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New research by IIT Mandi: वैज्ञानिकों ने विकसित किया गैर-आक्रामक मस्तिष्क सिमुलेशन विधियों के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए गणितीय मॉडल

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Published : Dec 20, 2021, 4:31 PM IST

New research by IIT Mandi: आईआईटी मंडी के वैज्ञानिकों ने गैर आक्रामक मस्तिष्क सिमुलेशन विधियों के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए गणितीय मॉडल विकसित किया है. वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया यह मॉडल नॉन-इनवेसिव ब्रेन सिमुलेशन तकनीकों पर गणितीय सिमुलेशन अध्ययन करता है. टीम के हालिया काम के परिणाम ब्रेन स्टिमुलेशन जर्नल में एक सार के रूप में प्रकाशित हुए हैं. इस सार को आईआईटी मंडी के डॉ. शुभजीत रॉय चौधरी, नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर, भारत की डॉ. याशिका अरोड़ा और बफेलो विश्वविद्यालय के डॉ. अनिर्बान दत्ता द्वारा को-ऑथराइजड किया गया है.

New research by IIT Mandi
एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शुभजीत रॉय चौधरी

मंडी:New research by IIT Mandi: आईआईटी मंडी के वैज्ञानिकों ने गैर आक्रामक मस्तिष्क सिमुलेशन विधियों के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए गणितीय मॉडल (mathematical model iit mandi) विकसित किया है. इस मॉडल को विकसित करने में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी और नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर, भारत और यूनिवर्सिटी ऑफ बफेलो, यूएसए के वैज्ञानिक शामिल हैं.

वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया यह मॉडल नॉन-इनवेसिव ब्रेन सिमुलेशन (iit mandi scientist develops mathematical model) तकनीकों पर गणितीय सिमुलेशन अध्ययन करता है. टीम के हालिया काम के परिणाम ब्रेन स्टिमुलेशन जर्नल में एक सार के रूप में प्रकाशित हुए हैं. इस सार को आईआईटी मंडी के डॉ. शुभजीत रॉय चौधरी, नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर, भारत की डॉ. याशिका अरोड़ा और बफेलो विश्वविद्यालय के डॉ. अनिर्बान दत्ता द्वारा को-ऑथराइजड किया गया है.

क्या है ट्रांसक्रानियल इलेक्ट्रिकल स्टिमुलेशन:ट्रांसक्रानियल इलेक्ट्रिकल स्टिमुलेशन (टीईएस) एक गैर-इनवेसिव ब्रेन स्टिमुलेशन तकनीक है जो मस्तिष्क के कार्य का अध्ययन या परिवर्तन करने के लिए मस्तिष्क के कुछ हिस्सों के माध्यम से एक विद्युत प्रवाह पारित करती है. यह कोई नई अवधारणा नहीं है और बिजली की खोज से भी पहले की है.

पहली शताब्दी ईस्वी में, रोमन चिकित्सक स्क्रिबोनियस लार्गस ने अपने सिरदर्द को कम करने के लिए सम्राट के सिर पर ब्लैक टॉरपीडो, एक बिजली का झटका पैदा करने वाली मछली लगाई. 18वीं शताब्दी में बिजली की खोज के तुरंत बाद, पोर्टेबल इलेक्ट्रोस्टिम्यूलेशन उपकरणों को सिरदर्द सहित विभिन्न न्यूरोलॉजिकल सिंड्रोम के इलाज के लिए डिजाइन किया गया था.

आधुनिक समय के टीईएस में, रोगी की खोपड़ी पर कई इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं और नरम ऊतक और खोपड़ी के माध्यम से इलेक्ट्रोड के बीच करंट प्रवाहित किया जाता है. करंट का एक हिस्सा मस्तिष्क में प्रवेश करता है और तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है, जिसके परिणामस्वरूप गतिविधि बदल जाती है. उपचारात्मक के रूप में खोजे जाने के अलावा, टीईएस को मस्तिष्क के कार्यों को मैप करने के लिए उपयोगी माना जाता है.

अपने शोध पर प्रकाश डालते हुए एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शुभजीत रॉय चौधरी ने कहा कि 'हमने चार डिब्बों के साथ न्यूरोवास्कुलर यूनिट (एनवीयू) के एक शारीरिक रूप से विस्तृत गणितीय मॉडल का अनुकरण किया: सिनैप्टिक स्पेस, एस्ट्रोसाइट स्पेस, पेरिवास्कुलर स्पेस, और आर्टेरियोल स्मूथ मसल सेल स्पेस, जिसे न्यूरोवैस्कुलर यूनिट्स या एनवीयू कहा जाता है'.

डॉ. शुभजीत रॉय चौधरी ने कहा कि गणितीय मॉडल में चार नेस्टेड एनवीयू कंपार्टमेंटल पाथवे के लिए विद्युत क्षेत्र का अनुकरण करने के लिए अलग-अलग आवृत्तियों (0.1 हर्ट्ज से 10 हर्ट्ज) के गड़बड़ी के अनुप्रयोग शामिल थे और आवृत्तियों के जवाब में रक्त वाहिका व्यास में परिवर्तन का विश्लेषण किया. तीन प्रकार के गैर-आक्रामक मस्तिष्क उत्तेजना-ट्रांसक्रानियल डायरेक्ट करंट स्टिमुलेशन (tDCS), ट्रांसक्रानियल अल्टरनेटिंग करंट स्टिमुलेशन (tACS) और ट्रांसक्रानियल ऑसिलेटरी करंट स्टिमुलेशन (tOCS) को उनके शारीरिक प्रभावों की जांच के लिए तैयार किया गया था.

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