मंडी: हिमाचल प्रदेश का इतिहास अपने सैनिकों के पराक्रम, वीरता, शौर्य और बलिदानों के लिए जाना जाता है. करगिल संघर्ष में देश के वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया. ऑपरेशन विजय में हिमाचल के वीर जवानों ने अपना शौर्य प्रदर्शित किया और इस दौरान प्रदेश के 52 बहादुर सैनिक शहीद हुए. 26 जुलाई का दिन हर वर्ष पूरे देश में करगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. करगिल युद्ध के जांबाज योद्धाओं में एक नाम ब्रिगेडियर खुशहाल ठाकुर का भी आता है, जिन्हें कारगिल युद्ध का हीरो भी कहा जाता है.
ब्रिगेडियर खुशहाल ठाकुर मंडी जिला के द्रंग विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले नगवाईं गांव के निवासी हैं. इनके नेतृत्व वाली 18 ग्रेनेडियर ने ना केवल टाइगर हिल और तोलोलिंग पर विजय पताका फहराया, बल्कि करगिल युद्ध की जीत का रास्ता भी तैयार किया. ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर बताते हैं कि 20 मई 1999 को तोलोलिंग की चोटी पर कब्जा करने के लिए चढ़े तो पता चला कि एक-दो नहीं बल्कि बड़ी संख्या में पाकिस्तानी फौज यहां मौजूद है. 8 हजार फीट की ऊंचाई और पथरीली सीधी चढ़ाई, माइनस डिग्री तापमान में छिपने के लिए सिर्फ पत्थर थे. 12 और 13 जून की रात को तोलोलिंग चोटी को फतह कर लिया.
तोतोलिंग की भयानक लड़ाई 22 दिन तक लड़ी गई और उसके बाद हमारी यूनिट द्रास सेक्टर की सबसे कठिन चोटी टाइगर हिल की तरफ बढ़ी और कड़े संघर्ष के बाद उसे भी फतह कर लिया. 18 ग्रेनेडियर ने 2 राजपूताना राइफल्स के साथ मिलकर टाइगर हिल और तोलोलिंग पर विजय पताका फहराने के बाद कारगिल विजय का रास्ता साफ हुआ था. 18 ग्रेनेडियर को ही सबसे ज्यादा 52 वीरता पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं.