करसोग/मंडी:हिमाचल को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है, प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद कई मंदिर आज भी अपने में गहरे रहस्य समेटे हुए हैं. ऐसा ही एक प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर जिला मंडी के तहत चारों ओर से हरे -हरे विशालकाय पेड़ों से घिरी खूबसूरत करसोग वैली में है. करसोग मुख्यालय से कुछ दूरी पर काओ नामक स्थान पर पांडवों के काल से संबंध रखने वाला मंदिर शिल्प कला का उत्कृष्ट उदाहरण है. ये प्रसिद्ध मंदिर माता कामाक्षा (कामाख्या ) के नाम से प्रसिद्ध (Kamaksha Temple in Karsog) है.
कामाक्षा 10 महाविद्याओं की देवी:हर मनोकामना को पूर्ण करने वाली कामाक्षा को 10 महाविद्याओं की देवी भी कहा जाता है. लकड़ी पर नक्काशी से बने इस प्रसिद्ध मंदिर में माता अष्ट धातु की मूर्ति के रूप में विराजमान है. देश भर में कामाक्षा माता के केवल 3 ही मंदिर है. जहां अलग -अलग रूपों में माता की पूजा होती है. बताया जाता है कि सती जहां पर टुकड़ों के रूप में गिरी थी, वहां माता के प्रसिद्ध मंदिर विद्यमान है.
असम और कांचीपुरम में विराजमान मां:इसमें मुख्य मंदिर भारत के उत्तर पूर्वी दिशा में अवस्थित असम में है. यहां इस मंदिर को कामाख्या नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि यहां सत्ती के शरीर का एक टुकड़ा योनि रूप में गिरा था इसलिए असम में माता को योनि रूप में कामाख्या के नाम से जाना जाता है. दूसरा मंदिर कांचीपुरम में स्थित है. जहां माता को ज्योति रूप पूजा जाता और माता को कामाक्षी कहा जाता है. (Kamakhya Mata in Assam)
करसोग में तीसरा स्थान:. माता का तीसरा स्थान करसोग के काओ में (Kamaksha Temple in Himachal) है. यहां मां कामाक्षा माता महिषासुर मर्दिनी के रूप में विद्यमान है. यहां माता को कामाक्षा नाम से पूजा जाता है. कामाक्षा मतलब हर कार्य को पूर्ण करने वाली. साल भर प्रदेश सहित देश भर से श्रद्धालु माता के दर्शनों के लिए आते हैं.
शारदीय नवरात्रि में विशेष महत्व:शारदीय नवरात्रि में माता के दर्शनों का विशेष महत्व (Shardiya Navratri 2022) है. हिमाचल के एक मात्र मुख्य मंदिर में शारदीय नवरात्र में अष्टमी की मध्य रात्रि में माता का मेला लगता (Navratri Ashtami Fair in Karsog) है. इस दिन साल में एक बार ही मंदिर में उपस्थित स्थानीय गांव के किसी एक व्यक्ति में माता जागृत होती है. जिसके बाद माता कामाक्षा आधी रात को दोनों और पहाड़ियों में विराजमान जोगनियों की परिक्रमा कर सुबह तक वापस मंदिर में लौटती है.