन माखन को उताकर इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाएगा. उन्होंने बताया कि प्राचीन काल से चली आ रही परंपराओं का इस वर्ष भी पूरी तरह से निर्वहन किया जाएगा.

मंडी शिवरात्रि

बता दें कि मंडी का शिवरात्रि महोत्सव आज अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका (Mandi Shivratri festival) है और इसे हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है. इस बार 1 मार्च को महाशिवरात्रि है जबकि 2 से 8 मार्च तक सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव मनाया जाएगा. हालांकि इसपर अधिकारिक फैसला होना अभी बाकी है, क्योंकि मेले का आयोजन कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए ही लिया जाएगा. लेकिन प्रशासन ने यह तय कर लिया है कि यदि मेला नहीं हुआ तो फिर देव परंपराओं का निर्वहन हर वर्ष की तरह किया जाएगा.

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