मंडी:आज पूरे विश्व में भारत तिब्बत मैत्री संघ के द्वारा चीन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ 63वां तिब्बती क्रांति दिवस मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में शनिवार को भारत तिब्बत मैत्री संघ की मंडी इकाई द्वारा (Indo Tibetan Friendship Association) ऐतिहासिक सेरी मंच पर तिब्बती क्रांति दिवस की 63वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में नगर निगम मंडी के डिप्टी मेयर वीरेंद्र भट ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की.
इस मौके पर भारत तिब्बत मैत्री संघ के उपाध्यक्ष विशाल ठाकुर ने कहा कि (Tibetan uprising day in mandi) आज से 63 वर्ष पूर्व तिब्बत के ल्हासा में धर्मगुरु दलाई लामा अपने 40 हजार समर्थकों के साथ चीन द्वारा प्रताड़ित होकर तिब्बत छोड़ने पर मजबूर हुए थे. जिससे बाद उन्होंने भारत में शरण पाई. उसी समय से 10 मार्च को चीन के विरोध में तिब्बती क्रांति दिवस मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि आज पूरे विश्व में चीन की दमनकारी नीतियों के विरोध में क्रांति दिवस मनाया जा रहा है.
मंडी में तिब्बती विद्रोह दिवस उन्होंने बताया कि तिब्बत की आजादी के लिए जिन लोगों ने अपना बलिदान दिया आज उन्हें भी याद किया जा रहा है. वहीं, इस मौके पर भारत तिब्बत मैत्री संघ की टीएसओ डोलमा ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण तिब्बती क्रांति दिवस 2 सालों बाद मनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस मौके पर जहां चीन की दमनकारी नीतियों का विरोध किया गया वहीं, दलाई लामा की शिक्षाओं पर चलने का भी प्रण लिया गया.
तिब्बत की आजादी को लेकर कुल्लू में निकाली रैली:वहीं, दूसरी ओर कुल्लू जिला के मुख्यालय ढालपुर में तिब्बत की आजादी को लेकर तिब्बती नागरिकों ने एक महा रैली का आयोजन किया गया. इस रैली में सैकड़ों तिब्बतियन नागरिकों ने भाग लिया. यह रैली भूतनाथ पुल से लेकर ढालपुर मैदान तक निकाली गई. इस अवसर पर तिब्बत की आजादी को लेकर जोरदार नारे लगाए. इस अवसर पर तिब्बतियन सेटलमेंट अधिकारी दुपतन छोपल ने कहा कि चीन ने पहले तिब्बती लोगों को ठगा कि वे वहां पर सड़कों आदि का निर्माण करके विकास करेंगे और बाद में तिब्बत पर कब्जा किया गया.
उन्होंने कहा कि तिब्बत की आजादी को लेकर तिब्बत के लोग संघर्षरत हैं और चीनी सरकार तिब्बत में लोगों का अत्याचार कर रही है. उन्होंने कहा कि यह अत्याचार बंद कर देना चाहिए और तिब्बती लोगों को स्वायत्तता मिलनी चाहिए. धार्मिक अधिकार मिलने चाहिए. इस अवसर पर तिब्बती बोर्ड के सदस्य पद्मानम ज्ञाल ने कहा कि तिब्बती लोगों को धार्मिक आजादी मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि चीन ने तिब्बत के साथ छल किया है और अभी भी तिब्बत में तिब्बती नागरिकों के साथ अत्याचार हो रहे हैं. उन्हें धार्मिक आजादी नहीं मिल रही है. बौद्ध धर्म ऐसा धर्म है और यह धर्म दुनिया को प्यार सिखाती है न कि विरोध.
तिब्बतियन सेटलमेंट अधिकारी दुपतन छोपल ने कहा कि आज यहां विद्रोह दिवस की 63 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. उन्होंने कहा कि महामहिम दलाई लामा कहते हैं कि उनको धार्मिक स्वायत्तता मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि तिब्बत आजाद होगा तो भारत देश की सुरक्षा भी होगी. अभी चीनी लद्दाख व अरुणाचल में घुसपैठ कर रहे हैं. यदि तिब्बत आजाद होगा तो चीन को अपनी सेना तिब्बत से हटानी होगी. उन्होंने कहा कि यूएनओ में भी आवाज उठाई गई है कि तिब्बत को आजाद किया जाए.
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